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दर्जिन - स्त्री० दर्जी जातिकी स्त्री; दर्जाकी स्त्री ।
दर्जी - पु० [फा०] कपड़ा सीनेवाला, वह व्यक्ति जिसका व्यवसाय कपड़ा सीना हो ।
दर्द-पु० [फा०] पीडा, व्यथा; कष्ट, दुःख, तकलीफ, तरस, रहम; सहानुभूति; शोक । - अंगेज़ - वि० दर्द उठाने वाला, मनको व्यथित करनेवाला । -नाक- वि० दर्द से भरा हुआ। -मंद-वि॰ पीडित; दूसरेकी व्यथाको समझनेवाला, करुणाशील । (दर्दे) दिल - पु० मनोव्यथा । दर्दुर-पु० [सं०] मेढक ।
- पु० [सं०] दद्दू, दाद । - न - पु० चकवड़ | द', दण - पु० [सं०] वह व्यक्ति जिसे दादका रोग हुआ हो ।
दर्प - पु० [सं०] चित्तका वह भाव जिसके कारण मनुष्य दूसरों की अवज्ञा करे और गुरु, स्वामी, राजा आदिको भी कुछ न समझे, अहंकार; हर्ष से उत्पन्न गर्व; मृगमद, कस्तूरी; उच्छृंखलता; उत्साह । -हर- वि० दर्प हरण करनेवाला । दर्पक - पु० [सं०] दर्प करनेवाला मनुष्यः कामदेव | दर्पण - पु० [सं०] आकृति देखनेका शीशा, आईना, मुकुर,
आरसी; नेत्र; एक पर्वत जो कुबेरका निवासस्थान था । दर्पित, दर्पी ( पिनू ) -- वि० [सं०] दर्पयुक्त, अहंकारी । द* - पु० द्रब्य, धन-दौलत; खरी धातु (सोना, चाँदी आदि ) ।
दर्बान - पु० दे० 'दरबान' ।
दर्बार - पु० दे० 'दरबार' ।
दर्भ - पु० [सं०] कुश, डाभ; कुशासन ।
दर्भासन - पु० [सं०] कुशका बना हुआ आसन, कुशासन । दर्मियान - पु०, अ० दे० 'दरमियान' |
दर्याव * - पु० दे० 'दरिया' ।
दर्श - पु० मोटा आटा; [फा०] दो पहाड़ोंके बीचसे होकर जानेवाला तंग रास्ता, घाटी; दरार, दरज ।
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दर्जिन - दलील
तान देखते ही, तुरंत करना पड़े । दर्शयिता (तृ) - ५० [सं०] दिखलानेवाला; मार्गप्रदर्शन करनेवाला; द्वारपाल ।
दर्शाना- स० क्रि०, अ० क्रि० दे० ‘दरसाना' । दर्शित- वि० [सं०] दिखाया हुआ; प्रकटित, प्रकाशित; प्रमाणित; प्रकट |
दर्शी ( शिंन् ) - वि० [सं०] (समासांत में) साक्षात्कार करने वाला; विवेचन करनेवाला; प्रदर्शित करनेवाला |
दल - पु० [सं०] उन दो बराबर भागों में से एक जिनमें अन्न के दाने या फल आदिके बीज दबाव पड़नेपर अपने आप विभक्त हो जायँ; कटा हुआ टुकड़ा; अंश; म्यान; पत्ता, पत्र; तमालपत्र; फूलकी पँखड़ी; एक विचारके या एक साथ कार्य करनेवाले व्यक्तियोंका समूह, गुट, झुंड, गिरोह, टोली; हमराही; सैनिकोंका समूह, फौजका दस्ता; मिश्रण; आधारभूत परत - गंजन- वि० भारी वीर । - नेता - पु० (कैप्टन) खेलमें सम्मिलित होनेवाले दो पक्षों या दलों में से किसी एकका नेता, कप्तान; सेनाकी टुकड़ी (कंपनी या ट्रूप) का नायक । - पति-पु० दलका मुखिया या सरदार | -वाल* - पु० सेनानी । -वीटकपु० कानका एक गहना ।
