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दिनांध - वि० [सं०] जिसे दिनको दिखाई न देता हो, दिरिस * - पु० दे० 'दृश्य' ।
दिवांध | पु० उल्लू पक्षी ।.
दिनाई * - स्त्री० प्राणांत करनेवाली विषैली चीज - 'ऊधो, दीनी प्रीति दिनाई' - सू० । दिनागम - पु० [सं०] प्रातःकाल, सबेरा । दिनाय - स्त्री० एक चर्मरोग, दाद । दिनार* - पु० दे० 'दीनार' | दिना - पु० [सं०] मध्याह्न । दिनिका - स्त्री० [सं०] एक दिनकी मजदूरी । दिनियर* - पु० सूर्य |
दिनी - वि० बहुत दिनोंका, पुराना, प्राचीन । दिनेर* - ५० सूर्य ।
दिनेश - पु० [सं०] सूर्य; मदार; दिनके स्वामी ग्रह । दिनेस* - पु० दे० 'दिनेश' । दिनाँधी-स्त्री० एक रोग जिसमें सूर्यके प्रकाश में बहुत कम दिखाई देता है ।
दिपति * - स्त्री० दे० 'दीप्ति' ।
दिपना* - अ० क्रि० देदीप्यमान होना, चमकना । दिपाना* - अ० क्रि० चमकना । स० क्रि० चमकाना । दिव* - पु० दिव्य परीक्षा |
दिमाक * - पु० दे० 'दिमाग' । - दार- वि० दे० 'दिमागदार' | दिमाग़ - पु० [अ०] सिरके भीतरका गूदा या मग्ज, भेजा, मस्तिष्क, बुद्धि, समझ अभिमान । -चट - पु० बकवादी; खोपड़ी चाट जानेवाला ।-दार - वि० अच्छी समझवाला, बुद्धिमान् ; अभिमानी, मगरूर । - रौशन - पुं० सुँघनी । मु० - आसमानपर होना- अत्यधिक अभिमान होना । - खाना - बहुत बकवाद करना । - ख़ाली करना- किसीको समझाते समझाते थक जाना; दे० 'दिमारा खाना' । - चढ़ना - अत्यधिक अभिमान होना । -चाटना - दे० 'दिमाग खाना' । - सातवें आसमानपर होना बहुत अधिक घमंड होना ।
दिमाग़ी - वि० [अ०] दिमागदार; दिमाग संबंधी । दिमात * - वि०, पु० दो माताओंवाला; दो मात्राओंवाला । दिमाना* - वि० दे० 'दीवाना' | दियट-स्त्री० दे० 'दीभट' ।
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दियरा * - पु० दीया; एक पकवान । दिया- ५० दे० 'दीया' । - बत्ती - स्त्री० दीया जलानेका कार्य । -सलाई - स्त्री० एक सिरेपर गंधक आदि मसाले लगाकर बनायी हुई छोटी, पतली सलाई जो रगड़ने से जल उठती है; लकड़ीका छोटा बक्स जिसमें ऐसी तीलियाँ रखी रहती हैं । मु० - सलाई लगाना - आग लगाना । दियानत - स्त्री० दे० 'दयानत' । दियारा - पु० कछार; प्रदेश; लुक । दियासा* - पु० मृगतृष्णा । दिरद* - पु० दे० 'द्विरद' । दिरमान | - स्त्री० चिकित्सा | दिरमानी * - पु० चिकित्सक, वैद्य । स्त्री० चिकित्साशास्त्र'जस आमय भेषज न कीन्ह तस दोष कछू दिरमानी'विनयप० ।
दिरानी * - स्त्री० देवरानी ।
दिनांध - दिल
दिल- पु० [फा०] एक अवयव जिसके द्वारा मनुष्यके शरीर में रुधिरका संचार होता रहता है; हृदय, मन, जी; हिम्मत; हौसला; इच्छा । - आरा - वि० माशूक, प्रियतम । - कश-वि० मनको खींचनेवाला, चित्ताकर्षक । - कुशा - वि० चित्तको प्रसन्न करनेवाला । - कुशाई - स्त्री० चित्तको प्रसन्न करना । - कुशी - स्त्री० जीको लुभाना, चित्तको अपनी ओर खींचना । - खुशवि० मनको प्रसन्न करनेवाला । -ख़्वाह - वि० मनचाहा । -गीर - वि० शोकग्रस्त, उदास, रंजीदा । - गीरी - स्त्री० उदासी, रंज । - चला - वि० साहसी, उत्साही, बहादुर । -चस्प - वि० जिसमें मन रमे, रुचिकर । -चस्पी - स्त्री० चाव, रुचि, शौक । -चोर - वि० भीरु, कायर; कामचोर । - जमई - स्त्री० चित्तका समाधान, इतमीनान, तसल्ली । - जला - वि० दुःखी । जोई - स्त्री० ढाढ़स, दिलासा, सांत्वना । - दरिया - वि० दे० 'दरियादिल' । - दार - वि० जिससे प्रेम किया जाय, प्रेमपात्र; रसिक; उदार । - दारी - स्त्री० प्रेमपात्रता; रसिकता; उदारता । - पसंद - वि० जो जीको अच्छा लगे, जिसे मन चाहे । - फेंक - वि० रूपलोभी । -बर- वि० दे० 'दिलदार' | -बस्त - वि० जिसका दिल कहीं लगा हुआ हो। - बस्तगीस्त्री० मनबहलाव । -रुबा - वि० मनको लुभानेवाला; प्यारा, प्रेमपात्र । पु० एक बाजा । -शिकन - वि० दिल तोड़नेवाला, हिम्मत पस्त करनेवाला । - शिकस्त - वि० उदास, चिंतित । -शुदा - वि० आशिक, दीवाना | - सोज़ - वि० परदुःखकातर हमदर्द । मु० - अटकना- किसीसे प्रेम हो जाना। कड़ा करना - मनमें ढ़ता लाना। - कबाब होना - मनका जल-भुन जाना । - का खोटा - कपटी, दगाबाज का गवाही देनाअंतरात्माका कोई काम करना स्वीकार करना । -का गुबार निकलना - मनका मलाल दूर करना । -का बादशाह - अति उदार; मनमौजी ।-की आग बुझना -
ठंडा होना; इच्छा पूरी होना । - की कली खिलनाजी खुश होना । - की दिलमें रहना-मनोरथका पूर्ण न होना । - की फाँस - आंतरिक वेदना । - के फफोले फूटना - मनका उद्योग शांत होना । - के फफोले फोड़ना- किसीको खरी-खोटी सुनाकर मनका उद्व ेग शांत करना । - को क़रार होना -- मनका आश्वस्त होना । - खट्टा होना - मन फिर जाना। -चुराना - काममें मन न लगाना। -जमना - दिल लगना । - जलना - रंज होना, गम होना । - जलाना-सताना; गम खाना । - डूबना - बेहोश या बेचैन होना । - तोड़ना - हिम्मत तोड़ना । - दहलना - कलेजा काँपना । - दुखाना - कष्ट पहुँचाना, सताना | - देना - प्रेमासक्त होना । - दौड़नाप्रबल इच्छा होना । - दौड़ाना - -मन चलाना; सोचना, बिचारना । - धड़कना - दे० 'कलेजा धड़कना' । -पक जाना - दिलमें सख्त रंज होना; ताने सुन-सुनकर दिलको कष्ट होना । - पर साँप लोटना - दे० 'कलेजेपर साँप लोटन' । - फट जाना या फटना-दिल खट्टा होना । - फटा जाना-बेचैन होना, व्याकुल होना । - बढ़ना
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