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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बिखय-बिछुड़न बिखय*-अ० विषयमें, संबंध । जाना । स० क्रि० दबोचना । बिखरना-अ०क्रि० चीजोंका बेतरतीबीसे इधर-उधर फैलना, बिगूतना*-अ० क्रि० दे० 'बिगूचना। तितर-बितर होना; फैल जाना। बिगोना*-स० क्रि० बिगाड़ना; गँवाना, व्यर्थ बिताना; बिखराना-स० क्रि० दे० 'बिखेरना। छिपाना; बहकाना हैरान करना । बिखाद*-पु० दे० 'विषाद'। बिग्यान*-पु. दे० 'विशान' । बिखान*-पु० दे० 'विषाण' । बिग्रह-पु० दे० 'विग्रह'। बिखीला*-वि० विपैला । बिघटन-पु० दे० 'विघटन'। बिखे*-अ० दे० 'बिखय'। बिघटना*-स० क्रि० तोड़ना, विघटित करना; बिगाड़ना । बिखेरना-सक्रि०तितर-बितर करना, फैलाना,छिटकाना। विधन*-पु० विघ्न, बाधा; बड़ा हथौड़ा, अभ्यास करना। बिगंध*-स्त्री० दुगंध, बदबू । -हरन* --पु० दे० 'विघ्नहरण'। बिग*-पु० वृक, भेड़िया। बिधार* --पु० बाघ । बिगड़ना-अ०क्रि० गुण-रूप आदिमें विकार होना; खराब विच*-अ० दे० 'बीच'। होना; काम देने लायक न रहना; अच्छीसे बुरी दशामें बिचकना-अ०क्रि० चौंकना, भड़कना । वि० चौकनेवाला। आना; टूट-फूट जाना; बेकार खर्च होना; बुराईके रास्ते-बिचकाना-सक्रि० भड़काना; मुहँ बनाना, मुहँ चिढ़ाना । पर जाना बद्ध होना; डाँटना; हाथी-घोड़े आदिका सवार बिचच्छन-वि० दे० 'विचक्षण' प्रकाशमान । आदिके काबूमें न रह जाना; बिगाड़ अनबन होना बिचरना-अ० क्रि० घूमना-फिरना, स्वच्छंद भ्रमण करना। विद्रोह करना; नष्ट होना, गलना-सड़ना (फल आदि)। बिचलना-अ० क्रि०विचलित होना, इटना; मुकरना। बिगड़े दिल-वि० बदमिजाज; लड़ाका । बिचला-वि० बीचका, मध्यम । बिगडैल-वि० क्रोधी, हठी, कुमार्गगामी । बिचलाना-सक्रि० विचलित करना; तितर-बितर करना । बिगर* -अ० दे० 'बौर'। बिचवई-पु. बीच-बिचाव करनेवाला, मध्यस्थ । स्त्री० बिगरना*-अ० क्रि० दे० 'बिगड़ना। मध्यस्थता। बिगराइल, बिगरायल, बिगरैल*-वि० दे० 'बिगळ'। बिचवान, बिचवानी-पु० मध्यस्थ । विगलित-वि० दे० 'विगलित'। बिचहुत*-पु० अंतर दुविधा। बिगसना*-अ० कि० दे० 'विकसना'। स० कि० देना, | विचार-पु० विचार, खयाल; इरादा। -मान*-वि. वकसना। विचारवान् विचारणीय । बिगसाना*-सक्रि० दे० 'विकसाना'। अ० क्रि० दे० | बिचारना-सक्रि० विचार करना,सोचना; इरादा करना। 'विकसना'। बिचारा-वि० दे० 'बेचारा'। बिगाड़-पु० बिगड़नेका भाव, खरावी; अनबन, झगड़ा। बिचारी-वि०विचारवान्, विचार करनेवाला । बिगाडना-स० क्रि० दोष-विकार उत्पन्न करना, खराब बिचाल*-पु० विचलित करनेका भाव; अंतर । करना टेढ़ा, विकृत करना(मुंह); बुराईकी ओर ले जाना बिचुकना*-वि० चौंकनेवाला । बहकाना बुरी आदत लगाना; सतीत्व नष्ट करना; बरबाद बिचेत*-वि० अचेत, बेहोश । करना; तोड़-फोड़ देना। बिचौहाँ*-वि० बीचका, बीचवाला। बिगाना-वि० दे० 'बेगाना। बिच्छित्ति-स्त्री० दे० 'विच्छित्ति' । बिगार-* पु० दे० 'बिगाड़' । । स्त्री० दे० 'बेगार'। बिच्छी-स्त्री० दे० 'बिच्छू'। बिगारि, बिगारी*-स्त्री० दे० 'बेगार' । बिच्छ-पु० एक जहरीला जंतु जिसके डंक मारनेसे बहुत बिगास*-पु० दे० 'विकास'। पीड़ा होती है, वृश्चिक; एक तरहकी घास । बिगासना*-स० क्रि० विकसित करना । बिच्छेप-पु० दे० 'विक्षेप' । बिगिर*-अ० दे० 'बगर'। बिछना-अ० क्रि० बिछाया-फैलाया जाना। बिगुन -वि० विगुण, गुणरहित, निर्गुण । बिछलन-पु० फिसलन । बिगुर*-वि० जिसने गुरुसे शिक्षा या दीक्षा न ली हो, | बिछलना, बिछलाना-अ० कि० फिसलना; डगमगाना। निगुरा। बिछवाना-सक्रि० बिछानेका काम किसी औरसे कराना। बिगुरचन, बिगुरचिन -स्त्री० दे० 'बिगूचन' । बिछाना-स० क्रि० आसन-बिस्तर आदिको जमीन, चारबिगुरचना*-अ० क्रि० दिक्कतमें पड़ना। पाई आदिपर फैलाना; बिखेरना; मारकर गिरा देना। बिगुरदा*-पु० पुराने वक्तका एक हथियार । बिछायत*--स्त्री० बिछानेकी चीज, बिछावन । बिगुल-पु० [अं०] सेना या पुलिसमें सिपाहियों को एकत्र बिछावन-पु० दे० 'बिछौना' । करनेके लिए बजाया जानेवाला तुरहीके ढंगका बाजा। बिछिप्त*-वि० दे० 'विक्षिप्त'। मु०-बजना-कृच करने आदिका आदेश होना, डंका बिछिया-स्त्री० पाँवकी उँगलियोंमें पहननेका एक गहना। बजना। बिछुआ, बिछुवा-पु० पाँवका एक गहना; एक तरहकी बिगूचन* -स्त्री० उलझन, असमंजस; कठिनाई । छुरी (कटार)। बिगूचना*-अ० कि० उलझन, असमंजसमें पड़ना; दबाया बिछड़न*-स्त्री० बिछुड़नेका भाव, वियोग, जुदाई । श्री० विछानवरना मारकर जमीन, चार For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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