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दिसावर - पु० परदेश, अन्य देश ।
दिसावरी - वि० बाहरसे लाया या आया हुआ, बाहरी । दिसि* - स्त्री० दे० 'दिशा' । - दुरद* - पु० दिग्गज । - नायक* - पु० दिक्पाल । प, राज-पु० दिक्पाल | दिसिटि * - स्त्री० दे० 'दृष्टि' । दिसैया * - पु० देखनेवाला; दिखानेवाला ।
दिस्टि* - स्त्री० दे० 'दृष्टि' । -बंध - पु० दे० 'दृष्टिबंध' । दीन - वि० [सं०] अर्थहीन, दरिद्र; विपन्न, दयनीय दशा में
दिस्ता - पु० कागजके २४ तख्तोंकी गड्डी | दिहानियत - स्त्री० देहातीपन ।
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दीक्षक - पु० [सं०] दीक्षा देनेवाला, गुरु, मंत्रोपदेष्टा । दक्षिण - पु० [सं०] दीक्षा देनेकी क्रिया; यज्ञ समाप्त होनेपर उसकी त्रुटियोंकी शांति के लिए किया जानेवाला यजन । दीक्षांत - पु० [सं०] पहले यज्ञमें हुए दोषोंके मार्जनके लिए किया जानेवाला यश; दीक्षाका अंत; किसी विश्वविद्यालय या महाविद्यालय के अध्ययनकी सफल समाप्ति । भाषण० उपाधि या प्रमाण पत्रादि देनेके समय समुत्तीर्ण स्नातकोंको संबोधन कर किया गया किसी विद्वान् या सम्मान्य नेताका भाषण ।
दिसावर - दीपिका
दीद - वि० [फा०] देखा हुआ ।
दोदा - पु० आँख, दृष्टि, निगाह; धृष्टता (स्त्रि ० ) । मु० - लगना - काम में तबीयत लगना । दीदार- पु० [फा०] चेहरा; दर्शन, साक्षात्कार । दीदी - स्त्री० बड़ी बहनको संबोधित करनेका शब्द | दीधिति - स्त्री० [सं०] किरण; उँगली ।
दीक्षा - स्त्री० [सं०] याग; उपनयन संस्कार; तंत्र के अनुसार किसी देवता के मंत्रका उपदेश; तंत्रोक्त रीति से किसी देवताका मंत्र ग्रहण करनेकी क्रिया; (कोई धार्मिक) कृत्य; नियम । - गुरु- पु० मंत्र देनेवाला गुरु । दीक्षित - वि० [सं०] जिसे दीक्षा दी गयी हो या जिसने गुरुसे दीक्षा ली हो; जिसने सोम आदि याग किये हों । दीखना - अ० क्रि० दिखाई देना, दृष्टिगत होना । दीघी - स्त्री० दे० 'दीर्घिका' |
दीच्छा* - स्त्री० दे० 'दीक्षा' |
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दिert - पु० देवस्थान, देवायतन ।
दिहली - स्त्री० दे० 'दहलीज' ।
दिहाती - वि० दे० 'देहाती' । - पन - पु०दे० 'देहातीपन' । दीन - पु० [अ०] धर्म, मजहब, पंथ । -इलाही - पु० दीअट - स्त्री० दे० 'दीयट' |
दीआ - पु० दे० 'दीया' ।
अकबरका चलाया हुआ एक धर्म जो कुछ ही समयतक चलकर रह गया । - दार - वि० धर्मनिष्ठ । - दुनिया - स्त्री० इहलोक तथा परलोक ।
पड़ा हुआ; दुःखपूर्ण, करुण । - दयाल - वि०, पु० [हिं०] दे० 'दीनदयालु' । - दयालु - वि० दीनोंपर दया करनेवाला । पु० परमेश्वर । - बंधु - वि० दीनोंकी सहायता, रक्षा करनेवाला । पु० परमेश्वर ।
