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झंब* पु० गुच्छा, समूह । झँवकार, झँवकारा* - वि० स्याह, श्यामवर्ण । झँवराना - अ० क्रि० काला पड़ना; मुरझाना | झवा - पु० दे० 'झाँवाँ' ।
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( बगावतका झंडा खड़ा करना ) | ( किसी नगर, दुर्ग आदिपर) - गाड़ना- कब्जा करना; अपने अधिकारकी घोषणा करना । - झुकाना - किसीकी मृत्युपर राज्य या किसी दल, संस्थाकी ओर से शोकप्रकाश किया जाना । (किसी के) झंडे तले (- के नीचे ) आना, जमा होनाकिसीकी ओर से लड़नेके लिए तैयार होना, एकत्र होना । झंडी - स्त्री०छोटा झंडा । - दार- वि० जिसमें झंडी लगी हो । झेंडूला - वि० जिसके सिरपर गर्भके बाल हों, जिसका मुंडन न हुआ हो; गर्भका; धनी पत्तियोंवाला ।
बात के लिए लोगों को इकट्टा करना, उनका आह्वान करना |झकोल - पु० दे० 'झकोर' | झक्क-स्त्री०, वि० दे० 'झक' | झक्कड़-पु० अंधड़, तेज हवा | वि० दे० 'शक्की' । झक्की - वि० सनकी, खब्ती; बक्की, बकवादी । झक्खना * - अ० कि० दे० 'झाँखना' | झख-पु० दे० 'झष' । स्त्री० झीँ खनेकी क्रिया । - केतुदे० 'झषकेतु' । - निकेत - पु० दे० 'शषनिकेत' । -राज५० दे० 'झषराज' | मु० - मारना - बेकार काम करना, मजबूर होना ।
झंप - ५० [सं०] छलाँग, कुदान, घोड़ोंके गलेका एक गहना । शँपना - अ० क्रि० छलाँग मारना, उछलना; झपटना; ढकना; झेंपना; (पलकोंका) गिरना; ऊँघना | परिया, शँपरी* - स्त्री० पालकीका ओहार । झंपान- पु० पहाड़की चढ़ाई में काम आनेवाली एक तरहकी खुली डोली ।
झंपित* - वि० ढका हुआ ।
पोला- पु० छोटा झाँपा, पिटारा |
झवाना - अ० क्रि० कुछ स्याही आ जाना; मुरझाना; आगका जलकर बुझने लगना, कोयले, अंगारेपर राख चढ़ जाना; घटना; झाँवेसे रगड़ा जाना । स०क्रि० स्याही ला देना; आग ठंडी करना; झाँवेसे रगड़ना या रगड़वाना । झँवाचना* - स० क्रि० दे० 'वाना' । झँसना - स० क्रि० ठगना, धोखा देकर, बेवकूफ बनाकर पैसे ले लेना; सिर आदि में धीरे-धीरे तेल मलना ।
झ - पु० [सं०] झंझावात; अंधड़; तेज हवा के साथ वृष्टि; बृहस्पति; दैत्यराज; 'झन-झन'की आवाज; ताल; नष्ट वस्तु । झीँ*-- * स्त्री० दे० 'झाँई " ।
झउआ - पु० मिट्टी ढोनेका छिछला टोकरा ।
झक - स्त्री० सनक, खब्त, धुन; बड़बड़ाहट; आँच, ताप; दे० 'झख' । वि० चमकता हुआ, झकाझक । शकशक- स्त्री० कहासुनी हुज्जत, तकरार | झकझकाहट - स्त्री० चमक । झकझेलना - स० क्रि० दे० 'झकझोरना' । झकझोर - पु० झकझोरनेका भाव, झकझोरा; झोंका, झटका । झकझोरना - स०क्रि० पकड़कर जोर से हिलाना, झटका देना । झकझोरा - पु० झकझोरनेका भाव, झोंका, झटका । झकड़ - पु० दे० 'झक्कड़' ; लू (बुंदेल) ।
झकना - अ० क्रि० बकवाद करना; बड़बड़ाना; झगड़ना । झका* - वि० दे० 'झक' |
झकाझक - वि० खूब साफ और चमकता हुआ, चमाचम । झकुराना * - अ० क्रि० झकोरा खाना | स०क्रि०झकोरा देना । झकोर - पु० दे० 'झकोरा' |
झकोरना - अ० क्रि० हवाका झोंकेके साथ, पेड़ोंको झकझोरते हुए बहना, झकोरा मारना । झकोरा - पु० हवाका तेज झोंका; झटका ।
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झंडी - झड़ना
झखना * - अ० क्रि० दे० 'झाँखन ।' । झखी * - स्त्री० झप, मछली ।
झगड़ना - अ० क्रि० (दो आदमियोंका) झगड़ा करना, लड़ना । झगड़ा - पु० दो आदमियोंका वाक्कलह, तकरार; बखेड़ा । मु० - मोल लेना - जान-बूझकर झगड़े में पड़ना; झगड़ा खड़ा करनेवाली बात करना । झगड़ालू - वि० झगड़ा करनेवाला, कलहप्रिय । झगड़ी - वि० स्त्री० झगड़ा करनेवाली । झगर- पु० एक चिड़िया; * दे० 'झगड़ा' । झगरना * - अ० क्रि० दे० 'झगड़ना' । झगरा* - पु० दे० 'झगड़ा' | झगराऊ * - वि० दे० 'झगड़ालू' । झगरी - वि० स्त्री० 'झगड़ी' । स्त्री० झगड़ा, रार । झगला* - ५० दे० 'झगा' |
झगा - पु० (बच्चों का ढीला कुरता, अँगरखा । झगुलिया, झगुली - स्त्री० झगा ।
झज्जर, झज्झर-५० चौड़े मुँहका छोटा घड़ा, झंझर झझक - स्त्री० झझकनेकी क्रिया या भाव; दे० 'झिझक' | झझकन * - स्त्री० दे० 'झझक' |
झझकना - अ० क्रि० यकायक क्रुद्ध होकर बड़बड़ाने, जोरजोरसे बोलने लगना; भड़क उठना दे० 'झिझकना' । झझकारना - स० क्रि० दुतकारना; तुच्छ समझना । झझिया - स्त्री० दे० 'झिँ झिया' ।
झट-अ० बहुत जल्द, तुरत । -पट - अ० बहुत जल्द । झटकना - स० क्रि० झटका देना; झटकारना; छीन लेना; हथियाना, ऐंठना ।
झटका - पु० झोंकेके साथ दिया हुआ धक्का; (हवाका ) झोंका; पशुबलिका वह प्रकार जिसमें पशुकी गरदन तलवार आदिके एक ही हाथमें अलग हो जाय; आकस्मिक और चंदरोजा बीमारी; अचानक आयी हुई विपत्ति; हानि; कुश्तीका एक पेंच । - (के) का माँस-झटकेकी रीतिसे मारे हुए पशुका मांस ।
झटकारना - स० क्रि० झटका देकर हिलाना जिससे धूल, आदि झर जाय, झक्का देना ।
झटका - अ० जल्दी से, चटपट ।
झटिका - स्त्री० [सं०] झाड़ी; भुइँआँवला । झटिति - अ० [सं०] झटपट, तुरत ।
झड़ - स्त्री० दे० 'झड़ी' |
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झड़न - स्त्री० वह जो किसी चीज से झड़कर गिरे; झड़नेकी क्रिया; खुरचन; ऊपरी आमदनी । -झुड़न - स्त्री० झड़न । झड़ना-अ० क्रि० टूटकर गिरना ( पेड़से पत्तों, सिरसे