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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org तिमान- इंद द्युतिमान ( मत्) - वि० [सं०] द्युतिवाला; प्रभायुक्त | घुमान् ( मत्) - वि० [सं०] कांतियुक्त । द्यूत - पु० [सं०] जुआ । -कर- पु० जुआ खेलनेवाला, जुआरी | - कार - कारक - पु० जुएका खेल करानेवाला, समिक; जुआरी । -क्रीड़ा - स्त्री० जुएका खेल । - दास - पु० जुरमें जीता हुआ दास । -फलक- पु० पासा बिछाने या खेलनेका तख्ता । - भूमि - स्त्री० जुआ खेलनेकी जगह । - मंडल, - समाज - पु० द्यूतकरोंकी मंडली । -वृत्ति - ५० वह जिसका जुआ खेलना पेशा हो गया हो; जुआ खेलानेवाला; स्त्री० जुए की लत । द्योतक - पु० [सं०] प्रकाश करनेवाला, प्रकाशक; सूचक । द्योतन - पु० [सं०] प्रकाश; प्रकाश करना, प्रकाशन; प्रकाशक: सूचित करना; दीपक; प्रभात । वि० प्रकाश शील, चमकनेवाला । द्योतित - वि० [सं०] प्रकाशित । धोतिरिंगण - पु० [सं०] खद्योत, जुगनू । घोस, द्यौस* - पु० दिन, दिवस | घोहरा* - पु० देवालय । द्यौ - स्त्री० [सं०] स्वर्ग; आकाश । दुग* - पु० हग, नेत्र । द्रढिमा ( मन ) - स्त्री० [सं०] दृढता । द्रव - पु० [सं०] तरल होना, पिघलना; तरल पदार्थ; तरल होकर बहनेकी क्रिया; क्षरण; किसी पदार्थका तरल रूपांतर; रस; आसव; पलायन; द्रवत्व नामक गुण । वि० तरल, पिघला हुआ; दौड़ता हुआ; चूता हुआ; बहता हुआ। - रसा - स्त्री० लाख; गोंद । - शील- वि० पिघलनेवाला । (मेल्टिंग पॉइंट) तापकी वह मात्रा पिघलने- ठोससे द्रव-रूप में परिणत द्रवीभूत - वि० [सं०] पिघला हुआ; जो द्रव हो गया हो; दयार्द्र | द्रव्य - पु० [सं०] पदार्थ, वस्तु; वह वस्तु जो गुण और क्रिया या केवल गुणका आश्रय हो; वह मूल वस्तु जिससे दूसरी वस्तुएँ तैयार की जाती हैं, उपादान, सामान, उपकरण; धन-दौलत; मद्य; लेप; विनम्रता; पण | - वाचक - वि० जिससे किसी द्रव्यका बोध हो । द्रव्यमय - वि० [सं०] किसी द्रव्यका बना हुआ; धनसंपत्तिसे परिपूर्ण । द्रव्यवान् (वत्) - वि० [सं०] द्रव्यवाला, धनी । द्रव्यार्जन - पु० [सं०] धन कमाना, धनोपार्जन | द्रष्टव्य - वि० [सं०] देखने या दिखाने योग्य, दर्शनीय; साक्षात्कार करने योग्य; विचारणीय; नयनाभिराम । द्वष्टा (ष्ट्र ) - पु० [सं०] देखनेवाला, दर्शक; साक्षात्कार करनेवाला | द्राक्षा - स्त्री० [सं०] दाख, अंगूर; मुनक्का । -शर्करा Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir द्रुम-पु० [सं०] वृक्ष, पेड़; पारिजात | दुमारि - पु० [सं०] हाथी । द्रुहिण - पु० [सं०] ब्रह्मा । द्रवण - पु० [सं०] पिघलनेकी क्रिया, तरल होना; बहना; द्रोण-पु० [सं०] दे० 'द्रोणाचार्य'; बत्तीस सेरकी एक क्षरण; रिसना; भागना; दयार्द्र