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बबुई-बरछी
५५४ आदिका स्नेहसूचक संबोधन ।
काट लेता है। साई । * अ० कि० बड़बड़ाना । बबुई।-स्त्री० बड़े जमींदार, बाबूकी बेटी; बेटी; छोटी ननद। बयाबान-पु० [फा०] जंगल, उजाइखंड । बबुरी-पु० दे० 'बबूल'।
बयार, बयारि*-स्त्री. हवा, वायुः शीतल-मंद वायु । बबूल-पु० एक प्रसिद्ध कँटीला पेड़, कीकर ।
मु०-करना-पंखा झलना, पंखेसे हवा करना। बबूला-पु० दे० 'बगूला'; दे० 'बुलबुला' ।
बयारी-स्त्री० ब्यालू दे० 'बयार'। बभनी-स्त्री० जोंकके आकारका छिपकली जैसा एक जंतु । बयाला*-पु. वह छेद जो बाहरका दृश्य देखने या गोली बम-पु. शिवकी प्रसन्नताके लिए कहा जानेवाला एक चलानेके लिए. दीवार में बना हो; ताखा, आला। शब्द; एक्के, बैलगाड़ी आदिमें आगेकी ओर निकला हुआ बयालीस-वि० चालीस और दो। पु० ४२ की संख्या । बाँस या लकड़ी जिसमें घोड़े जोते जाते हैं। शहनाईके बयासी-वि० अस्सी और दो। पु० ८२'की संख्या। साथका छोटा नगाड़ा। -भोला-पु० शिव । मु०- बर-पु० दूल्हा । -काज*-पु० व्याह । -का पानीबोलना-समाप्त हो जाना (शक्ति, पूँजी, सामग्री आदि- नहछुके. समय बरका नहाया हुआ पानी जो कन्याको का), दिवाला हो जाना।
नहलानेके लिए उसके यहाँ भेजा जाता है। - नेत-स्त्री० बम-पु० [अं॰ 'बॉम'] लोहेका लंबोतरा गोला जिसमें बारूद व्याहकी एक रस्म ।
और छिटकनेवाली चीजें भरी होती है और जो हवाई बर*-पु० दे० 'बल'-'देख्यो मैं राजकुमारनको पर'जहाजसे गिराया जाता या हाथसे तथा तोपमें भरकर राम० । -जोर-वि० जोरदार, जबर्दस्त । -जोरीभी फेंका जाता है। -कांड-पु० बमका प्रहार, विस्फोट। स्त्री० जबर्दस्ती । अ० बलात् । -गोला-पु० बमका गोला। -बाज़-पु० दुश्मनपर बम बर*-पु० बरगद बरदान, आशीर्वाद । अ० बल्कि । वि० बरसानेवाला (हवाई जहाज)। -बाजी,-बारी-स्त्री० श्रेष्ठ । -गंध-पु० सुगंधित मसाला । बम-वर्षा । -वर्षक,-वर्षी-पु० (बमर ) प्रस्फोटी(बमो) बर-अ० [फा०] अपर, पर बाहर । पु० फल; क्रोड, बगल; की वर्षा करनेवाला हवाई जहाज ।
देह । प्र० ले जानेवाला, ढोनेवाला (दिलबर इत्यादि)। बमकना-अ० क्रि० आवेशमें अपने बल-पौरुषकी डींग -करार-वि० स्थिर, कायम, बहाल; दृढ़ जीवित; बना मारना; उछलना; फूटना।
हुआ । -खास,*-खा(ख्वा)रत-वि० उठा हुआ, बमचख-स्त्री० शोरगुल (मचान।)।
विसर्जित (जलसा आदि); समाप्त; नौकरीसे अ.ग किया बमना*-स० क्रि० वमन करना ।
हुआ, बरतरफ । -खास्तगी-स्त्री. समाप्ति; बरतरफी। बमीठा-पु० बाँबी, वल्मीक ।
-खिलाफ--वि० विरुद्ध, प्रतिकूल । अ० (के) विरुद्ध । बम्हनी-स्त्री० दे० 'बभनी'; आँखका एक रोग, बिलनी; -तरफ-वि० नौकरीआदिसे अलग किया हुआ, मौकूफ।
हाथीकी पूँछ सड़नेका एक रोग; लाल रंगकी जमीन। -दाश्त-स्त्री० सहना, उठाना; जानवरों की देखभाल, बयँ हत्था-वि० (लैफ्ट हैंडर) कामकाजमें बायें हाथका ही रखरखाव ।-पा-वि० खड़ा,उपस्थित । [मु०-पा होना विशेष रूपसे प्रयोग करनेवाला; बायें हाथसे गेंद फेंकने- -खड़ा होना, मचना (फसाद बरपा होना)।]-वादवाला, वामहस्तिक।
वि० फेंका हुआ, नष्ट; तबाह (जाना, होना)। -बादीबब-पु०, स्त्री० दे० 'वय' । स्त्री० जुलाहोंका एक औजार, स्त्री० नाश; तबाही, खराबी। -वक्त-अ० समयपर, कंधी।
मौकेपर। बयन*-पु० दे० 'बैन ।
बरई-पु० तमोली । बयना*-स० क्रि० बीज बोना; वर्णन करना। अ० क्रि० | बरकंदाज़-पु. लंबी लाठी या बंदूक लेकर चलनेवाला बहना, लगना, आरोपित होना । पु० मित्रों तथा संव- सिपाही; चौकीदार । धियोंके यहाँ भेजा जानेवाला पकवान ।
बरकत-स्त्री० [अ०] वृद्धि, बढ़ती; सौभाग्य; लाभ; बहुबयर*-पु० दे० 'बैर'।
तायत; बढ़ती करनेका गुण, प्रभाव, प्रसाद । बयस-स्त्री० दे० 'वय (स। -वाला*-वि० वयस्क, बरकना -अ०क्रि० घटित न होना; टलना; बचना युवा । -सिरोमनि*-स्त्री० जवानी, यौवन ।
अलग रहना । स० क्रि० रोकना, मना करना । बया-पु० गौरेयासे मिलती-जुलती एक चिड़िया जो अपना बरकाना*-स० क्रि० निवारण करना; हटाना; बचाना घोंसला बड़े कौशलसे बनाती है; आदतों आदिमें माल | पीछा छुड़ाना।। तौलनेका काम करनेवाला।
बरख*-पु० दे० 'वर्ष'। बयाई-स्त्री० बयाका धंधा तौलनेकी उजरत, तौलाई। बरखना-अ० कि० बरसना । स० क्रि० बरमाना । बयान-पु० [अ०] कथन, वचन, उक्ति; वर्णन; वक्तव्यः | बरखा*-स्त्री० वर्षा; वर्षा ऋतु । तथ्योंका विवरण जो अदालतमें वादी या प्रतिवादी द्वारा | बरखाना*-स० क्रि० दे० 'बरसाना'। लिखकर या जबानी प्रस्तुत किया जाय । -तहरीरी- बरग-पु० दे० 'वर्ग'; दे० 'बर्ग'। पु० लिखा हुआ बयान जो प्रतिवादी अरजी दावेके जवाब- बरगद-पु० बड़का पेड़, वटवृक्ष । में दाखिल करता है।
बरच्छा -स्त्री० दे० 'बरेच्छा'। बयाना-पु० वह रकम जो सौदा पक्का करनेके लिए खरी- | बरछा-पु० भाला। दार बेचनेवालेको पेशगी देता और पीछे वस्तुके मूल्यमेंसे | बरछी-स्त्री० छोटा बरछा।
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