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नाफा-नामक
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नाफा-पु० [फा०] कस्तूरी मृगकी नाभिके भीतरकी कस्तूरी- नाम प्रकट कराना ।-निकालना-सुख्याति या कुख्याति की थैली।
फैलाना; तंत्र-मंत्रकी क्रिया द्वारा चोरका नाम प्रकट नाबदान-पु० घरके गलीज, गंदे पानी आदिके बहनेकी करना । (किसीके)-पड़ना-किसीके नामके सामने
नाली। मु०-मैं मुँह मारना-घृणित कार्य करना। लिखा जाना या लिखा रहना। (किसीके)-परनाभि-स्त्री० [सं०] पहियेके बीचोबीच बेलनके आकारका किसीके निमित्त, किसीकी स्मृतिमें; किसीके भरोसे । वह अंग जिसमें धुरी पहनायी जाती है, चक्रमध्य, पिंडिका -पैदा करना-ख्याति प्राप्त करना । -विकनाजरायुज जंतुओंके पेटके बीचोबीच भँवरीकी तरहका गड्ढा, प्रसिद्धिके कारण लोकमें बहुत अधिक सम्मान होना, ढोढ़ी, तुंदकूपी; कस्तूरी ।-ज,-जन्मा(न्मन्)पु० ब्रह्मा इतनी ख्याति होना कि नाम सुनने भरसे लोगोंके हृदयमें (जिनकी उत्पत्ति विष्णुकी नाभिसे है)। -पाक-पु० एक आदरका भाव जाग उठे। -बेचना-किसीका नाम लेकर
रोग जिसमें बच्चोंकी नाभि पक जाती है।-भू-पु०ब्रह्मा। दूसरोंकी सहानुभूति, भादर या कृपाका पात्र बनना। नाम-पु० [फा०] दे० 'नाम' (सं०); प्रसिद्धि; धाका इज्जत -मिट जाना-दे० 'नाम उठ जाना' । -मिटनानस्ल; कुल; लांछन; यादगार । -ज़द-वि० जिसका अस्तित्वका एक भी चिह्न न रहना, नामतक न बच नाम किसी बातके लिए निश्चित या अंकित किया गया रहना । -रखना-प्रतिष्ठाकी रक्षा करना। -लगनाहो। -ज़दगी-स्त्री० किमी कामके लिए चुनने या दोषी ठहराया जाना । -लगाना-दोषी ठहराना। निश्चित करनेकी क्रिया। -दार-वि० नामवर, प्रसिद्ध । -लिखना-भरती करना । -लिखाना-भरती होना। -निशान,-व निशान-पु० चिह्न, पता। -वर-वि० | (किसीका)-लेकर-(किसीके) नामके प्रभावसे; नामी, प्रसिद्ध, विख्यात । -वरी-स्त्री० ख्याति, (किसीका) कहलाकर; (किसीका) स्मरण करके । -लेनाप्रसिद्धि । मु०-आसमानपर होना-प्रसिद्धि होना । नाम पुकारना; याद करना; आदर, कृतज्ञताके भावसे -उछलना-अपयश फैलना, बदनामी होना । -उछा- स्मरण करना, तारीफ करना; चर्चा चलाना, विचार लना-अपयश फैलाना, बदनाम करना । -उठ जाना- करना । (किसीके)-से-किसीका नाम लेकर; नाम अस्तित्व न रह जाना, स्मृतितक बनी न रहना। कहने भरसे, नाम सुनते ही। -होना-ख्याति या -कमाना-दे० 'नाम करना। -करना-प्रसिद्धि पाना, यश फैलना; नाम लिया जाना । (नामोनिशान बाकी ख्याति प्राप्त करना । (किसीका)-करना-किसीको न रहना या मिट जाना-एकदम बरबाद हो जाना, दोषी ठहराना; किसीके मत्थे दोष मढ़ना । (किसी बात इस प्रकार नष्ट होना कि अस्तित्वका कोई चिह्न ही न का)-करना-नाम मात्रके लिए करना, कहने भरके लिए रह जाय। करना, जितना या जिस तरह चाहिये उतना या उस तरह | नाम(न)-पु० [सं०] वह शब्द जिससे किसी व्यक्ति वस्तु न करना। -का-नामवाला; नाममात्रके लिए, कहने- या समूहका बोध हो, वाचक शब्द, संज्ञा शब्द, आख्या, भरको। (किसीके)-का कुत्ता पालना-किसीका अत्य- अभिधान । करण-पु० नाम रखनेका संस्कार ।