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झपन-झिरी
का बना परदा; बग्धीका टप; बाँसकी तीलियोंका बना मुर्गियोंका दरबा; उछल-कूद । * स्त्री० पर्दा, चिक; झपकी । झाँपना-स० क्रि० ढकना, छोप लेना । अ०क्रि० झेंपना । झाँपी - स्त्री० टोकरी; बाँसकी पिटारी; झपकी ।
झाँसना - स० क्रि० झाँसा देना, ठगना; बहकाना । झाँसा - पु० धोखा, जुल, बुत्ता । - पट्टी - स्त्री० दमबाजी । झाँसिया, झाँसू - वि० झाँसा देनेवाला ।
झा - पु० मैथिल ब्राह्मणोंकी एक उपाधि ।
झाऊ - पु० रेतीले मैदानोंमें होनेवाला एक छोटा झाड़ । झाग- पु० फेन, गाज 1
झाँवना* - स० क्रि० झाँबेसे रगड़ना ( मैल छुड़ाने के लिए) । झाँवर- स्त्री०नीची जमीन । वि० मुरझाया हुआ; मलिन । झाँवली - स्त्री० झलक; झाई; आँखका संकेत । झाँवाँ - पु० जली हुई ईट जो मैल छुड़ानेके लिए देह रग- शामी* - वि० छलिया, धोखेबाज |
के काम आती है ।
झागड़ * - पु० दे० ' झगड़ा' |
झाड़-पु० छोटा पेड़ या पौधा जिसकी जड़से डालियों जैसे कई तने निकलकर झाड़ियोंकी शक्ल में फैल जायँ; छोटा, गुंजान, कँटीला पेड़; झाड़की शक्लका फानूस जो छत या शामियानेसे लटकाकर जलाया जाता है और जिसमें बहुतसी मोमबत्तियाँ या बल्ब एक साथ जलाये जा सकते हैं; एक आतिशबाजी; ताँता । - खंड-पु० जंगल; दे० 'झारखंड' । -झंखाड़-पु० कँटीले पेड़ों, झाड़ियोंका समूह; टूटी-फूटी, रद्दी चीजें ।-दार- वि० कटीला; घना । पु० एक तरहका कशीदा । -फ़ानूस- पु० शीशेका बना रोशनी और सजावटका सामान । झाड़ - स्त्री" झाड़नेकी क्रिया ( केवल समासमें व्यवहृत ); फटकार, भर्त्सना; मंत्रोपचार। - पाँछ - स्त्री० सफाई । - फूँक- स्त्री० झाड़ना फूकना, मंतर - जंतर । झाड़न-स्त्री० झाड़ने से निकली हुई चीज; पु० झाड़नेके काम आनेवाला कपड़ा ( डस्टर ) । झाड़ना - स० क्रि० झटकारना, धूल-गर्द साफ करना; बुहारना, झाड़ू देना; मंत्र पढ़कर फूँकना; फटकारना; कंघी करना; ( पेड़से फल ) नीचे गिराना; ( चिड़ियोंका पंख) छोड़ना; दूर करना, भगाना ( शेखी, बदमाशी, घमंड) | मु० झाड़ पछोड़कर देखना- जाँच-तौल करना; खूब आजमाना । झाड़-पोंछकर - कुल इकट्ठा करके,
झाड़-बुहारकर |
झाड़ा - पु० जामा तलाशी; झाड़-फूँक; विष्ठा; शौच जाने की इच्छा या क्रिया; टट्टी ।
झाड़ी - स्त्री० कँटीले पौधों या झाड़ोंका समूह; एक में मिले हुए कँटीले पौधे । झाड़-स्त्री० सींकों, तीलियों आदिका पूला जिससे धूल, आदिकी सफाई करते हैं, बुहारी, बढ़नी; पुच्छल तारा । - कश-पु० झाड़ देनेका पेशा करनेवाला, भंगी ।-बरदार - पु० दे० 'झाड़ कश' । मु०-फिरना- कुछ बाकी न रहना, सब नष्ट हो जाना। - मारना - तिरस्कार करना, ठोकर मारना (स्त्रि०) ।