दलक-स्त्री० गुदड़ी; टीस, चमक; आघात से उत्पन्न कंप । दलकन - स्त्री० दलकनेकी क्रिया या भाव; दलक; आघात । दलकना - अ० क्रि० इस तरह फटना कि दरार पड़ जाय, चिर जाना; कंपित होना, काँपना; डगमगाना । स० क्रि० त्रस्त कर देना; कंपा देना। मु० दलक उठना - कंपित हो उठना, क्षुब्ध हो जाना ।
दलदल-पु०, स्त्री० [अ०] कीचड़, पंक; दूरतक गीली जमीन जिसमें पाँव धँसता चला जाय । मु० में फँसनाऐसी मुसीबत में फँसना जिससे उबरना बहुत मुश्किल हो । दलन- पु० [सं०] चूर्ण करना, पीसना, कुचलना; नाश संहार, उच्छेद; विदारणः नाशकारक |
दलना - स० क्रि० चक्की में डालकर दो या अधिक टुकड़े करना; कुचलना; नष्ट करना; तोड़ना; चूर करना । दलमलना - स० क्रि० रौंद डालना, कुचलना; मसल डालना ।
दव - स्त्री० [सं०] बड़ी करछुल; साँपका फन । दर्शक - पु० [सं०] देखनेवाला, द्रष्टा; दिखानेवाला । दर्शन - पु० [सं०] चाक्षुष प्रत्यक्ष साक्षात्कार, जानना; वह शास्त्र जिसमें आत्मा, अनात्मा, जीव, ब्रह्म, प्रकृति, पुरुष, जगत्, धर्म, मोक्ष, मानव जीवनके उद्देश्य आदिका निरूपण हो, तत्त्वज्ञान करानेवाला शास्त्र [छः आस्तिक-सांख्य, योग, वैशेषिक, न्याय, मीमांसा (पूर्व मीमांसा) और वेदांत (उत्तर मीमांसा) तथा छः नास्तिक - चार्वाक, जैन, माध्यमिक, योगाचर, सौत्रांतिक और वैभाषिक - प्रधान माने जाते हैं ]; नेत्रदृष्टि; बुद्धि; स्वप्न; प्रदर्शन; परीक्षण; शास्त्र; दर्पण; धर्म; रूपरंग; रायः नीयत; यश; उपस्थिति (न्यायालयमें) । - प्रतिभू-पु० वह प्रतिभू जो महाजनकी इच्छा के अनुसार ऋणीको किसी भी समय या किसी भी स्थानपर उपस्थित करनेका भार स्वीकार करे; जमानतदार । - प्रातिभाव्य - पु० दे० 'दर्शन-प्रतिभू' । दर्शनीय-वि० [सं०] देखने, दर्शन करने योग्य; मनोहर । दर्शनी हुंडी - स्त्री० ऐसी हुंडी जिसका भुगतान तत्काल करना पड़े; (ला० ) ऐसी वस्तु जिसके द्वारा कोई वस्तु तत्काल प्राप्त की जा सके । दर्शनेदेय - वि० [सं०] (पेयेबिल ऐट साइट) जिसका भुग- | दलील - स्त्री० [अ०] युक्ति, तर्क; बहस ।
दलवाना - स० क्रि० दलनेका काम दूसरे से कराना । दलवैया - पु० दलनेवाला; जीतनेवाला ।
दलहन- ५० वह अन्न जिससे दाल तैयार की जाय । दलहरा - पु० दाल बेचनेवाला । दलादली-स्त्री० दलोंकी होड़ । अ० होड़ करके । दलाना - पु० दे० 'दालान' |
दलाल - पु० सौदे आदिको पटाने में मध्यस्थता करनेवाला, बिचवई कुटना |
दलाली - स्त्री० दलालका काम; दलालका काम करने के बदले में मिलनेवाली रकम ।
दलित- वि० [सं०] रौंदा, कुचला, दबाया हुआ, पदाक्रांत । - वर्ग-पु० हिदुओं में वे शूद्र जिन्हें अन्य जातियोंके समान अधिकार प्राप्त नहीं हैं। दलिया-पु० दला हुआ अनाज जो दरदरा हो !
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