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फरमाना-फर्श भाव।
नाँद । फरमाना-स० कि० कहना, आज्ञा करना (आदरार्थक फरियाद-स्त्री० [फा०] जुल्मकी शिकायत, अन्यायप्रयोग)।
अत्याचारसे बचानेकी प्रार्थना, दुहाई नालिश। फरयाद-स्त्री० दे० 'फरियाद'।
फ़रियादी-वि० [फा०] फरियाद, नालिश करनेवाला । फरलांग-पु० [अं॰] दूरीकी एक माप, २२० गज । पु० अभियोक्ता, मुस्तगीस । मु०-होना-नालिश फरिफरवी-स्त्री० भूना हुआ चावल, लाई।
याद करना। फरश-पु० दे० 'फ़र्श'। -बंद-पु० फर्शके रूपमें बना फरियाना -स० क्रि० चावल आदिका कचरा धोकर साफ हुआ (समतल) ऊँचा स्थान ।
करना; निर्णय करना। अ० क्रि० साफ होना; निति फरशी-स्त्री० [फा०] तंग मुँह और चौड़े पेंदेका बरतन
होना। जिसके मुँह पर हुक्का नैचा बैठाया जाता है, गुड़गुड़ी; फ़रिश्ता-पु० [फा०] दे० 'फिरिश्ता'। बंदूकका एक पुरजा जिसमें गज रखते हैं। वि० फर्शका; फरी-स्त्री. चमड़ेकी ढाल जिसपर गतवकी मार रोकी फर्श-संबंधी। -जूता-पु० फर्शपर या घरमें पहननेका । जाती है-'लैके खड्ग फरी गहि हाथा'-सवलसिंह; फड़ । जूता।-पंखा-पु० छतमें लटकानेका पंखा ।-सलाम- | रीक-पु० [अ०] जुदा करनेवाला; जमात, पक्ष मुकपु० वह सलाम जिसमें सिर फर्शके साथ लग जाय, दमेमें वादी, प्रतिवादी या वादी प्रतिवादी पक्षका कोई बहुत झुककर किया जानेवाला सलाम ।
व्यक्ति । -औवल-पु० मुद्दई । -बंदी-स्त्री० गुटबंदी, फरस-पु० दे० 'फर्श'; * दे० 'फरसा'।
तरफदारी। -सानी-पु० मुद्दालेह । फरसा-पु० फावड़ा; परशु ।
फरीकैन-पु० [अ०] वादी-प्रतिवादी दोनों, उभयपक्ष फरसी-स्त्री०, वि० दे० 'फरशी'।
(द्विवचन)। फ्ररहंग-पु० [फा०] कोशा टीका, व्याख्या, कुंजी। फरुई-स्त्री० दे० 'फरवी'। फरहत-स्त्री० [अ०] प्रसन्नता, प्रफुल्लता। -बख्श-वि० फरुहरी-स्त्री० फड़कनेकी क्रिया, स्पंदन । फरहत देनेवाला।
| फरुही-स्त्री० छोटा फावड़ा; खेतीके काम आनेवाला एक फरहद-पु. एक वृक्ष जिसकी गणना पंच देवतरुओंमें है, औजार; दे० 'फरवी'। पारिभद्र ।
फरेंदा-पु० दे० 'फलंदा'। फरहरना*-अ० कि० फड़कना; फहराना।
फरेब-पु० [फा०] छल, धोखा । वि० (समासके अंतमें) फरहरा-पु० पताका। वि० अलग-अलग; शुद्ध प्रसन्न ।
ठगने, लुभानेवाला (दिलफरेब, नज़रफ़रेब)।
ठगन, लुभानवाला दलका फरहराना-अ० कि० दे० 'फरहरना'।
फरेबिया-वि० दे० 'फरेबी' । फरहरी*-स्त्री० फल; जंगली फल ।
फरेबी-वि० [फा०] फरेब करने, धोखा देनेवाला । फरहाद-पु० [फा०] 'शीरी -फरहाद' कहानीका नायक | फरेरा*-पु० झंडा, पताका । जिसने शीरी से मिलनेके लिए कोहे वेसितूनसे शीरी के फरेरी -स्त्री० दे० 'फरहरी'। महलतक नहर खोदकर लानेकी शर्त पूरी की। फरोख्त-स्त्री० [फा०] बिक्री, बेची। फरा-पु० भापसे पकाया हुआ पीठा।
फरोख्ता-वि० [फा०] बेचा हुआ, बिका हुआ। फराक*-वि० दे० 'फ़राख'। पु० लंबी-चौडी खली जगह, रोश-वि० [फा०] (समासमें) बेचनेवाला (मेवाफरोश)। मैदान; दे० 'फाक'।
फर्क-पु० [अ०] अंतर, दूरी; बिलगाव, भेद, भिन्नता । फराकत*-वि० दे० 'फ़राख' । स्त्री० दे० 'फरारात'। फर्ज-पु० [अ०] ईश्वरादिष्ट अवश्य कर्तव्य कर्म, (मुसल०) फरान-वि० [फा०] चौड़ा, विस्तृत, कुशादा । -दस्त,- शास्त्रविहित कर्म, कर्तव्य; जिम्मेदारी; कल्पना । मु०दामन-वि० धनी; उदार। -हौसला-वि० ऊँची | अदा करना-कर्तव्यका पालन करना । -करनाहिम्मतवाला; धैर्यवान् ।
मानना, कल्पना करना। फरात्री-स्त्री० [फा०] फराख होना, फैलाव खुशहाली। फर्जी-वि० [अ०] फर्ज किया हुआ, खयाली, काल्पनिक । फ़राग़त-स्त्री० [अ०] छुटकारा, बेफिक्री; मलत्याग । फर्द-वि० [अ०] एक, अकेला; बेजोड़ । स्त्री० सूची, फिह
-खाना-पु० शौचालय, पाखाना । मु०-जाना-शौच रिस्त; निमंत्रितोंकी सूची, बंद; चिट्ठा, चादर, शाल, जाना । -पाना-छुटकारा पाना, फुरसत पाना। रजाईका ऊपरका पल्ला । पु० व्यक्ति, अकेला आदमी फरामोश-वि० [फा०] भूला हुआ, विस्मृत ।
गंजीफेका वरक ।-जुर्म-स्त्री० वह कागज जिसपर अभिफरामोशी-स्त्री० [फा०] विस्मृति, भूल-चूक ।
युक्तका अपराध और दफा लिखी जाती है, अभियोगसूची। फरार*-पु० फलाहार; फैलाव ।
फर्दन्-फर्दन्-अ० अलग-अलग, हर आदमीसे। फरार-वि० भागा हुआ। पु० [अ०] भागना, गायब होना। फर्दी-वि० जिसमें एक हो । स्त्री० फर्द, सूची। फरारी-वि० [अ०] भागा हुआ। पु० अपराधी जो भाग फर्राटा-पु० तेजी । मु०-भरना-मारना-तेजीसे दौड़ना। गया हो या भागता फिरे ।
फर्राश-पु० [अ०] फर्श बिछानेवाला; खेमा लगानेवाला, फरासीसी-पु० फ्रांसका रहनेवाला । वि० फ्रांसका । स्त्री० झाड़ देनेवाला। फ्रांसकी भाषा, फ्रेंच ।
फर्राशी-स्त्री० फर्राशका काम -पंखा-पु०छतका पंखा। फरिया-स्त्री० एक तरहका लहँगा ओढ़नी। पु० मिट्टीकी फर्श-पु० [अ०] वह चीज जो जमीनपर बिछायी जाय
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