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लिया हो, उपपत्नी ।
दोहता - पु० लड़कीका लड़का, नाती । दोहद-पु० [सं०] गर्भ; लालसा; गर्भिणीकी इच्छा; कविसमय के अनुसार रमणियोंके स्पर्श, पदाघात, दृष्टिपात आदि जिनसे प्रियंगु, अशोक, तिलक आदि वृक्षों में फूल लगते हैं । दोहदaar - स्त्री० [सं०] वह गर्भिणी जिसे किसी वस्तुकी इच्छा हो ।
दोहन - पु० [सं०] दुहने का काम; दुग्धपात्र; (ला० ) चूसना । दोहनी - स्त्री० [सं०] दूध दुहनेका पात्र; दुहनेकी क्रिया । दोहरt - स्त्री० एक तरह की दोहरी चादर जिसमें मगजी लगायी जाती है।
दोहरना - अ० क्रि० दो परत होना, दोहरा होना; दुबारा होना । स० क्रि० दोहरा करना ।
दोहरा - वि० दो परतोंका; दुगना । पु० दोहा । दोहराना - स० क्रि० किसी बातको बार-बार कहना; पुनरावृत्ति करना; अशुद्धि दूर करनेके लिए एक बार और देख जाना; * दोहरा करना । दोहरी - वि० स्त्री० दो तह की हुई; दो परतोंकी; दुगनी ।
- बात - स्त्री० दो तरह की बात ।
दौः शील्य - ५० [सं०] बुरा स्वभाव; दुष्टता ।
दौ* - स्त्री० दव, वनाग्नि; आग; संताप । दौड़ - स्त्री० दौड़नेकी क्रिया या भाव; द्रुत गमन; उड़ान, गति, पहुँच, बुद्धिकी पहुँच, सवेग आक्रमण, जोरदार हमला किसी कार्यकी सिद्धिके लिए बहुत अधिक चक्कर लगाने की क्रिया; दौड़नेकी क्रिया; दौड़नेकी प्रतियोगिता । - धूप - स्त्री० बार-बार इधर से उधर आनाजाना, जोरदार कोशिश । मु०- मारना, लगाना- दूरतक जाना या पहुँचना; दूरतककी यात्रा करना । दौड़ना - अ० क्रि० अति वेगसे चलना, ऐसी द्रुत गतिने गमन करना कि कभी-कभी कोई भी पाँव पृथ्वीपर न जमे; बहुत तेजीसे चलना; किसी कामके लिए बार-बार इधरउधर आना-जाना, हैरान होना; फैलना; जाना । ater-cast- - स्त्री० त्वरा, जल्दीबाजी; दौड़धूप |
दौड़ान - स्त्री० दौड़ने की क्रिया, दौड़; दौड़नेका क्रम । दौड़ाना - स० क्रि० दौड़ने के काममें दूसरेको लगाना । दौत्य - पु० [सं०] दूतत्व, दूतका कार्य; संदेश | दौन - पु० दमन । वि० दमन करनेवाला । दौना- पु० एक पौधा जिसकी पत्तियों में विशेष प्रकारकी तीव्र सुगंध होती है; * दोना; द्रोणगिरि । * स० क्रि०
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दोहल - पु० [सं०] इच्छा; गर्भिणीकी इच्छा, दोहद । दोहा - पु० एक छंद जिसके प्रथम और तृतीय चरणमें १३-१३ तथा द्वितीय, चतुर्थ चरण ११-११ मात्राएँ होती हैं । दोहाई - स्त्री० गुहार, पुकार; * कविता । दोहाग* - पु० दुर्भाग्य, बदकिस्मती ।
दोहित - *पु० दौहित्र, लड़कीका लड़का | वि० [सं०] जिसे दौराना* - स० क्रि० दे० 'दौड़ाना' । दुहा गया हो ।
दौं*- * - अ० दे० 'धी" । स्त्री० दे० 'दो' । दौंकना - अ० क्रि० दे० 'दमकना' |