-कीर्तनधिक अपमान करना, किसीको अत्यंत नीच समझना । पु० गाने-बजानेके साथ या यों ही ईश्वरका नाम जपना । (किसीके)-किसीके पक्षमें; किसीके पास, किसीके प्रति -धराई-स्त्री० [हिं०] अपयश, कुख्याति । -धातु-स्त्री० सरकारी या अन्य प्रामाणिक कागजमें किसीके नामके संशापदसे बनायी हुई धातु । --धारक-वि० कहने भरको सामने (दर्ज); कानूनी, प्रामाणिक लेख द्वारा किसीके कोई नाम धारण करनेवाला, जिसका कोई विशिष्ट नाम पक्षमें । -के लिए केवल देखने या कहने-सुननेके लिए, लेने भर के लिए हो, जो अपने नामके अनुरूप कार्य न कहने भरको जरासा; किसी काम या उपयोगके लिए करता हो; विहित कर्म न करनेवाला (ब्राह्मण)।-निर्देशननहीं। -को-कहने भरको; केवल काम चलाने भरको, पत्र-पु० (नामिनेशन पेपर) दे० नामांकनपत्र ।-पटल,अपर्याप्त, अत्यल्प; ख्यातिके लिए। -को नहीं-कहने पट्ट-पु० (साइनबोर्ड) लकड़ी, लोहे आदिका वह पट्ट या भरको भी नहीं, थोड़ासा भी नहीं, एक भी नहीं। तख्ती जिसपर किसी व्यक्ति, संस्था, दूकान आदिका नाम -चलना-लोकमें स्मृति बनी रहना ।-चार को-कहने लिखा रहता है और जिसे प्रायः दूकान, मकान आदिके भरको, नाममात्रको। (किसीके)-डालना-(किसीके) सामने टाँग देते हैं । -पत्र-पु० (लेबल) किसी शीशीनामके सामने दर्ज करना । -डुबाना-मान-मर्यादा बोतल, डब्बे आदिपर लगा हुआ कागजका वह टुकड़ा मिटाना, कलंक लगाना। -डूबना-भान-मर्यादा नष्ट जिसपर उसके भीतरकी दवा आदिका नाम लिखा या छपा होना, कलंक लगना । (किसीका)-धरना-नामकरण | हो। -पत्रित-वि० (लेबल्ड) जिसपर नामपत्र (लेबल) करना; दोषारोपण करना, दोषी ठहराना; बदनामी लगा हुआ हो। -लेखनशुल्क-पु० (एनरोलमेंट फी) करना। -धराना-'नाम धरना'का प्रेर०।-न लेना- नाम लिखने, भरती करने, सदस्य बनाने आदिका शुल्क। स्मरणतक न करना, भय, घृणा, खिन्नता आदिके कारण -लेवा-पु० [हिं०] नाम लेनेवाला; उत्तराधिकारी । प्रसंगतक न छेड़ना; दूर भागना, बहुत अधिक बचना। - वाचक-वि० नाम बतलानेवाला। पु० व्यक्तिवाचक ("तो मेरा)-नहीं-तो मुझे गया-गुजरा समझना। संज्ञा । -शेष-वि० जिसका केवल नाम रह गया हो; -निकलना-किसी वातके लिए नाम प्रसिद्ध होना तंत्र- गत, मृत । -सत्य-पु० गुण न होते हुए भी गुणद्योतक मंत्रकी क्रिया द्वारा चौरका नाम प्रकट होना । -निकल- नामका कथन । वाना-अपकीति फैलाना तंत्र-मंत्रकी क्रिया द्वारा चोरका | नामक-वि० [सं०] नामका, नामवाला (समासांतमें)।
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