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पलका - पलेथन
इशारा करना; पलक गिराना । लगना - आँख बंद होना, नींद आना । —लगाना- आँख बंद करना; सोनेके लिए आँख बंद करना । - से पलक न लगना- टकटकी लगी रहना, नींद न आना । ( पलकों ) से ज़मीन झाड़ना या तिनके चुनना - बड़ी श्रद्धा से किसीकी सेवा करना । पलका * - पु० पलंग, शय्या । पलटन - स्त्री० [अ० लटून ] पैदल सैनिकोंका वह विभाग जिसमें २०० सैनिक हों; सैनिकों या लोगोंका दल जो समान उद्देश्य से कहीं एकत्र हुए हों, फौज । पलटना - अ० क्रि० उलट जाना; एकदम बदल जाना, पूर्णतया परिवर्तित हो जाना ( 'जाना' क्रियाके साथ ); अच्छी दशाको प्राप्त होना; पीछेकी ओर रुख करना, मुड़ना; वापस आना, लौटना । स० क्रि० उलटना, ऐसी स्थितिको पहुँचाना कि नीचेका भाग ऊपर हो जाय और ऊपरका नीचे; एकदम बदल देना, पूर्णतया परिवर्तित कर देना ( 'देना' या 'डालना' के साथ ); बार-बार उलटना; एक वस्तु के स्थानपर दूसरी वस्तु ग्रहण करना; बदलना; किसी वस्तुके बदले दूसरी वस्तु लेना या बदलना; बात उलट देना, मुकरना; * वापस करना, लौटाना । पलटनिया - वि० पलटनका । पु० पलटनमें काम करने वाला सैनिक |
पलटा - पु० पलटनेका कार्य या भाव; प्रतिफल; नावमें लगी हुई वह पटरी जिसपर खेवैया बैठता है; गवैयेका ऊँचे स्वरोंतक पहुँचकर बारीकीके साथ पुनः नीचेके स्वरोंकी ओर लौटना, अवरोह (संगीत); लोहे, पीतल या काठकी चपटी कलछी; कुश्तीका एक पेंच मु० - खाना-स्थितिका पूर्णतः परिवर्तित हो जाना ।
पलटाना - स० क्रि० वापस करना, लौटाना; बदलना । पलटाव-पु० पलटे जानेकी क्रिया ।
पलटावना - स० क्रि० दे० 'पलटाना'; * दबवाना । पलटे - अ० बदलेमें, प्रतिफलके रूप में ।
पलड़ा, पलरा-पु० तराजूका पल्ला । पलथी - स्त्री० दाहिने और बायें पैरोंके पंजोंको क्रमसे बायीं और दाहिनी जाँघोंके नीचे दबाकर बैठनेका ढंग । पलना - अ० क्रि० पालित होना, पाला-पोसा जाना; हृष्टपुष्ट होना, तैयार होना । पु० दे० 'पालना' | पलनाना * - स० क्रि० जोत या कसकर तैयार करना ( रथ,. घोड़ा ) ।
पलल - पु० [सं०] मांस, कीचड़, तिलकुट; राक्षस । ज्वर
पु० पित्त नामक धातु । - प्रिय- पु० राक्षसः डोम- कौआ । पलवrt - पु० ऊखका ऊपरी भाग; एक घास; * अंजलि । पलवाना - स० क्रि० किसीसे पालन कराना । पवैया - पु० पालन-पोषण करनेवाला ।
पलस्तर - पु० [अं० 'प्लास्टर'] चूना, कंकड़, सुखीं आदि मसाले से तैयार किया हुआ दीवार आदिपर चढ़ाया जानेवाला एक तरहका लेप । मु० ( किसीका ) - ढीला करना-पस्त करना । - ढीला होना- शिथिल होना; पस्त होना । (किसीका) - बिगड़ना या बिगड़ जाना -दे० 'पलस्तर ढीला होना' । (किसी का) - बिगाड़ना या बिगाड़ देना - दे० 'पलस्तर ढीला करना' ।
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पलहना * - अ० क्रि० दे० 'पलुहना' । पलहा - पु० जन्म-मृत्युकी सूचना; * पल्लव | पलांडु - पु० [सं०] प्याज |
पला- पु० ६० विपल, पल; बड़ी परी; * तराजूका पहला; आँचल, पल्ला, किनारा; डिब्बीके दो भागों में से कोई एक । पलाद, पलादन, पलाशन- पु० [सं०] राक्षस । वि० मांस खानेवाला, मांसाहारी ।
पलान- पु० घोड़े आदिकी पीठपर कसा जानेवाला जीन
या चारजामा ।
पलानना * - स० क्रि० ( घोड़े आदिपर ) पलान कसना; आक्रमण करनेकी तैयारी करना ।
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पलाना * - अ० क्रि० भागना; तेजीसे जाना; गाय इत्यादिका पिन्हाना । स० क्रि० भगाना । पलानि * - स्त्री० जीन ।
पलानी - स्त्री० छप्पर; पंजेके ऊपर पहननेका स्त्रियोंका एक गहना; जीन ।
पलायक, पलायी (यिन् ) - पु० [सं०] भागनेवाला, भगोड़ा; (ऐब्सकांडर) दंडित होने या पकड़े जाने आदिके भय से भाग जाने, छिप जानेवाला व्यक्ति । पलायन - पु० [सं०] ( डरकर ) दूसरी जगह चले जाना,
भागना ।
पलायमान - वि० [सं०] भागता हुआ । पलायित - वि० [सं०] भागा हुआ ।
पलाश - पु० [सं०] पत्ता: पलास, टेसू ; पलासका फूल; राक्षस; मगध देश; हरा रंग; किसी तेज हथियारका फल | वि० हरा; निष्ठुर, कठोरहृदय; मांसाहारी । पलास - पु० मझोले आकारका एक प्रसिद्ध वृक्ष जिसका फूल बहुत लाल होता है, किंशुक; एक मांसाहारी पक्षी; जंबूरे जैसा एक औजार । पलिका * - पु० दे० 'पलका' ।
पलित - वि० [सं०] वृद्ध, बुड्ढा; पका हुआ या सफेद (बाल) | पु० वृद्धावस्थाके कारण बालोंका पकना या सफेद होना; ताप, गरमी; कीचड़ ।
पली - स्त्री बड़े वरतनों में से घी, तेल आदि तरल पदार्थ निकालनेका लोहेका एक आला जो एक डंडी के सिरेपर छोटीसी कटोरी जोड़कर बनाया जाता है, परी । मु०पली जोड़ना - थोड़ा-थोड़ा करके संचय करना; कौड़ीकौड़ी जोड़कर धन बटोरना ।
पलीता - पु० यंत्र लिखा हुआ कागज जिसे बत्तीकी तरह बनाकर जलाते हैं; तोपके रंजक में आग लगानेकी बरोह आदिकी मोटी बत्ती; पनसाखेपर रखकर जलानेकी कपड़ेकी विशेष प्रकारकी बत्ती ।
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पलीद - वि० [फा०] अशुद्ध, अपवित्र; दुष्ट; खोटा, खराव । पलुहना* - अ० क्रि० हरा-भरा होना, पल्लवित होना । पलुहाना * - स०क्रि० हरा-भरा करना, पल्लवित करना'जरी जो बेल सींचि पलुहाई' - प० । पलेट - स्त्री० [अं॰ 'प्लेट'] पट्टी; कमीज, कुरते आदि में भीतर की ओर लगायी जानेवाली पट्टी । पलेड़ना * - स० क्रि० धक्का देना ।
पलेथन - पु० वह सूखा आटा जिसे लोईपर लगाकर रोटी