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माश-मिटिया माश-पु० [फा०] उरद । मु०-मारना-उरदके दानोंपर माहाँ*-अ० दे० 'महँ'; 'माह'। मंत्र पढ़कर किसीपर फेंकना, जादू करना ।
माहा*-पु० कपड़ा, पट (कबीर)। माशा-पु. आठ रत्तीका वजन, तोलेका बारहवाँ भाग । माहात्म्य-पु० [सं०] महात्मता, महिमा, गौरव; किसी मु०-तोला होना-चित्तका स्थिर न होना, छन-छनमें व्रत, स्नान, पूजनका पुण्यजनक फल । बदलना।
माहि*-अ० मध्य, भीतर । माशाअल्लाह-अ० जो अल्लाह चाहे; क्या कहना है। माहिर-वि० [अ०] कुशल,निपुण; अच्छा जानकार चतुर । माशूक-वि० [अ०] जिसपर कोई आशिक हो, प्रेमपात्र, माहिला*-पु० माँझी। प्यारा; सुंदर, मोहक ।-(के)हकीक़ी-पु०ईश्वर, खुदा । माहिष-वि० [सं०] भैसका (दूध, दही)। माशूका-स्त्री० [अ०] प्रेयसी, प्रेमिका।
माहिष्मती-स्त्री० [सं०] हैहय क्षत्रियोंकी राजधानी जो माशूकाना-वि० [अ०] माशूकों जैसा । -अंदाज़,-अदा नर्मदाके तटपर बसी थी-(आधुनिक मंडला ?) -स्त्री० मन लुभानेवाली अदा, हाव-भाव ।
माही-स्त्री० [फा०] मछली। -मरातिब-पु० राजाओं, माशुनी-स्त्री० [अ०] माशूकपन, मोहक रूप, हाव-भाव ।। बादशाहोंकी सवारीके आगे चलनेवाले मछली, ग्रहों माष-* पु० क्रोध, गर्व-तुम्हरे लाज, न रोष, न माषा' | आदिकी आकृतियोंवाले, सात झंडे ।
-रामा० [सं०] उरद; माशा; मस्सा; महामूर्ख । -पर्णी माहुरी-पु० जहर । -स्त्री० जंगली उरद । -योनि-पु. पापड़ ।
माहेन्द्र-वि० [सं०] इंद्र-संबंधी; इंद्रकी पूजा करनेवाला । माषना*-अ० कि०.दे० 'माखना'।
पु० यात्राके लिए शुभ माना जानेवाला एक योग । मास-पु० [सं०] वर्षका बारहवाँ भाग, महीना: १२ की मिडाई-स्त्री० मींडनेकी क्रिया मींडनेकी मजदूरी। संख्या ।-कालिक-वि० महीने भर रहनेवाला ।-जात | मित*-पु० मित्र, दोस्त । -वि० एक महीनेका (शिशु)। -देय-वि० जिसे महीने मिआद-स्त्री० दे० 'मीआद'। भरमें चुकाना हो। -प्रवेश-पु० महोनेका आरंभ। मिआन*-पु. पालकी। वि० छोटे डीलडौलका, दे० -फल-पु० मास-विशेषका शुभाशुभ फल । -मान- 'मियाना'। पु० वर्ष । -स्तोम-घु० एक यज्ञ।
मिकदार-स्त्री० [अ०] परिमाण; माप-तौल; मात्रा। मासना*-अ.क्रि० मिलना । स० कि० मिलाना। मिचकाना -सक्रि० (पलके) झपकाना। मासांत-पु० [सं०] महीने का अंत; अमावस्या; संक्रांति ।। मिचना-अ० क्रि० (आँखोंका) बंद होना। मासावधिक-वि० [सं०] एक महीने बना रहने या महीने | मिचराना-अ० क्रि० अरुचिसे थोड़ा-थोड़ा खाना । भर में होनेवाला।
