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पिलकिया - पीछे
पिलकिया * - स्त्री० एक पीलीसी छोटी चिड़िया । पिलना- अ० क्रि० किसी ओर वेगसे प्रवृत्त होना; घुस पड़ना; झुक पड़ना; तत्पर होना; जी-जान से लग जाना (किसी काम में ); * किसी ओर वेगसे झपटना; प्रेरा जाना । पिलपिल+ - वि० दे० 'पिलपिला' | पिलपिला - वि० बहुत नरम, पिचपिचा ।
पिलपिलाना - स० क्रि० चारों ओरसे इस प्रकार दबाना कि पिलपिला हो जाय और भीतरका रस या गूदा बाहर निकल पड़े |
पिलपिलाहट - स्त्री० पिलपिला होनेका भाव । पिलवाना - स० क्रि० किसीको पिलानेमें प्रवृत्त करना, पिलानेका काम कराना; पेलने या पेरनेका कार्य कराना । पिलाना - सु० क्रि० पीनेमें प्रवृत्त करना; पान कराना; पीने को देना; किसी तरल पदार्थको किसी छेद में डालना; भीतर भरना । (कोई बात पिलाना - दिलमें बैठाना ।) पिल्ला - पु० कुत्तेका नर बच्चा + कुत्ता । पिल्लू - पु० एक प्रकारका सफेद लंबा कीड़ा, ढोला । पिव-पु० प्रियतम, कांत ।
पिवानrt - स० क्रि० दे० 'पिलाना' ।
पिशाच - पु० [सं०] एक निम्न देवयोनिः प्रेत; दुष्ट मनुष्य (ला० ) । - न - वि० पिशाचोंका नाश करनेवाला । पु० पीली सरसों (इसका उपयोग प्रायः ओझा करते हैं) । - पति-पु० शिव । - बाधा - स्त्री० पिशाच द्वारा आविष्ट होना । - भाषा-स्त्री० पैशाची प्राकृत जिसका प्रयोग संस्कृतके नाटकों में मिलता है । पिशित- पु० [सं०] कच्चा मांस; छोटा टुकड़ा | पिशिताश, पिशिताशन- पु० [सं०] राक्षस, नरभक्षक; भेड़िया ।
पिशुन - पु० [सं०] चुगली खानेवाला, चुगलखोर । वि० नीच; चुगलखोर; छली; मूर्ख ।
पिष्ट-वि० [सं०] पिसा हुआ, चूर्ण किया हुआ; निचोड़ा हुआ; गुँथा हुआ । - पेषण - पु० पिसे हुएको पीसना | निरर्थक कार्य करना; एक ही बातको बार-बार कहना; निरर्थक श्रम ।
पिसनहारी - स्त्री० आटा पीसनेवाली ।
पिसना - अ० क्रि० पीसा जाना, चूर्ण किया जाना; दबकर चिपटा हो जाना; बहुत अधिक कष्ट पाना; घोर परिश्रम करना; घोर परिश्रम से थककर चूर होना ( 'जाना' के साथ) |
पिसवाज - स्त्री० दे० 'पेशवाज' । पिसवाना-स० क्रि० पीसनेमें प्रवृत्त करना, किसीसे पीसनेका काम कराना ।
पिसाई - स्त्री० पीसने की क्रिया या भाव; आटा पीसनेका पेशा; पीसनेकी उजरत; घोर परिश्रम |
पिसाच * - पु० दे० 'पिशाच' ।
पिसानी - पु० आटा ।
पिसाना - सु० क्रि० पीसनेका काम दूसरेसे कराना । + अ० क्रि० पिसना ।
पिसी, पिस्सी । - स्त्री० सफेद गेहूँ । पिसुन* - पु० पिशुन, चुगलखोर ।
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पिसौनी-स्त्री० पीसनेका काम; आटा पीसनेका पेशा; पीसने की उजरत; घोर परिश्रम । पिस्तई - वि० पिस्तेके रंगका । पिस्ता- पु० एक प्रसिद्ध मेवा; इसका पेड़ । पिस्तौल - स्त्री० बंदूककी तरह गोली दागनेका एक छोटा हथियार |
पिस्सू - पु० मच्छड़ जैसा उड़ने और काटनेवाला एक छोटा कीड़ा । पिहकना - अ० क्रि० पक्षियोंका बोलना ।
कोयल, पपीहे आदि मीठे गलेवाले
पिहान+ - पु० पिधान, ढकना, ढक्कन । पिहानी * - स्त्री० ढक्कन; छिपानेवाली बात ।
पिहित- वि० [सं०] ढका हुआ, आच्छादित, आवृत । पु० एक अर्थालंकार जहाँ किसीके मनका भाव जानकर किसी क्रिया द्वारा अपना भाव प्रदर्शित किये जानेका वर्णन हो । पौजना - सु० क्रि० (रुई) धुनना । पाँजर* - पु० पिंजरा; अस्थिपंजर । पीजरा* - पु० दे० 'पिंजरा' |
पीड* - पु० शरीर; पेड़का तना; पिंडखजूर । पौडी - स्त्री० दे० 'पिंडी' |
पौंडुरी* - स्त्री० दे० 'पिंडुली' |
पी - पु०* प्रियतम; कांत । स्त्री० पपीहेकी बोली । -कहाँपु० पपीहेकी बोली । -खग-पु० पी-पी करनेवाला पक्षी, पपीहा ।
पीक- स्त्री० पानका थूक थूकनेका विशेष पात्र, उगालदान ।
पीकना - * अ० क्रि० पपीहे या कोयलका बोलना, पिहकना; + अंकुर निकलना |
मु० - फूटना - पलव
पीका* - पु० नया, कोमल पत्ता । निकलना, पल्लवित होना । पीच स्त्री० माँड़; + दे० 'पीक' | पीछा - पु० किसी वस्तु या व्यक्तिका पिछला भाग, आगाका उलटा; किसी घटना के बादका समय; पीछे लगा रहना, पिछलगी | मु० - करना- किसी को पकड़ने, भगाने या मारनेके लिए उसके पीछे-पीछे जाना, खदेड़ना । - छुड़ाना- किसी अप्रिय व्यक्ति या वस्तुसे पिंड छुड़ाना । - छूटना - किसी अप्रिय व्यक्ति या वस्तुसे छुटकारा मिलना । - छोड़ना - पीछा करनेके कार्यसे विरत होना, किसीके पीछे लगे रहनेका कार्य बंद करना; किसी प्रयो 'जनकी सिद्धिके लिए किसीके पीछे-पीछे फिरना बंद करना । - दिखाना - भाग खड़ा होना । - देना- साथ छोड़ देना । - पकड़ना- किसी आशासे किसीका साथ करना । पीछू* - अ० दे० 'पीछे' ।
पीछे - अ० पीठकी ओर, पृष्ठ देशमें, आगेका उलटा; देशकालके अनुसार किसीके पश्चात्, अनंतर, वाद; अंतमें, बाद में; इस लोकसे विदा होनेपर, मर जानेपर; लिए, वास्ते, खातिर; वजहसे, बदौलत । मु० ( किसीके) - चलना- किसी बात में किसीका अनुगमन करना या अनुयायी होना । (किसी के) - छूटना - किसीकी स्थिति, कार्य आदिका पता देनेके निमित्त उसकी निगरानीके लिए
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दान-पु० पानकी पीक