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दलेल - दस्त
'दलेल - पु० सिपाहियोंसे सजाके तौरपर करायी जानेवाली कड़ी कवायद । मु० - बोलना-सजाके लिए कड़ी कवायदकी आज्ञा देना ।
दलैart - पु० नाशक, निहंता ।
दव - पु० [सं०] वन, जंगल; दावानल |
दवन * - पु० दमन; दौना; दमन या नाश करनेवाला । दवना * - पु० दे० 'दौना' । स० क्रि० जलाना, झुलसना । दवनी - स्त्री० दे० 'देवरी' ।
दवरिया * - स्त्री० दे० 'दवारि' ।
दवा - *स्त्री० दावानल; [फा०] औषध, इलाज, उपचार, चिकित्सा; शमनका उपाय; रास्तेपर लानेका उपाय । -ख़ाना - पु० वह स्थान जहाँ बेचनेके लिए दवा रखी हो, औषधालय । - दरपन - पु०, दारू - स्त्री० इलाज,
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उपचार ।
दवाई - स्त्री० दे० 'देवा' । - खाना - पु० दे० 'दवाखाना' । दवागि, दवागिन * - स्त्री० दे० 'दावानल' । दवाग्नि- स्त्री० [सं०] वनमें स्वतः लगनेवाली आग, वनाग्नि, दावानल |
दवात - स्त्री० [अ०] स्याही रखनेका बरतन, मसिपात्र । दवान * - पु० एक हथियार ।
दवानल - पु० [सं०] दे० 'दवाग्नि' |
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दवामी - वि० [अ०] स्थायी, कायमी । - बंदोबस्त - पु० जमीनका वह प्रबंध जिसमें मालगुजारी हमेशा के लिए निश्चित कर दी जाती है, उसमें कभी वृद्धि नहीं होती । दवार, दवारि* - स्त्री० दे० 'दवाग्नि'; संताप । दश (न्) - वि० [सं०] नौ और एक । पु० दसकी संख्या, १० । — कंठ - पु० दशानन रावण । -कंठ जहा*, - कंठ जित्-पु० राम - कंठारि-पु० राम । - कंधर - पु० दे० 'दश-कंठ' । - कर्म (न्) - पु० गर्भाधान से लेकर अंत्येष्टिक्रिया या विवाहतकके दस कर्म । -गात * - पु० दे० 'दशगात्र' । - गात्र- पु० शरीरके मुख्य दस अंग; मृत्यु के दसवें दिन पूरा होनेवाला एक और्ध्वदेहिक कृत्य । - ग्रामपति -पु० वह जिसे राजाकी ओरसे दस गाँवोंके शासनका भार सौंपा गया हो। -ग्रामिक दे० 'दशग्रामपति' । - ग्रीव - पु० रावण-द्वार - पु० मनुष्य शरीरके दस छिद्र । - नामी- पु० [हिं०] शंकराचार्यके दस प्रशिष्यों से चला संन्यासियों का एक संप्रदाय । -पंच तपा ( प ) - पु० दसों इंद्रियोंको वशमें रखते हुए पंचा ग्नि तप करनेवाला तपस्वी बाहु-पु० शिव । - - भुज-पु० ( डेकेगॉन) वह आकृति जिसमें दस भुजाएँ हों । - भुजा, - महाविद्या- स्त्री० दुर्गा । -मास्य - वि० जो दस महीनोंतक गर्भमें स्थित रहा हो। -मुख- पु० रावण । - मुखांतक - पु० राम । - मूल - पु० दस पेड़ों-सरिवन, पिठवन, गोखरू आदिकी जड़ या छाल । - मौलि - पु० रावण । -रथ- पु० अयोध्याके एक प्राचीन सूर्यवंशी सम्राट् जो रामके पिता थे । -वक्त्र, - वदन- पु०रावण । - शिर, - शीर्ष - पु० रावण । - शीश, - सीस* - पु० रावण । -हरा- पु० ज्येष्ठ शुक्ला दशमी जिस दिन गंगाका जन्म हुआ था और सेतुबंध में रामने रामेश्वर की स्थापना की थी; विजया दशमी । स्त्री०गंगा ।
