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ढनमना-ढीठो, ढील्यो
ढनमना-अ०क्रि० लुढ़कना; चक्कर खाकर गिरना। ढाँस-स्त्री० सूखी खाँसी खाँसनेकी आवाज । ढप, ढफ*-पु० दे० 'डफ'।
ढासना-अ० क्रि० सूखी खाँसी खाँसना । ढपना-पु० ढक्कन । अ० क्रि० स० कि०पना,छिपाना । ढाई-वि० दो और आधा । पु० ढाईकी संख्या, २॥ ।मु०ढपला -पु० दे० 'डफला' ।
दिनकी बादशाहत-चंद दिनोंकी मौज; दूल्हा बनना। ढब-पु० ढंग, तरीका; तरह; बनावट; आदत; युक्ति। ढाक-पु० पलाशा बड़ा ढोल । ढमकाना-स० क्रि० बजाना।
ढाड़, ढाढ़-स्त्री० चीत्कार, चीख चिग्घाड़। मु०-मारना ढयना-अ० कि० मकान आदिका गिरना।
-चीत्कार करते हुए रोना। ढरकना*-अ० क्रि० नीचेकी ओर जाना ढालकी ओर ढाढ़ना*-स० क्रि० दे० 'डादना' । बहना; जल आदिका पात्रमेंसे गिरना; ढलन।।
ढाढ़स, ढारस-पु० धीरज, दिलासा, सांत्वना । ढरका -पु० आँखसे बराबर पानी बहनेका रोग; बाँसका | ढाढ़ी-पु०घूम-घूमकर जन्मोत्सवके गीत गानेवाली एक जाति । चोंगा जिससे चौपायोंको दवा आदि पिलाते हैं।
ढाना-सक्रि० गिराना; ध्वस्त करना। ढरकाना*-स० क्रि० जल आदिको पात्रसे गिराना। ढाबर*-वि० गदला, गंदा, मटमैला । ढरकी-स्त्री० जलाहोंका एक औजार जिससे वे बानेका ढाबा-पु० मुर्गियों आदिको बंद करनेका टोकरा या खाँचा: सूत फेंकते है, भरनी।
जाल, ओलनी; परछत्ती; रोटीकी दुकान । ढरकीला-वि० दरकने या लुढ़कनेवाला ।
ढामक-पु० नगाड़ा, ढोल; डंके, ढोल आदिका शब्द । ढरना*-अ० क्रि० दे० 'ढलना।
ढार*-पु० ढालुवाँ जमीन; उतारः ढाँचा; मार्ग। स्त्री० ढरनि* --स्त्री० गिरनेका भाव या क्रिया, झुकाव; किसी कानका एक गहना फलक; ढाल । ओर ढलना; किसीकी ओर झुकना।
ढारना*-सक्रि० दे० 'ढालना। ढरहरना*--अ० क्रि० ढलना; सरकना, झुकना।।
ढाल-स्त्री० आगेकी ओर क्रमशः नीची होती गयी जमीन ढरहरा-वि० ढालुवाँ ।
उतार; ढंग, प्रकार; [सं०] तलवार, भाले आदिके आधाढराना -स० वि० दे० 'ढलाना'। अ० वि० आँसू बहाना। |तको रोकनेका लोहे या गेंडेके चमड़ेका बना कछुएकी ढरारा-वि० ढलनेवाला द्रवित होनेवाला; ढालू ।
पीठ जैसा एक साधन । ढर्रा-पु० मार्ग, रास्ता; शैली; आदत; उपाय ।
ढालना-सक्रि० पानी आदिको गिराना, उड़ेलना; शराब ढलकना-अ० क्रि० दे० 'ढलना'।
पीना पिघली हुई धातुको साँचे द्वारा विशेष रूप देना। ढलका-पु० आँखोंसे पानी गिरनेका रोग ।
ढालवाँ-वि० जो आगेकी ओर नीचा होता गया हो, ढालू । ढलकाना-स० कि० (पानी आदि) लुढ़काना ।
ढालू-वि० दे० 'ढालवाँ'। ढलनशीलता-स्त्री० (प्लैस्टिसिटी) ढलनशील होनेका गुण, ढास-पु० डाकू, लुटेरा । गलाकर ढाले जानेकी शक्ति या गुण ।
ढासना-पु० टेक, आधारकी वस्तु, सहारा तकिया। ढलना-अ०क्रि० दरकना; लुढ़कना; बीतना; नीचेकी ढाहना*-सक्रि० दे० 'ढाना।
ओर जाना; अस्ताचलकी ओर जाना;साँचेमें ढाला जाना; ढिंढोरना*-स० क्रि० दे० 'ढंढोरना। समाप्ति या अंतकी और जाना; चँवर आदिका विशेष ढंग-ढिंढोरा-पु० मुनादी, डुग्गी; डुग्गी बजाकर की गयी से इधर-उधर हिलाया जाना द्रवित होना; उड़ेला जाना।। घोषणा । ढलवा-वि० ढाला हुआ।
ढिग-अ० पास, समीप, नजदीक । * स्त्री० तटकिनारा । ढलवाना-स० क्रि० ढालनेका काम दूसरेसे कराना। ढिठाई-स्त्री० धृष्टता, बेअदबी; दुःसाहस । ढलाई-स्त्री० ढालनेकी क्रिया या उजरत.।
ढिपुनी-स्त्री० चूचुक । ढलाना-स० कि० दे० 'ढलवाना।
ढिबरी-स्त्री० दीपकके काम आनेवाली टीन, शीशे, मिट्टी ढलुवाँ-वि० दे० 'ढलवाँ'।
आदिकी बनी डिबिया। ढलैत-पु० ढालधारी, सैनिक ।
ढिमका-सर्व० अमुक, फलाँ। ढवरी*-स्त्री० लगन, धुन । .
ढिमरिया-स्त्री० कहारिन, पानी लानेवाली। ढहना-अ०क्रि० मकान आदिका गिरना, ध्वस्त होना। ढिलाई-स्त्री० ढीलापन; सुस्ती, शिथिलता । ढहरना*-अ० क्रि० लुढ़कना, गिर पड़ना।
ढिलाना-स० क्रि० ढीला कराना; बंधनसे छुड़ाना; * ढीला ढहराना -स० क्रि० लुढ़काना; गिराकर अलग करना। __ करना; बंधनसे मुक्त करना । ढहरी*-स्त्री० देहली; मटकी।
ढिसरना*-अ० क्रि० फिसल पड़ना प्रवृत्त होना झुकना। ढहधाना-स० क्रि० ढहानेका काम दूसरेसे कराना। ढींगर*-पु० अधिक लंबा-चौड़ा व्यक्ति; जार । ढहाना-स० क्रि० गिराना, ध्वस्त करना।
ढींद, ढींढा-पु० गर्भ; बड़ा पेट । ढाँकना-स० कि० दे० 'ढकना'।
ढीच*-स्त्री० कूबड़ । ढाख-पु० दे० 'ढाक' ।
ढीट*-स्त्री० रेखा, लकीर । ढाँचा-पु० किसी वस्तुकी बनावटका आरंभिक या स्थूल ढीठ-वि० धृष्ट, बेअदबा संकोचरहित; चपल, निडर । रूप पंजर बनावट; तरह तरीका ।
ढीठता*-स्त्री० ढिठाई। ढाँपना-स० क्रि० दे० 'ढकना'।
| ढीठो, ढीव्यो*-पु० ढिठाई ।
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