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भोगवती - भौतिक
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तरकी; लौंग आदिको अटकानेके लिए उसमें लगायी जाने | भोना* - अ० क्रि० रँगना; अनुरक्त होना; पैवस्त होना । वाली कील ।
भोपा - पु० दे० 'भोपा' । भोमि* - स्त्री० दे० 'भूमि' ।
भोर- पु० रात बीतने के बाद और सूर्योदय होनेके पहलेका समय, तड़का, प्रभात; एक सदावहार वृक्ष; एक पक्षी; * भूल; भ्रम । * वि० भोला; चकित - 'सूर प्रभुकी निरखि सोभा, भई तरुनी भोर'-सू०
भोगवती - स्त्री० [सं०] पाताल गंगा; नागिन; नागपुरी । भोगवना* - स० क्रि० दे० 'भोगना' | भोगवाना - स० क्रि० दे० 'भोगाना' |
भोगवान् (वत्) - वि० [सं०] भोगयुक्त । पु० साँप; नाट्य । भोगाधिकार - पु० [सं०] ( आकुपेंसी राइट ) खेत, भूमि आदिके भोगका स्थायी अधिकार जो प्रायः उसपर निर्धारित अवधितक काबिज रहनेके बाद किसीको प्राप्त होता है । भोगाना - स० क्रि० दूसरेको भोग कराना । भोगाई - वि० [सं०] भोगोपयोगी । पु० धन-संपत्ति । भोगावास - पु० [सं०] अंतःपुर | भोगींद्र - पु० [सं०] शेष; वासुकि पतंजलि । भोगी (गिन् ) - वि० [सं०] भोग करनेवाला; विषयासक्त, भोग-विलास में रत; कुंडलीयुक्त; फणदार । पु० साँप जमींदार; राजा; नाई ।
भोग्य - वि० [सं०] भोग करने योग्य । पु० भोग्य वस्तु, धन-संपत्ति, भोगबंधक रखी हुई चीज ।
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भोग्या - स्त्री० [सं०] वेश्या । भोज-पु० बहुत से लोगोंका साथ बैठकर खाना, ज्योनार; [सं०] भोजपुर; राजा दुह्युका एक पुत्रः कान्यकुब्ज में नवीं शती में हुआ एक प्रतापी नरेश; मालवाका पर मारवंशी राजा जो बड़ा पंडित, कवि और गुणी जनोंका आदर करनेवाला था (१०-११ वीं शती), राजा भोज । - देव - पु०. कान्यकुब्ज- नरेश भोजराज । -पति- पु० भोजराज; कंस । -पुर- पु० भोजकट नामका जनपद । -पुरिया - वि० [हिं०] भोजपुरका | पु० भोजपुरका निवासी । - पुरी - वि० [हिं०] भोजपुरका | पु० भोजपुरका निवासी । स्त्री० भोजपुर प्रदेशकी बोली । -राजपु० राजा भोज । -विद्या- स्त्री० इंद्रजाल ।
भोजक - पु० [सं०] भोजन करनेवाला; ज्योतिषी । वि० खानेवाला; भोजन देनेवाला; * भोगी; विलासी । भोजन- पु० [सं०] ठोस आहारको गलेके नीचे पहुँचाना, खाना; खानेकी चीज, खाद्य; खिलाना; भोगना; धन; एक पर्वत । -काल- पु० खानेका समय। - खानी* - स्त्री० रसोई । - गृह - पु० रसोईघर, भोजनशाला । त्यागपु० आहारका त्याग, उपवास । - भट्ट - पु० [हिं०] पेटू । - भूमि- स्त्री० भोजन करनेका स्थान । - चत्र- पु० खाना कपड़ा । - वेला - स्त्री०, - समय पु० दे० 'भोजनकाल' | - व्यय - पु० खाने-पीनेका खर्च । - शाला - स्त्री० भोजन