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दशक - पु० [सं०] दसका समाहारः (डिकेड) दस वर्षोंका समाहार, दशाब्द |
दशन - पु० [सं०] दाँत; दाँतसे काटने की क्रिया; कवच; शृंग, चोटी । - बीज - पु० अनार । दशनामी - पु० दे० 'दश' के साथ |
दशम - वि० [सं०] दसवाँ । पु० दसवाँ भाग । - दशास्त्री० कामकी अंतिम दशा जिसमें वियोगी प्राण त्याग देता है । - भाव- पु० फलित ज्योतिष के अनुसार जन्म लग्न से दसवाँ घर । - लव - पु० भिन्नका एक भेद जिसमें हर दश या उसका कोई घात होता है (ग०) । दशमांश - पु० [सं०] दसवाँ भाग ।
दशमी - स्त्री० [सं०] चांद्र मास के प्रत्येक पक्षकी दसवीं तिथि । दशांग-पु० [सं०] गुग्गुल, चंदन, जटामासी आदि गंधद्रव्योंके योगसे संपन्न एक हवनीय धूप । - क्काथ- पु० दस ओषधियों - अड़ूसा, गुडुच आदिका काढ़ा | दशांत - पु० [सं०] वृद्धावस्था, बुढ़ापा; दीयेकी बत्तीका छोर ।
दशांतर - पु० [सं०] जीवनकी विभिन्न अवस्थाएँ । दशा - स्त्री० [सं०] अवस्था, स्थिति; जीवनकी कालकृत विशेष अवस्था - जैसे गर्भवास, जन्म, बाल्य आदि; कामकी दस अवस्थाओं में से एक; ग्रह-विशेषका भोग्य काल; दीयेकी बत्ती; किसी वस्त्र या अँगरखेका छोर । दशाधिपति-पु० [सं०] विशिष्ट दशाका स्वामी ग्रह (ज्यो०); दस पैदल सिपाहियोंका नायक । दशानन - पु० [सं०] रावण । दशाब्द-पु०, दशी - स्त्री० [सं०] (दिकेड) दश वर्षोंका
समय, दशक |
दशाद' - वि० [सं०] दसका आधा, पाँच । दशावतार - पु० [सं०] विष्णुके दस अवतार | दशास्य- पु० [सं०] रावण ।
दशाह - पु० [सं०] दस दिनोंका • समाहार; और्ध्वदेहिक कृत्यका दसवाँ दिन ।
'दस - वि०, पु० दे० 'दश' । - माथ, - मौलि* - पु०रावण । दसन-पु० * दे० 'दशन' ।
दसना-अ० क्रि० बिछना, बिस्तर आदिका फैलाया जाना । पु० दे० 'डासन' |
दसमी - स्त्री० दे० 'दशमी' |
दसवाँ - वि० जो क्रममें नौके बाद या दसके स्थानपर हो । पु० मृत्युतिथिसे दसवाँ दिन; उस दिन होनेवाला प्रेतकृत्य । दसा* - स्त्री० दे० 'दशा' |
दसाना * - स० क्रि० बिछाना ।
दसोतरा - वि० जिसमें दस और जुड़ा हो, दस अधिक । पु० सौ पीछे दसकी रकम । दसौंधी - पु० चारणोंकी एक जाति, भाट । दस्तंदाज़ - वि० [फा०] दखल देनेवाला हस्तक्षेप करनेवाला । दस्तंदाजी - स्त्री० [फा०] हस्तक्षेप, छेड़छाड़ | दस्त - पु० [फा०] हाथ; पंजा; पतला पाखाना; प्रिय मेहमानों को बैठानेकी जगह । - कार - पु० हाथसे कारीगरीका काम करनेवाला व्यक्ति ।-कारी - स्त्री० दस्तकारका काम; हाथकी कलापूर्ण कृति । -ख़त पु० हस्ताक्षर । -ख़ती
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