दीठ - स्त्री० दे० 'दृष्टि'; बुरा प्रभाव उत्पन्न करनेवाली निगाह - ' दूनी व लागन लगी दिये दिठौना दीठ' - बि० । - बंद -५० नजर बाँधनेकी क्रिया । -बंदी - स्त्री० नजर बाँधनेकी क्रिया । -वंत* - वि० दृष्टियुक्त; समझदार । मु०-खा जाना - ऐसे व्यक्ति द्वारा देखा जाना जिसकी दृष्टि अच्छी न हो। -जलाना - बुरी दृष्टिका प्रभाव दूर करना । - पर चढ़ना - दे० 'नजर पर चढ़ना' ।-फिरनादृष्टिका दूसरी ओर प्रवृत्त होना; कृपा न बनी रहना । - फेरना - दूसरी ओर नजर कर लेना; किसीपर कृपादृष्टि न रहने देना । - बाँधना-दे० 'नजर बाँधना' । - बिछाना - आशापूर्ण दृष्टिसे किसीके आनेकी प्रतीक्षा करना; बड़ी श्रद्धा से आवभगत करना ।-मारना - आँखसे | संकेत करना । - मारी जाना-देखनेकी शक्ति नष्ट होना । - में समाना- नेत्रोंको सुखद होनेके कारण सदा ध्यानमें बना रहना । - लगना- कुदृष्टि पड़ जाना । —लगानाटकटकी लगाकर देखना ।
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दी ठना* - स० क्रि० देखना | दीठि* - स्त्री० दे० 'दीठ' |
२३-क
दीनता - स्त्री० [सं०] दरिद्रता; विपन्नता; विवशता । दीनताई * - स्त्री० दीनता ।
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दीनानाथ - पु० दीनोंके नाथ - स्वामी, रक्षक, परमेश्वर । दीनार - पु० [सं०] सोनेका भूषण; सोनेका एक सिक्का । दीप* - पु० द्वीप; [सं०] दीया, चिराग । -कलिकास्त्री० दीपककी लौ । -कली- स्त्री० दीपककी लौ । - किट्ट - पु० कज्जल, काजल | - दान-पु० आराध्य देवताके सामने दीप जलाना । ध्वज - पु० कज्जल; दीवट - पादप-पु० दीपाधार, दीवट; देवदारु । - माला, - मालिका - स्त्री० जलते हुए दीपककी पंक्ति, दीवाली । - शत्रु - पु० पतंग, फलिंगा । - शलभ - पु० जुगनू । - शिखा - स्त्री० दे० 'दीपकलिका' । -स्तंभपु० दीपाधार, दीवट; (लाइट-हाउस) दे० 'प्रकाश स्तंभ' | दीपक - पु० [सं०] दीया; एक मात्रिक छंद; अर्थालंकारका एक भेद जहाँ वर्ण्य अवर्ण्य या उपमेय - उपमानका एक ही धर्म कहा जाय अथवा जहाँ क्रियापदोंकी आवृत्ति हो या जहाँ एक ही कर्ता के साथ बहुतसे क्रियापदोंकी आवृत्ति हो (दे० 'कारक- दीपक ) ; एक रागः एक ताल । वि० दीप्त करनेवाला; आलोकित करनेवाला; अग्निवर्धक - मालास्त्री० दीपकालंकारका एक भेद जिसमें एकावली तथा दीपकका मेल होता है; एक वर्णवृत्त । दीपकावृत्ति स्त्री० [सं०] दीपक अलंकारका एक भेद जिसमें एक ही क्रियापद विभिन्न अर्थों में कई बार आये या एक ही अर्थके विभिन्न क्रियापदों का प्रयोग हो । दीपत, दीपति* - स्त्री० चमक; शोभा; प्रताप । दीपन - पु० [सं०] दीप्त करना, प्रज्वलित करना; आलोकित करना; अग्निवर्द्धन; उत्तेजित करना; तगरकी जड़ । वि० उत्तेजित करनेवाला; अग्निवर्द्धक ।
दीपना * - अ० क्रि० दीप्त होना; चमकना । स० क्रि० चमकाना; प्रदीप्त करना ।
दीपाधार - पु० [सं०] दीयट | दीपाराधन-पु० [सं०] आरती उतारना । दीपालि, दीपाली - स्त्री० [सं०] दीपमाला, दीवाली । दीपावलि, दीपावली - स्त्री० [सं०] 'दीवाली'। दीपिका - स्त्री० [सं०] छोटा दीपक; एक रागिनी; अर्थ
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