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भौन-भ्राम संबंधी, पिशाचकृत । -वाद-पु. पंचभूतोंके आधारपर भ्रमरी-स्त्री० [सं०] मादा भौंरा; पार्वती; जंतुका लता। बना हुआ सिद्धांत ।-विज्ञान,-शास्त्र-पु० (फिजिक्स) भ्रमात्मक-वि० [सं०] धोखेमें डालनेवाला, संदिग्ध । वह विज्ञान जिसमें तत्त्वोंके गुण आदिका विवेचन किया भ्रमाना*--स० क्रि० धुमाना; बहकाना, भ्रममें डालना । गया हो । -विद्या-स्त्री० जादूगरी ।
भ्रमासक्त-पु० [सं०] तलवार आदि साफ करनेवाला। भौन*-पु० दे० 'भवन' ।
भ्रमि-स्त्री० [सं०] चक्कर, कुम्हारका चाक; खराद: भंवर भौना-अ० कि० चक्कर लगाना; घूमना ।
बगूला भ्रम, भूल; सेनाका चक्राकार व्यूह । भौम-वि० [सं०] भूमि संबंधी; भूमिसे उत्पन्न । पु० मंगल | भ्रमित-वि० [सं०] घूमता, चक्कर खाता हुआ; धुमाया, ग्रह नरकासुर जल । -प्रदोष-पु. मंगलवारको पड़ने चक्कर खिलाया हुआ। -नेत्र-वि० ऐंचा-ताना । वाला प्रदोष । -रत्न-पु० मूंगा। -वार,-वासर- भ्रमी(मिन्)-वि० [सं०] घूमने, चक्कर खानेवाला; पु० मंगलवार।
भ्रमयुक्त। भौमासुर-पु० [सं०] नरकासुर ।
भ्रमीन*-वि० भ्रमण करनेवाला । भोमिक-वि० [सं०] भूमि-संबंधी भूमिका । पु० भूस्वामी, | भ्रष्ट-वि० [सं०] नीचे गिरा हुआ; बिगड़ा हुआ दूषित जमींदार ।
आचारवाला; क्षीण नष्ट;...से च्युत ।-निद्र-वि. निद्राभौमी-स्त्री० [सं०] भूमिसुता, सीता।
से वंचित । -मार्ग-वि० जो मार्ग भूल गया हो। भौम्य-वि० [सं०] भूमि-संबंधी; पृथ्वीपरका ।
-श्री-वि० भाग्यहीन । भोर*-पु. भौरा, भँवर घोड़ोंका एक भेद ।
भ्रष्टा-स्त्री० [सं०] पतित स्त्री, दुश्चरित्रा। नंगी-पु० गुंजार करनेवाला एक फतिंगा ।
भ्रष्टाचार-वि० [सं०] जिसका आचार बिगड़ गया हो। भ्रंश, भ्रस-पु० [सं०] नीचे गिरना, पतन, हास; नाश | पु० दृपित आचार-बेईमानी, घूसखोरी इ० । मार्गसे विचलित होना; परित्याग ।
भ्रांत-वि० [सं०] भूला हुआ; भ्रमयुक्त हैरान, परेशान भ्रंशन, भंसन-पु० [सं०] नीचे गिरना, पतन, भ्रष्ट भ्रमता, चक्कर खाता हुआ । पु० मतवाला हाथीधतूरा, होना । वि० नीचे गिरानेवाला।
भ्रमण, चक्कर; भूल । भ्रंशित-वि० [सं०] नीने गिराया हुआ वंचित । भ्रांतापहनुति-स्त्री० [सं०] अपह्न ति अलंकारका एक भेद, भ्रंशी(शिन)-वि० [सं०] भ्रष्ट होनेवाला छीजनेवाला; जहाँ किसीको किसी पदार्थ में अन्य पदार्थका भ्रम हो भटकनेवाला; बरबाद करनेवाला।
जानेपर सच्ची बात कहकर उसका निराकरण किया जाय। भ्रंशोद्धार-पु० (सैलवेज) डूबे हुए या ध्वस्त किये हुए भ्रांति दूर करनेके लिए सची बात कहना । जहाजका समुद्रगर्भसे उद्धार करना ।
