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डेरी-ढड्रा
३१२ डेरी-स्त्री० [अं॰] वह स्थान जहाँ दूध देनेके लिए गायें- आदि बेचती है; ढाढ़ी। -कौआ-[हिं०] पु० बड़ा,
भैसें रखी जाती हों और मक्खन आदि तैयार होता हो। काला कौआ। डेल*-पु० उल्लू ढेला; निस्सार वस्तु; पिंजड़ा, डलिया। डोमड़ा-पु० दे० 'डोम' । डेलटा-पु० [अं॰] नदीके मुहानेपर बनी तिकोनी भूमि। डोमनी, डोमिनी-स्त्री० डोम जातिकी स्त्री; दाढ़ीकी स्त्री। डेला-पु० रोड़ा, ढेला; आँखका गोलक ठेंगुर ।
डोर-स्त्री० [सं०] धागा, तागा, सूत्र (ला०) बंधन, लगाव । डेली*-स्त्री० डलिया, झापा।
डोरा-पु० सूत, तागा; धारी; आँखकी पतली लाल नसें; डेवढ़-पु० क्रम, सिलसिला । * वि० डेढ़ गुना।
वह वस्तु जिसके सहारे किसीका अनुसंधान किया जा सके। डेवढ़ना-स० कि० (कपड़ा इ०) मोड़ना, तह लगाना । डोरिया-पु० धारीदार कपड़ा। डेवढ़ा-वि० डेढ़गुना। पु० एक पहाड़ा जिसमें क्रमसे डोरियाना*-सक्रि० घोड़ों आदिको रस्सी बाँधकर ले जाना। प्रत्येक अंककी डेढ़गुनी संख्या पढ़ी जाती है। -दरजा- डोरिहारी-पु० पटवा । पु० इंटर कास।
डोरी-स्त्री० रस्सी; (ला०) सूत्र; बंधन; फाँस, लगन । डेवढ़ी-स्त्री० दे० 'ड्यौदी।
डोरे*-अ० साथ-साथ । डेस्क-पु० [अं०] लिखने-पढ़नेके काम आनेवाली | डोल-पु० पानी भरनेका लोहेका गोल बरतन; * झूला ढालुओँ मेज।
पालकी हलचल । वि० डोलनेवाला, हिलनेवाला; चंचल । डेहरी -स्त्री० अन्न रखनेका कच्ची मिट्टीका बना बड़ा डोलची-स्त्री० छोटा डोल; फल-फूल ढोनेका हाथमें लटकाने बरतन ।
योग्य डोलनुमा छोटा वरतन । डैन*-पु० दे० 'डैना'।
डोलना-अ० क्रि० हिलना; इधर-उधर घूमना, चलनाडैना-पु० पंख, पर।
फिरना; अपनी जगहसे हटना; (मनका) विचलित होना। डैश-पु० [अं॰] विरामसूचक आड़ी लकीर ।
डोला-पु० स्त्रियोंकी एक सवारी जिसे कहार ढोते है। डोंगर-पु० ढूह, टीला, भीटा; पहाड़ी।
मु०-देना-लड़की वरके घर ले जाकर ब्याह देना। डोंगा-पु० बड़ी नाव ।
डोलाना-स० क्रि० हिलाना; झलना; हटाना। डॉगी-स्त्री० छोटी नाव ।
डोली-स्त्री० एक तरहकी स्त्रियोंकी पालकी, शिविका । डाँडा*-पु० कारतूस; फलबड़ी इलायची।
डोही*-स्त्री० दे० 'डोई'। डोड़ी-स्त्री० पोस्तेका फल; टोंटी; डोंगी; डौंड़ी, डुगडुगी। डौंडी-स्त्री० डुग्गी, मुनादी । डोई-स्त्री० काठकी डाँडीवाली एक तरहकी कलछी जिससे डौंरू-पु० दे० 'डमरू'। दूध आदि चलाते हैं ।
डीआ*-पु० काठकी बनी बड़ी करछी। डोकरा-पु० बूढ़ा आदमी।
डौल-पु० ढाँचा, बनावटका तर्ज, ढव; रूपरेखा, गठन; डोका-पु० तेल आदि रखनेका काठका बरतन ।
(ला० ) स्वरूप; कार्यसाधनका उपाय; प्रबंध, युक्ति । डोकिया, डोकी-स्त्री० छोटा डोका ।
-डाल-पु० उपाय; कोशिश । -दार-वि० सुडौल, डोब, डोबा-पु० गोता, डुबकी।
सुंदर । मु०-डालना-रूपरेखा तैयार करना। -पर डोबना-स० क्रि० गोता देना, डुबाना ।
लाना-कतरब्योंत कर दुरुस्त करना । डोम-पु० [सं०] अंत्यजोंकी एक जाति जो दौरी, सूप | ड्योढ़ी-स्त्री० दहलीज, पौरी । -वान-पु० द्वारपाल ।
ढ-नागरी वर्णमालाका १४ वाँ व्यंजन वर्ण ।
करना । अ० क्रि० छिपना, आच्छादित होना ढंकना-पु०, स० क्रि०, अ० क्रि० दे० 'ढकना' । ढकनियाँ-स्त्री० ढाकनेकी वस्तु, ढक्कन । ढंख*-पु० पलाश, ढाक ।
ढकनी -स्त्री० हाँकनेकी वस्तु; कसोरा। ढंग-पु० रीति, शैली, तरीका; तर्ज; चलन; प्रकार, रूप, | ढका*-पु० धक्का, प्रहार, बड़ा ढोल ।
बनावट; उपाय, कुशलता; आचरण; पाखंड; लक्षण । ढकिल* --स्त्री० आक्रमण, चढ़ाई। ढंगी-वि० धूर्तः कुशल; जिसे काम निकालनेका ढंग हो।
| ढकेलना-सक्रि०ठेलकर गिराना; धक्का देकर आगे बढ़ाना । ढढोर*-पु० आगकी ऊँची लपट ।
ढकोसना-स० क्रि० अत्यधिक मात्रामें पीना; जल्दीढंढोरची-पु० मुनादी करनेवाला।
जल्दी पीना। ढंढोरना*-स० कि० हूँढ़ना, एक-एक वस्तुपर ध्यान देते | ढकोसला-पु० झूठा दिखावा; आडंबर, पाखंड । हुए खोजना।
ढक्कन-पु० ढकना, ढाँकनेकी वस्तु । ढंढोरा-पु० डुग्गी, मुनादी। मु०-पीटना-घोषित करना। ढगण-पु० [सं०] तीन मात्राओंका एक मात्रिक गण । ढंढोरिया-पु० हूँढोरा पीटनेवाला।
ढचर-पु० आयोजन आडंबर; बखेड़ा, झंझट । ढपना-पु०, स० क्रि०, अ० क्रि० दे० 'ढकना। ढढी-स्त्री० दाढ़ी बाँधनेकी पट्टी; काग। तु-पु० [सं०] बड़ा ढोल; कुत्ता; कुत्तेकी पूँछ; सर्प ।। | ढड्रा-वि० अनावश्यक विस्तारवाला; जिसमें दिखावा ढकना-पु० ढकन। स० क्रि० छिपाना, आच्छादित, अधिक हो । पु० आडंबर, दिखावटी ठाटबाद ।
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