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पीटना-पीत नियुक्त किया जाना; किसीको पकड़नेके लिए तैनात किया उत्तेजित करना, बढ़ावा देना। -दिखाना-भाग खड़ा जाना ।-छूटना-पिछड़ जाना (जाने के साथ) । (किसी. होना ।-देना-भाग खड़ा होना साथ छोड़ देना; लेटना। के)-छोड़ना-किसीकी स्थिति, कार्य आदिका पता देने के -पर हाथ फेरना-बढ़ावा देना, शाबाशी देना। -पर निमित्त उसकी निगरानीपर नियुक्त करना; किसीको पक- होना-मददगार होना ।-फेरना-दे० 'पीठ दिखाना' । ड़ने के लिए नियुक्त करना । (किसीके)-पड़ना-किसी (किसीकी)-लगना-कुश्ती में चित किया जाना,पछाड़ा वस्तुको मिटा देनेके लिए तुल जाना; किसी व्यक्तिको जाना । (घोड़े, बैल आदिकी)-लगना-पीठपर जख्म हैरान करने या उसे हानि पहुँचानेके लिए निरंतर यत्न होना, पीठका क्षत होना। (किसीकी)-लगाना-कुश्तीकरना ।-लगना-किसी प्रयोजनकी सिद्धिके लिए किसी में चित कर देना, पछाड़ देना । का आश्रय लेना; किसी कार्यकी सिद्धिके लिए किसीके | पीठा-पु० आटेकी लोई में उर्द या चनेकी पीठी भरकर पीछे-पीछे फिरना; किसी अप्रिय या हानिकर वस्तुका पीछा बनायी जानेवाली विशेष प्रकारकी भोज्य वस्तु; * पीढ़ा। न छोड़ना।
पीठासीन-वि० [सं०] (प्रिजाइडिंग) जो अध्यक्षके स्थानपर पीटना-स० क्रि० किसी वस्तुपर आघात करना, चोट पहुँ- आसीन हो । मु०-होना-अध्यक्षता करना, अध्यक्षका चाना; किसी प्राणीपर हाथ, डंडे आदिसे आघात करना, स्थान ग्रहण करना। मारना; किसी वस्तुपर डंडे आदिसे लगातार आघात पीठि*-स्त्री० पीठ । करना; सोने-चाँदी आदिके टुकड़ेको बढ़ाने या फैलानेके पीठिका-स्त्री० [सं०] धातु, पत्थर या काठका विशेष प्रकारलिए उसपर हथौड़े आदिसे आघात करना; किसी तरह का आसन (जैसे पीढ़ा, चौकी); वह आधार जिसपर किसी समाप्त करना, जैसे-तैसे पूरा करना; जैसे-तैसे कमा लेना, देव-प्रतिमाकी स्थापना की गयी हो, देवमूर्तिका आधार किसी भी तरह उपार्जित करना। पु० रोना, धोना, पिट्टसः | मूर्ति, खंभे आदिका आधार; पुस्तिकाका विशिष्ट अंश या विपत्ति, भारी संकट।
विभाग; पृष्ठभूमि; (चेयर) किसी अध्यापकका पद या पीठ-पु० [सं०] लकड़ी, पत्थर या धातुका आसन-पीढ़ा, | कार्य (वृत्ति)। चौकी आदि व्रतियोंके बैठनेका आसन (जैसे-कुशासन); | पीठी-स्त्री० पानीमें भिगोकर पिसी हुई उ या मूंगकी वह आधार जिसपर :किसी देव-प्रतिमाकी स्थापना हो, दाल जिससे पकौड़ी आदि बनाते हैं। सिंहासन मूत्ति आदिका आधार उन प्रसिद्ध स्थानोंमेंसे | पीढ़ -स्त्री० एक प्रकारका शिरोभूषण; पीड़ा। कोई एक जो विष्णुके चक्रसे कटे हुए सतीके शवके अंगोंके पीढक-पु० [सं०] पीड़ा देनेवाला, पीडित करनेवाला; गिरनेके कारण सिद्धिदायक माने जाते हैं; बैठनेका एक दबानेवाला, चाँपनेवाला; पेरनेवाला। ढंग; एक प्रकारका आसन; (चेयर) सभापति आदिका पीडन-पु० [सं०] दबाना, चाँपना; मलना; पीड़ा पहुँआसन; (सीट) न्यायाधीशका आसन (न्यायपीठ); (बेंच)