दौंचना* - स०क्रि० दवाव डालकर लेना; हठ पकड़कर लेना । दौर्बल्य - पु० [सं०] दुर्बलता । दौरी- स्त्री० देवरी, दाँय ।
दमन करना, दबाना; तपाना ।
दौनाचल-पु० दे० 'द्रोणगिरि' ।
दौर - पु० [अ०] फेरा, चक्कर, घुमाव; समयका फेर; चढ़ाई, आक्रमण; समय, युग; उन्नतिकाल; प्रभाव; पारी । स्त्री० छापामार पुलिस; दौड़; आक्रमण । - दौरा - पु० बोलवाला, चलती । मु० - चलना - शराबके प्यालेका बारी-बारी से पीनेवालोंके पास पहुँचाया जाना । दौरना*- * - अ० क्रि० दे० 'दौड़ना' ।
दौरा-1 पु० बाँस, बेत आदिका टोकरा; [अ० दौरः ] चारों ओर घूमना, चक्कर; इधर-उधर आना-जाना; गश्त, जाँचपड़ताल या निरीक्षण के लिए अफसरका अपने इलाके में घूमना; समय-समय पर होने या उभरनेवाली बीमारीका आक्रमण; जब-तब आना-जाना; हमला । -जज - पु० सत्र न्यायालयका मुख्य विचारपति । मु०- करना - जाँचपड़ताल या निरीक्षण के लिए अफसरका अपने इलाके में घूमना । - सिपुर्द करना- विचार या निर्णय के लिए अभियुक्त या मुकमेको सेशन जजके यहाँ भेजना । - सिपुर्द होना- विचार या निर्णय के लिए अभियुक्तका सेशन जज - के यहाँ भेजा जाना । ( दौरे ) पर रहना या होना - अपने हलकेके निरीक्षण आदिके लिए अफसरका सदरसे बाहर रहना या होना ।
दौरात्म्य - पु० [सं०] दुरात्मा होनेका भाव, दुर्जनता । दौrati*- * - स्त्री० दे० 'दौडादौड़ी' |
दौरान - पु० [अ०] चक्कर, दौर; जमाना; हेरफेर ; भाग्य ।
दोहता - थति
दौरी | - स्त्री० छोटा दौरा, छोटी टोकरी, चँगेरी । दौगंध्य - पु० [सं०] बुरी गंध, बदबू ) दौर्जन्य- पु० [सं०] दुर्जनता, दुष्टता ।
दौर्भाग्य - पु० [सं०] भाग्य की खोटाई, दुर्भाग्य । दौर्मनस्य - पु० [सं०] दुर्मना होनेका भाव; बुरा स्वभाव; मानसिक कष्ट ।
दौर्हार्द - पु० [सं०] दुर्हृद् होनेका भाव, शत्रुता । दौलत- स्त्री० [अ०] धन, संपत्ति । - ख़ाना - पु० वासस्थान, घर । इसका प्रयोग वार्तालाप में किसीका घर पूछते समय करते हैं । उत्तरदाता 'गरीबखाना' शब्दका प्रयोग करता है । मंद - वि० धनाढ्य, मालदार । दौलति* - स्त्री० दौलत |
दौवारिक - पु० [सं०] प्रतिहार द्वारपाल | दौवारिकी - स्त्री० [सं०] प्रतिहारिणी, द्वारपालिका । दौहित्र- पु० [सं०] बेटीका बेटा, नाती; कपिला गौका घृत । दौहित्री - स्त्री० [सं०] बेटीकी बेटी, नतिनी । द्याना द्यावना * - स० क्रि० दे० 'दिलाना' ।
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- पु० [सं०] दिन; स्वर्ग; आकाश । -ग-पु०पक्षी । वि० आकाश में गमन करनेवाला । -चर- पु० ग्रह; पक्षी । - निवासी (सिन्) - पु० देवता । - पथ - पु० आकाशमार्ग । - मणि - पु० सूर्य । - योषित् - स्त्री० अप्सरा । - लोक - पु० स्वर्ग लोक । -सरित् - स्त्री० मंदाकिनी ।
स्वर्गंगा,
द्युति - स्त्री० [सं०] शरीर की सहज कांति, छवि; चमक |