झापड़ - पु० थप्पड़, जोरका तमाचा । झाबर - पु० दलदल; * खाँचा ।
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झाबा - पु० टोकरा; कुप्पा; चमड़ेका गोल थाल जो पंजाब में आटा छानने के काम आता है; झाड़; झब्बा | झाम- पु० गहराई से मिट्टी खोदकर निकालनेवाला एक यंत्र; एक बरतन जो भोज आदिमें दाल-तरकारी आदि परसने के काम आता है; * गुच्छा; छल, धोखेबाजी; डॉट-डपट । झामर - पु० पाँवों में पहननेका एक गहना । वि० झाँवरा, मलिन ।
झायँ झायँ - स्त्री० सुनसान जगह में होनेवाली 'झन-झन' आवाज, हवाका शब्द | मु०- करना-सूना, डरावनालगना । झार* - स्त्री० जलन, ज्वाला; झाल । पु० दे० 'झाड़'; समूह; पौना । वि० निरा, निपट, सब । - खंड - पु० एक पर्वतमाला जो वैद्यनाथसे पुरीतक गयी है; छत्तीसगढ़; छोटा नागपुर ।
झारना-स० क्रि० दे० 'झाड़ना' ।
झारा - पु० झरना, सूप; पतली छनी हुई भंग; * तलाशी । झारि-स्त्री०, वि० दे० 'झार' | झारी-स्त्री० पानी परसने, हाथ-मुँह धुलाने आदिके लिए काम में लाया जानेवाला टोटीदार बरतन, ग. डुआ; * झाड़ी। झाल- पु० झाँझ; झालनेकी क्रिया । स्त्री० चरपराहट, तीखापन; लहर; ज्वाला; संभोगकी इच्छा; वर्षा की झड़ी जो कई दिन लगी रहे । वि० दे० 'झार' । झालना - स० क्रि० धातुकी बनी चीजको टाँकेसे जोड़ना; किसी चीजको ठंढा करनेके लिए बरफ या शोरेमें रखना । झालर - स्त्री० लटकनेवाला हाशिया; किनारा; घड़ियाल; * एक पकवान । - दार- वि० जिसमें झालर लगी हो । झालरना * - अ० क्रि० दे० 'झलराना'; पुष्पादियुक्त होना । झालि* - स्त्री० झड़ी; झाल ।
झावझावँ - स्त्री० हुज्जत, तकरार । झिंगवा- पु० दे० 'झीँगा' | झिंगुली* - स्त्री० दे० 'झगा' ।
झिंझिया - स्त्री० वह घड़ा जिसके पेंदे में बहुतसे छेद होते हैं और जिसमें दिया बालकर घुमाया जाता है । झिगड़ना, झिगरना* - अ० क्रि० दे० 'झगड़ना' | झिझक स्त्री० हिचक, भड़क; लज्जाजनित संकोच । झिझकना-अ० क्रि० भय या लज्जाके कारण कोई बात कहने, करने में हिचकना, ठिठकना; भड़कना । झिझकार - स्त्री० झिझकारनेकी क्रिया या भाव। झिझकारना- स० क्रि० दुतकारना; झिड़कना । झिड़कना - स० क्रि० डाँटना, फटकारना । झिड़की - स्त्री० झिड़कनेका भाव, डाँट फटकार । झिपना - अ० क्रि० दे० 'झे पना'; बंद होना । झिपाना-स० क्रि० लजवाना, शर्मिंदा करना । झिर-स्त्री० दे० 'झिरी' | झिरकना-स० क्रि० दे० 'झिड़कना' | झिरझिरा - वि० झीना ।
झिरझिराना- अ० क्रि० 'झिरझिर' करते हुए बहना । झिरना - अ० क्रि० दे० 'झरना' । पु० छेद | झिरहर* - वि० झीना, सुराखदार । झिरी - स्त्री० संधि, झरी; वह गढ़ा जिसमें पानी रिसकर
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