चाना, दुःख देना, सताना पेरना; निचोड़ने या पेरनेका विधानसभा आदिमें विभिन्न दलोंके बैठनेके लिए निर्धारित औजार, अनाजके डंठलसे अन्नको अलग करनेके लिए आसन या पंक्तियाँ (सरकारी पीठ, विरोधी पीठ-बहु०); रौंदना या रौदवाना मीजना, मसलना; ग्रहण करना, (सेंटर) स्थान,केंद्रादि (विद्यापीठ); शांकरमठ (जैसे-शारदा- हाथमें लेना, पकड़ना (जैसे-करपीड़न); पीप निकालनेके पीठ); -गर्भ-विवर-पु० मूर्तिके आधारमेंका वह लिए फोड़ेको दबाना । गढ़ा जिसमें वह जमायी जाती है। -मर्दिका-स्त्री० पीडनीय-वि० [सं०] पीड़नके योग्य; दबानेके काम आनेवह स्त्री जो नायकको रिझाने में नायिकाकी सहायता वाला । पु० बिना मंत्री और सेनाका राजा; शत्रुका एक करती है (सा०)। -स्थविर-पु० (रजिस्ट्रार) विश्वविद्यालय, विद्यापीठ, गुरुकुल आदिका वह (वृद्ध) पदाधिकारी जो पीडा-स्त्री० [सं०] शारीरिक या मानसिक कष्ट, व्यथा; संस्थाके कागज-पत्र, छात्रों-संबंधी विवरण इत्यादि रखता | दर्द; बाधा; रोग। -कर-वि० दुःख देनेवाला, कष्ट पहुँ
और उनकी शिक्षा-दीक्षाका प्रबंध करता है; कुलसचिव ।। चानेवाला। पीठ-स्त्री० किसी प्राणीके शरीरका कमरसे लेकर गरदन- पीडिका-स्त्री० [सं०] फुड़िया, फुसी। तकका पीछेका भाग जिसके बीचोबीच रीढ़ रहती है, पृष्ठ पीडित-वि० [सं०] जिसे पीड़ा पहुँचायी गयी हो, सताया किसी वस्तुका ऊपरी भाग, पृष्ठ-भाग। -पीछे-अ० अनु
हुआ; दबाया हुआ, चाँपा हुआ; असा हुआ, ग्रस्त; ध्वस्त; पस्थिति में, मौजूद न रहनेपर। -का,-परका-किसी
| बँधा हुआ; मला हुआ, मसला हुआ; पेरा हुआ। सहोदरके पीछे जनमा हुआ। -का कच्चा-(वह घोड़ा) पीडरी-स्त्री० दे० 'पिंडली'। जो एक आसनसे सवारको देरतक न ले जा सके; (वह पीटा-प० काठ, पत्थर या धातुका चौकी जैसा आसन । घोड़ा) जिसपर सवारी या लदाई करनेसे उसकी पीठ पीढ़ी-स्त्री०किसी कुल, जाति या व्यक्तिके किसी वंशधरकी छिल जाय। -का मोजा-कुश्तीका एक दाँव ।-का | गणना और पदके अनुसार विशिष्ट स्थान; किसी पीढ़ीके सच्चा-(वह घोड़ा) जो सवारी करने पर अच्छी चाल चले। _ अंतर्गत आनेवाले व्यक्तियोंका समुदाय । और किसी तरहकी बदमाशी न करे। मु०-चारपाईसे
[ कर। मु०-चारपाईसे पीत-वि० [सं०] पीला; पिया हुआ; जिसने पिया हो। लगना-बीमारका अशक्तताके कारण उठने-बैठनेमें अस
| पु० पीला रंग; पुखराज, हरताल; गंधक; चंपक । मर्थ हो जाना ।-ठौँकना-कोई अच्छा काम करनेपर -धातु*-स्त्री० गोपीचंदन । -यासा(सस)-वि० शाबाशी देना; प्रशंसा करके कोई कार्य करनेके लिए पीले वस्त्रवाला । पु० कृष्ण ।
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