होना । द्रवणांक - पु० [सं०] जिसपर कोई वस्तु होने लगे । प्राचीन माप; लकड़ीका एक पात्र; डोमकौआ लकड़ीका रथः नाव; दोना । - गिरि- पु० एक वर्ष पर्वत । रामायणके अनुसार हनुमान् इसी पर्वतपर संजीवनी बूटी लाने के लिए भेजे गये थे । द्रवना* - अ० क्रि० तरल होना; दयार्द्र होना; पिघलना; पसीजना । द्रोणाचार्य - पु० [सं०] महाभारत के अनुसार प्रसिद्ध ब्राह्मण योद्धा जिन्होंने कौरवों और पांडवोंको धनुर्विद्याकी शिक्षा दी थी। (ग्लूकोज) अंगूर के रससे बनी हुई चीनी । द्वाविमा ( मन ) - स्त्री० [सं०] दीर्घता, लंबाई । द्वाव-पु० [सं०] तरल होनेकी क्रिया, पिघलने, पसीनेकी क्रियाः गल या पिघलकर बहनेकी क्रियाः क्षरण; दया या करुणासे आर्द्र होनेकी क्रिया; अनुताप । द्रावक वि० [सं०] तरल बनानेवाला, द्रवीभूत करने - वाला; गलाने, पिघलानेवाला; दया, करुणाका भाव उत्पन्न करनेवाला । ३७४ द्रावण - पु० [सं०] द्रव बनानेकी क्रिया या भाव, गलाना, पिघलाना; (सॉल्यूशन) पानी, मद्यसार आदिमें किसी स्थूल ( या अन्य द्रव) पदार्थ के घुल-मिल जानेसे बना हुआ पारदर्शी और समरूप (होमोजीनस) मिश्रण, घोल । द्राविडी - वि० [सं०] द्रविडका; द्रविड-संबंधी । प्राणायाम - पु० आसानी और सीधे तरीकेसे किये जानेवाले कामको टेढ़ा बनाकर करना । द्रावित - वि० [सं०] द्रव किया हुआ; गलाया, पिघलाया हुआ; भगाया हुआ । द्रुत - वि० [सं०] जो द्रव हो गया हो, द्रवीभूत, गला या पिघला हुआ; शीघ्रतायुक्त; भागा हुआ; तीव्र गतिवाला, तेज । - गति - वि० तीव्र गतिवाला । स्त्री० तेज चाल । - गामी ( मिनू ) - वि० तीव्र गति से चलनेवाला । - विलंबित - पु० एक वर्णवृत्त । दुति - स्त्री० [सं०] द्रव होना; भागना; जाना | द्रुतै*- * - अ० शीघ्रतासे । द्रोणि, द्रोणी - स्त्री० [सं०] डोंगी; पानी रखनेका केलेकी छाल आदिका बना एक प्रकारका पात्र; कठवतः टब छोटा दोना; पर्वतों के बीच की भूमि; द्रोणाचार्यकी पली । द्रोन* - पु० द्रोण । द्रोह - पु० [सं०] दूसरेका अनिष्ट चाहना; हिंसा; अपराध; वैर; विद्रोह । - चिंतन-पु० अनिष्ट करनेका विचार या प्रयत्न करना । - बुद्धि-वि० बुराई करनेपर तुला हुआ । स्त्री० बुराई करनेकी नीयत । For Private and Personal Use Only द्रोही ( हिन्) - वि० [सं०] द्रोह करनेवाला, अहितचितन करनेवाला; विद्रोह करनेवाला । पु० वह व्यक्ति जो द्रोह करे । द्रौपदी - स्त्री० [सं०] पांडवोंकी पत्नी, पांचाली | द्रौपदेय - पु० [सं०] द्रौपदीका पुत्र । इंद - पु० [सं०] घंटा बजानेका घड़ियाल, युग्म, जोड़ा; दे० 'द्वंद्व' । * स्त्री० दुंदुभी ।
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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