करनेका स्थान; रसोई । भोजनार्थी (र्थिन् ) - वि० [सं०] भोजनका इच्छुक, भूखा । भोजनालय - पु० [सं०] भोजनशाला; होटल । भोजनीय - वि० [सं०] खाने योग्य, भोज्य । पु० आहार । भोजी (जिन्) - वि० [सं०] (समासांतमें) भोजन करनेवाला भोज्य-वि० [सं०] खाने योग्य, भोजनीय । पु० भोजन, खाद्य । -काल- पु० भोजनका समय । भोटिया - पु० भूटानका निवासी । स्त्री० भूटानको भाषा । भोडर, भोडल * - पु० अभ्रक, बुक्का । भोथर, भोथरा - वि० जिसकी धार कुंद हो गयी हो ।
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भोरा* - वि० दे० 'भोला' । [स्त्री० 'भोरी' । ] - नाथ* -
पु० दे० 'भोलानाथ' । पन* - पु० भोलापन, सिधाई । भोराई * - स्त्री० भोलापन, सिधाई ।
भोराना* - स० क्रि० बहकाना, भुलाना । अ० क्रि० भ्रममें पड़ना; मुलावे में आना ।
भोलना* - स० क्रि० बहकाना, भुलावा देना । भोला- वि० सीधा, सरल, जिसमें बनावट, छल-कपट न हो; मूर्ख, बुधू । - नाथ- पु० शिव । वि० सीधा-सादा । - पन - पु० सिधाई; मूर्खता । - भाला - वि० सीधा-सादा, निष्कपट |
भोहरा* - ५० भुइँहरा; खोह ।
भाँ-स्त्री० आँखके ऊपरकी हड्डीपर धनुष्के आकार में जमे हुए बाल, भ्रुकुटि । मु० - चढ़ाना, - तानना-रोप प्रकट करना, नाराज होना ।
भौंकना - अ० क्रि० दे० 'भूकना' ।
भौचाला - पु० भूकंप | भाँड़ा। - वि० दे० 'भोड़ा' ।
भतुवा - पु० प्रायः हाथमें होनेवाला एक तरह का वातज शोथ रोग; एक छोटा कीड़ा; तेलीका बैल | भार - पु० भ्रमर; जलावर्त ।
भौंरा-५० काला परदार कीड़ा जो फूलोंका प्रेमी माना जाता है, भ्रमर; बड़ी मधुमक्खी; पहियेको नाभि; रद्दटकी खड़ी चरखी; * एक खिलौना, लट्टू हिंडोलेमें ऊपर लगी हुई लकड़ी; तहखाना ।
भी राना * - स० क्रि० घुमाना, भाँवर फिराना । भौराला * - वि० घुँघराले (बाल) । भौंरी-स्त्री० चक्राकार में उगे हुए बाल या रोयें जो शुभाशुभसूचक माने जाते हैं; भाँवर; भँवर; एक तरहका भौरा । भौंह - स्त्री० दे० 'भीँ" ।
भौ हरा* - पु० दे० 'भुइँहरा' |
भौ* - पु० दे० 'भव'; दे० 'भय' । - जल, जलि* - पु० भवजाल, भवसागर - 'मैं बहुरि न भौजलि आउँगो' - कबीर । भौगोलिक - वि० [सं०] भूगोल-संबंधी |
भौचक, भौचक्का - वि० भय या आश्चर्य से हतबुद्धि, हक्काबक्का, हैरान ।
भौजंग - वि० [सं०] सर्प-संबंधी; सर्प जैसा । भौज* - स्त्री० दे० 'भावज' |
भौजाई, भौजी - स्त्री० भावज, बड़े भाईकी स्त्री । भौत - वि० [सं०] भूत-संबंधी; भूतनिर्मित, भौतिक, पैशाचिक; भूताविष्ट । पु० देवल, पुजारी; भूतपूजकः भूतयज्ञ; भूतोंका समूह ।
भौतिक - वि० [सं०] भूत-संबंधी, पंचमहाभूतों या किसी एक भूत से बना हुआ, पार्थिव, माद्दी; शरीर-संबंधी ; प्रेत
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