मिचलाना-अ० क्रि० मतली आना । मासिक-वि० [सं०] मास-संबंधी प्रतिमास होनेवाला; मिचौनी, मिचौली-स्त्री० मीचने, मूंदनेकी क्रिया (केवल माहवार, महीने में एक बार निकलनेवाला (पत्र, पुस्तक)। 'आँखमिचौली में प्रयुक्त)। पु० प्रतिमास निकलनेवाला पत्र, माहनामा; मासिक मिछा*-वि० दे० 'मिध्या' । श्राद्ध । -धर्म-पु० ऋतु, रजोधर्म ।
मिज़राब-स्त्री० [अ०] तारका बना छल्ला जिसकी नोकसे मासी-स्त्री० मौसी, माकी बहन ।
आघात कर सितार, तानपूरा आदि बजाते हैं। मासूम-वि० [अ०] निष्पाप; निर्दोष; कलुष-रहित । मिज़ाज-पु० [अ०] मिलावट, पंचमहाभूतों(यूनानी और मास्टर-पु. [अं०] मालिक; गृहस्वामी; शिक्षक; व्यापारी अरब दार्शनिकोंने चार ही तत्त्व माने हैं)के मिश्रणसे उत्पन्न जहाजका कप्तान विषयविशेषमें निष्णात, उस्ताद । -की होनेवाली अवस्था; तबीयत; प्रकृति; स्वभाव; आदत; गर्व, -स्त्री० वह कुंजी जिससे अलग-अलग कुंजियोंसे खुलने- घमंड । -पुरसी-स्त्री० मिजाज पूछना, तबीयतका हाल वाले बहुतसे ताले खुल जायँ ।
पृछना (करना)। -मुबारक-दे० 'मिजाजशरीफ' । मास्टरी-स्त्री० मास्टरका भाव या काम, अध्यापक-वृत्ति । -वाला-वि० घमंडी, मिजाजदार । -शरीफ-मिजाज मास्य-वि० [सं०] महीने भरका; महीने भर बना रहनेवाला। कैसा है ? तबीयत ठीक है तो? मु०-न मिलना-धमंडमाह *-अ० मध्य, बीच, में।
के मारे किसीसे बात न करना, इतराना ।-पहचाननामाह-*पु० दे० 'माघ'; [फा०] चाँद; महीना, मास । किसीके रुचि-स्वभावको समझना। -पाना-मिजाज, -ताब-पु० चाँदनी; चाँद । -ताबी-स्त्री० एक आति- स्वभाव पहचान लेना ।-पूछना-तबीयतका हाल पूछना, शबाजी छत या चबूतरा जिसपर बैठकर चाँदनीका आनंद कुशल-प्रश्न करना । -में आना-दिलमें आना। ले सकें; चकोतरा। -नामा-पु० मासिक पत्र ।-बमाह । -सातवे आसमानपर होना-घमंड बहुत बढ़ जाना, -अ० हर महीने, माहवार । -चार-अ० हर महीने, गर्वसे पाँव सीधे न पड़ना। -होना-धमंड होना। प्रति मास । वि. मासिक । -वारा-पु० मासिक वेतन, मिज़ाजी-वि० [अ०] धमंडी, मिजाजवाला । तनखाह । -वारी-अ० दे० 'माहवार' । स्त्री० मासिक | मिटना-अ० क्रि० चिह्न, दाग आदिका दूर होना, लुप्त वेतन, भृति; मासिकधर्म, रजोदर्शन ।
होना; नष्ट होना; बरबाद होना। माहत*-स्त्री० महत्ता, महिमा ।
मिटाना-स० क्रि० दाग, निशान आदि दूर करना; नष्ट, माहना*-अ० क्रि० उमड़ना, उमंगमें आना। | लुप्त करना; बरबाद करना रद्द करना। माहली-पु० महलका, अंतःपुरका सेवक सेवक (कविता०)। मिटिया-स्त्री० मिट्टीका छोटा पात्र । वि० मिट्टीके रंगका;
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