भ्रांति-स्त्री० [सं०] अयथार्थ ज्ञान, भ्रम; चक्कर; अस्थिरता; भ्रकुटि-स्त्री० [सं०] दे० 'भ्रकुटी' ।
संदेह घबड़ाहट; एक अर्थालंकार जहाँ उपमानके सदृश भ्रमंत-पु० [सं०] छोटा मकान ।
उपमेयको देखने पर उपमानका निश्चयात्मक भ्रम हो । भ्रम-पु० [सं०] घूमना, चक्कर; भूल; भटकना; मिथ्या, -कर-वि० भ्रमजनक । -नाशन-वि० भ्रम, भ्रांतिका अयथार्थ ज्ञान (जैसे रस्सीको साँप समझना); घबड़ाहट; नाश करनेवाला । पु० शिव । -हर-वि० भ्रांतिका जलावर्त; चकाचौध; उत्स, सोता; चक्करका राग; चाका नाश करनेवाला । चकी; खराद, भ्रांति अर्थालंकार; * भरम, प्रतिष्ठा । भ्रांतिमान(मत्)-वि० [सं०] भ्रमयुक्त; चकर खाता -कारी(रिन्)-वि० भ्रमोत्पादक । -जार*-पु० हुआ । पु० 'भ्रांति' नामक अर्थालंकार । भ्रमजाल । -जाल-पु. मोहपाश । -मूलक-वि० भ्राजक-वि० [सं०] चमकानेवाला। भ्रमसे उत्पन्न, भ्रमजनित । “वात-पु० ऊपर ही ऊपर भ्राजना*-अ० क्रि० शोभित होना; चमकना । चलती रहनेवाली वायु । -संशोधन-पु० भूलसुधार। | भ्राजमान-वि० शोभायमान । भ्रमण-पु० [सं०] घूमना, फिरना; यात्रा; अस्थिरता; भ्राजि-स्त्री० [सं०] चमक, दीप्ति । चक्कर; चकाचौंध । -कारी(रिन)-वि० धूमनेवाला, भ्रात*-पु० दे० 'भ्राता। घुमक्कड़। -वृत्तांत-पु० यात्राका वर्णन, पर्यटनकी भ्राता(त)-पु० [सं०] सगा भाई। -ज-पु. भाईका कहानी।
पुत्र । -जा-स्त्री० भाईकी पुत्री । -जाया-स्त्री० भ्रमन*-पु० दे० 'भ्रमण'।
भावज। -द्वितीया-स्त्री० कात्तिक शुक्ला द्वितीया, भैयाभ्रमना*-अ० क्रि० घूमना, भ्रमण करना; भ्रममें पड़ना, दूज । -पुत्र-पु० भतीजा । -भाव-पु० भाईकासा भूलना; भटकना।
स्नेह, भायप, भाईचारा। -वधू--स्त्री० भावज । - भ्रमनि*-स्त्री० दे० 'भ्रमण' ।
श्वशुर-पु० जेठ, पतिका बड़ा भाई। भ्रमर-पु० [सं०] भौरा, मधुप, उद्धव कामी; चाक; वटु, | भ्रातुष्पुत्र-पु० [सं०] भतीजा । लड़का चकाचौंध । -कीट-पु. एक तरहकी भिड़ । भ्रातुष्पुत्री-स्त्री० [सं०] भतीजी। -गीत-पु. वह गीत-संग्रह जिसमें भ्रमरको संबोधित | भ्रात्रीय-वि० [सं०] भ्राता-संबंधी। पु० भतीजा। कर गोपियों ने उद्भवको उलाहना दिया है।-निकर-पु० । भ्रात्रेय-१० [सं०] भतीजा । वि० भ्राता-संबंधी । मधुमक्खियोंका झुंड । -प्रिय-पु. एक तरहका कदंब । भ्राम-वि० [सं०] भ्रमयुक्त घूमनेवाला । पु० भूल, धोखा; भ्रमरावली-स्त्री० [सं०] भौरोंकी पंक्ति ।
। भ्रम, मिथ्या ज्ञान (यशोधरा)।
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