SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 300
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org २९१ जोल * - पु० समूह, झुंड - 'चिथके पट्पद जोल' - सू० । जोलहा - पु० जुलाहा । जोलाहल * - सी० ज्वाला | जोलाहा - पु० दे० 'जुलाहा ' | जोली* - स्त्री० बराबरी; जोड़ी, बराबरीका आदमी । जोलो * - पु० अंतर । जोवना * - स० क्रि० दे० 'जोहना' । जोश- पु० [फा०] उफान, उबाल; गरमी, उत्तेजना; उत्साह; आवेश । - व खरोश - पु० धूम, शोरगुल; उत्साह | मु०-देना - उबालना । - मारना - उबलना; उमड़ना; मथना । - में आना - क्रुद्ध होना; उत्तेजित होना । जोशन - पु० [फा०] बाँहपर पहननेका एक गहना; कवच | जोशाँदा - पु० [फा०] काढ़ा, काथ । जोशी (पी) - पु० ज्योतिषी; गुजराती ब्राह्मणों की उपजाति । जोशीला - वि० जोशसे भरा हुआ, ओजःपूर्ण । जोष* - स्त्री० जोख, तील; स्त्री । जोषा - स्त्री० [सं०] स्त्री । जोषिता, जोषित - स्त्री० [सं०] स्त्री । जोह* - स्त्री० खोज; प्रतीक्षा; दृष्टि । जोहन * -- स्त्री० देखनेकी क्रिया; खोज; प्रतीक्षा | जोहना * - सु० क्रि० देखना; राह देखना; खोजना | जोहारना - स० क्रि० दे० 'जुहारना' । जौं * - अ० जो, यदि; ज्यों । जीरा- भौंरा - पु० खजाना रखनेका तहखाना । जौं रे* - अ० निकट, आस-पास । जौ - पु०बीकी फसलका एक अनाज, यव; इसका पौधा; एक पौधा जिसकी टहनियोंके टोकरे आदि बनते हैं; एक तोल । * अ० जो, यदि, अगर; जब । - पै* - अ० अगर, यदि । जौक, जौख* - पु० समूह, झुंड, सेना । जौजा- स्त्री० [फा०] पत्नी, भार्या । जौतुक - पु० दे० 'यौतुक' । -- जौन* - सर्व० दे० 'जो' । पु० दे० 'यवन' | जोन्ह* - स्त्री० दे० 'जोन्ह' । जौबति* - * - स्त्री० दे० 'युवती' | जौबन, जीवन* - पु० दे० 'यौवन' | | जौहर - ५० युद्ध में शत्रुको विजय निश्चित हो जानेपर राजपूत स्त्रियोंका दहकती हुई विशाल चितामें एक साथ प्रवेश कर जल मरना; इस कार्यके लिए बनायी गयी चिता [अ०] रत्न; सार, सत्त्व; गुण, खूबी (खुलना, दिखाना); तलवारपरकी वारीक धारियाँ जिनसे लोहेकी अच्छाईका पता चलता है; आईनेकी चमक । - दार- वि० जिसमें जौहर हो । जौहरी - पु० [अ०] जवाहरातका रोजगार करनेवाला, रत्न- व्यवसायी; पारखी, गुण-दोष पहचाननेवाला, कद्रदाँ । - बाज़ार - पु० वह बाजार जहाँ जवाहरात बिर्के, रलहाट । झ - वि० [सं०] (संज्ञा, आदिके अंत में लगने से ) जाननेवाला, ज्ञाता (अज्ञ, बहुज्ञ इ० ) । ज्ञपित, ज्ञप्त - वि० [सं०] जताया हुआ, शापित । ज्ञात - वि० [सं०] जाना हुआ, विदित। -यौवनास्त्री० वह मुग्धा नायिका जिसे यौवनागमका ज्ञान हो । १९ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जोक - ज्यों ज्ञातव्य - वि० [सं०] जानने योग्य, शेय । ) ज्ञाता (तृ) - वि० [सं०] जाननेवाला । पु० चतुर आदमी । ज्ञाति- स्त्री० जाति । पु० [सं०] पिता; पितृवंश में उत्पन्न व्यक्ति, गोतिया । - कर्म (न्) - पु०भाई-बंदका कर्तव्य । ज्ञान- पु० [सं०] जानना, बोध, जानकारी; सम्यक् बोध; पदार्थका ग्रहण करनेवाली मनकी वृत्ति; शास्त्रानुशीलन आदिसे आत्मतत्त्वका अवगम, आत्मसाक्षात्कार |-कोशपु० वह कोश जिसमें ज्ञातव्य विषयोंका विवरण दिया गया हो । - गम्य - वि० जो जाना, समझा जा सके; जो केवल ज्ञानका विषय हो सके ( परमेश्वर ) । - गर्भ - वि० ज्ञानसे भरा हुआ। - गोचर - वि० ज्ञान-गम्य । - चक्षु (स् ) - पु० ज्ञानकी आँख, अंतर्दृष्टि । - दा - स्त्री० सरस्वती । - दाता (तृ) - वि० ज्ञान देनेवाला | पु० गुरु । - पिपासा - स्त्री० ज्ञानप्राप्तिको तीव्र आकांक्षा । -योग-पु० शुद्ध ज्ञान द्वारा मोक्षका साधन । -वृद्धवि० ज्ञान में बड़ा | ज्ञानमय - वि० [सं०] ज्ञानसे भरा हुआ; ज्ञानरूप; चिन्मय । ज्ञानी (निन्) - वि० [सं०] ज्ञानवान्, जिसने आत्मज्ञान या ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर लिया है । पु० दैवज्ञ; ऋषि । ज्ञानेंद्रिय - स्त्री० [सं०] विषयबोधका साधन, इंद्रियाँ - आँख, कान, नाक, जीभ और त्वचा । ज्ञानोदय- पु० [सं०] ज्ञानका उदय, उत्पत्ति । शाप - पु० (मेमो) दे० 'शापन', स्मार । ज्ञापक - वि० [सं०] जतानेवाला, सूचक, बोधक | पु० गुरु । ज्ञापन - पु० [सं०] जताना, बताना; प्रकट करना; (मेमोरेंडम ) वह पत्र जिसमें याद दिलानेके लिए आवश्यक बातें संक्षेप में लिख दी गयी हों; घटनाओंका वह संक्षिप्त अभिलेख जो बाद में प्रयोगके लिए हो; स्मारक । ज्ञापयिता (तृ) - वि० [सं०] ज्ञापक । ज्ञापित - वि० [सं०] जताया हुआ, सूचित; प्रकाशित । ज्ञेय - वि० [सं०] जानने योग्य; जो जाना जा सके । ज्या - स्त्री० [सं०] धनुष्की डोरी; चापके सिरोंको मिलानेवाली सीधी रेखा; पृथ्वी; माता । - मिति - स्त्री० रेखागणित | ज्यादती - स्त्री० अधिकता; जुल्म; जबरदस्ती । ज्यादा - वि० अधिक फाजिल | ज्यान* - पु० दे० 'जियान' | ज्याना * - स० क्रि० दे० 'जिलाना' । ज्यारना * - स० क्रि० जिलाना । ज्यावना * - स० क्रि० जिलाना । ज्यूँ - अ० दे० 'ज्यों' | ज्येष्ठ- वि० [सं०] सबसे बड़ा; श्रेष्ठ | पु० बड़ा भाई; जेठका महीना; परमेश्वर । तात-पु० बापका बड़ा भाई | ज्येष्ठांश- पु० [सं०] बपौती में बड़ा भाग पानेका हक, जेठंसी । ज्येष्ठा - स्त्री० [सं०] बड़ी बहिन; १८वाँ नक्षत्र; वह स्त्री जो पति को औरों से अधिक प्यारी हो (सा० ); लक्ष्मीकी बड़ी बहिन, अलक्ष्मी, दरिद्रा; गंगा; विचली उँगली; छिपकली । ज्येष्ठाश्रम - पु० [सं०] गृहस्थाश्रम; गृहस्थ ज्यों- अ० जैसे, जिस तरह; जिस क्षण । - का त्योंजैसा था वैसा हो । -ज्यों - अ० जैसे-जैसे, जिस क्रमसे । For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy