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बचपन - बटना
प्राण-रक्षा होना; अलग रहना, परहेज करना । * स० क्रि० बोलना, कहना ।
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बच्चा - पु० नवजात शिशुः शिशुः वत्स, लड़का । वि० कमउम्र, नादान; अनुभवहीन । कश- वि० स्त्री० बहुत बच्चे जननेवाली, बहुप्रसवा (स्त्री) । - कशी - स्त्री० बारबार बच्चे देना । -दानी - स्त्री० गर्भाशय । ( बच्चे )कच्चे - पु० बाल-बच्चे छोटे बच्चे । -वाली- स्त्री० वह स्त्री जिसकी गोदमें बच्चा हो, जच्चा । मु०-देना- गायभैस आदिका बच्चा जनना । ( बच्चों ) का खेल - बहुत
आसान काम ।
बच्ची - स्त्री० पायजेबका घुँघरू; बच्चाका स्त्री० ।
बच्छ* - ५० दे० 'वत्स'; ढाल; वक्ष, सीना । बच्छल * - वि० दे० 'वत्सल' |
बच्छस - पु० दे० 'वक्ष'
बच्छा - पु० दे० 'बाछा'; 'बछड़ा' ।
बचपन - पु० लड़कपन, बालावस्था । बचवैया* - पु० बचानेवाला, रक्षक | बचा* - पु० दे० 'बच्चा' ।
बजरी - स्त्री० कंकड़ी; ओला; छोटा कंगूरा; बाजरा ।
बचाना - स० क्रि० रक्षा करना; बाकी रखना, खर्च न बजवाई - स्त्री० बाजा बजानेकी उजरत । होने देना; अलग रखना; छिपाना । बजवाना - स० क्रि० बजानेका काम दूसरे से कराना ।
सफाई (अभियोग से) ।
बचाव-पु० बचने या बचानेका भाव, रक्षा; आत्मरक्षा; बजवैया - पु० बाजा बजानेवाला | बजागि* - स्त्री० वज्राग्नि, बिजली । बजागिन * - स्त्री० वज्राग्नि, बिजली | बज़ाज़ - पु० [अ०] कपड़ा बेचनेवाला, वस्त्र-वणिक् । बजाजा - पु० कपड़ोंका बाजार, वह स्थान जहाँ वजाजोंकी दुकानें ।
बछ* - पु० बछड़ा । स्त्री० बच । - नाग-पु० एक स्थावर
विष ।
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काला गोला बीज जिसकी माला छोटे बच्चोंको नजर लगने से बचाने के लिए पहनायी जाती है ।
बजट - पु० [अ०] आय व्ययका तख्मीना, आय-व्ययक | बजड़ा - पु० दे० 'बजरा' ।
बजना - अ० क्रि० ध्वनि उत्पन्न होना; ध्वनि उत्पन्न करनेवाला आघात होना; बाजेसे आवाज निकलना; बजाया जाना; चलना (लाठी, तलवार आदिका); प्रसिद्ध होना; * हठ करना ।
बनियाँ, बजनिहाँ+ - पु० बाजा बजानेवाला । बजबजाना+ - अ० क्रि० सड़े हुए गंदे पानी आदि में बुलबुले उठना ।
बजमारा* - वि० वज्रका मारा हुआ, जिसपर बिजली गिरी हो (स्त्रियों द्वारा शापरूपमें प्रयुक्त) ।
बजरंग - वि० जिसका शरीर वज्र जैसा दृढ़ हो । पु० हनूमान् । -बली - पु० हनूमान् ।
बजर* - पु० दे० 'वज्र' । -बटटू - पु० एक पेड़के फलका
बजरा - पु० बड़ी और पटी हुई नाव; + दे० 'बाजरा' । बजरागि* - स्त्री० वज्राग्नि, बिजली |
बज़ाज़ी - स्त्री० बजाजका व्यवसाय |
बजाना - स० क्रि० आघात से आवाज पैदा करना; बाजेसे आवाज निकालना; आवाज निकालकर जाँचना, परखना (रुपया आदि); मारना, चलाना (लाठी, तलवार ); पूरा करना | बजाकर - अ० डंका पीटकर, खुले खजाने ।
बजार* - ५० दे० 'बाज़ार' |
बजारी* - वि० दे० 'बाज़ारी' । बजारू - वि० दे० ' बाजारू' ।
बजूखा- पु० दे० 'बिजूखा' । बज्जना* - अ० क्रि० दे० 'बजना' |
बज्जात * - वि० दे० 'बदज़ात' ।
बज्र - पु० दे० 'वज्र' ।
बज्री- पु० दे० 'वज्री' ।
बझना * - अ० क्रि० फँसना, उलझना; बँधना; हठ करना ।
बछड़ा, बछरा* - पु० गायका बच्चा, वत्स ।
बछरू * - पु० दे० 'बछड़ा' ।
बछल* - वि० दे० 'वत्सल' ।
बछवा, बछा* - पु० दे० 'बछड़ा' ।
बझाउ * - पु० दे० 'बझाव' |
बछिया - स्त्री० गायका मादा बच्चा । मु० - का ताऊमोंदू; मूर्ख, अज्ञान ।
बझान - स्त्री० बझने, फँसनेकी क्रिया ।
बछेड़ा
- पु० घोड़ेका बच्चा ।
बझाना - स० क्रि० फँसाना, उलझाना | बझाव - पु० उलझाव, फँसाव ।
बछेरू* - पु० बछड़ा; बच्चा - 'केसोदास मृगज बछेरू चोषै बझावना * - स० क्रि० दे० 'बझाना' । बाघिनीन' - राम०
बजंत्री- पु० बाजा बजानेवाला, बजनियाँ; बाजा बजानेवालोंका गिरोह; मुसलमानोंके राज्यकालमें पेशेवर गानेबजानेवालोंसे लिया जानेवाला कर ।
बट - पु० दे० 'वट'; बाट, वजन; रास्ता (बाटका लघु रूप); बट्टा बड़ा; किसी चीजका गोला; * हिस्सा । स्त्री० रस्सीकी ऐंठन, बटन । - परा* - पु० दे० 'बटमार' । - पारपु० दे० 'बटमार' | - पारी - स्त्री० दे० 'बटमारी' ।-मारपु० राह में लूट लेनेवाला, राहजन । -मारी - स्त्री० वट मारका काम, पेशा । -वार-पु० रास्तेपर पहरा देनेवाला रास्तेका कर वसूल करनेवाला । बटखरा- पु० बाट, तौलनेका लोहे आदिका टुकड़ा । बटन - स्त्री० बटनेकी क्रिया या भाव; रस्सी आदिकी ऐंठन; बादलेका एक तरहका तार । पु० [अ०] सीप सींग आदिकी छेददार या बिना छेदकी घुंडी जिसे काजमें अटकाकर कपड़े के दो भाग या पहले परस्पर मिलाये जाते हैं, बुताम; बिजली आदिका स्विच या घुंडी जिससे रोशनीका बल्ब जलाया बुझाया पंखा आदि खोला बंद किया जाता है । बटना - स०क्रि० सूत, धागेके रेशों आदिको तागा, डोरी, रस्सी आदि बनानेके लिए मिलाकर ऐंठना । अ० क्रि० पिसना, पिसा जाना । पु० रस्सी बटनेका आला; उबटन । मु०-खेलना-ब्याह के अवसर पर परिहासार्थ एक दूसरेको
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