________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
२७७
आदि बनाकर नगरका गंदा पानी बाहर निकालनेकी योजना, जलनिकासयोजना |
जलोदर - पु० [सं०] एक रोग जिसमें पेटकी त्वचा के नीचे पानी इकट्टा हो जाता है ।
जलौका (कस् ) - स्त्री० [सं०] जोंक |
अ० जल्द ।
जल्द - वि० [अ०] तेज, फुरतीला; चालाक । अ० झटपट, शीघ्र । - बाज़ - वि० उतावला, जल्दी मचानेवाला । - बाज़ी - स्त्री० उतावलापन । जल्दी - स्त्री० तेजी, शीघ्रता, उतावलापन । जल्प - पु० [सं०] कथन; बकवाद; तर्क; बहस । जल्पक, जल्पाक - वि० [सं०] बातूनी, वाचाल । जल्पन - पु० [सं०] कथन; बकवास; बकवाद करना; डींग । जल्पना - स० क्रि० अ० क्रि० दे० 'जलपना' | स्त्री० [सं०] दे० 'जल्पन' |
जल्पित - वि० [सं०] कथित; डींगके रूपमें कहा हुआ । जल्लाद - पु० [अ०] राजाज्ञासे दंडित जनकी गरदन मारनेवाला या उसे फाँसी चढ़ानेवाला, वधिक । वि० निर्दय, बेरहम |
जलोदर - ज़हर
जवाबी - वि० [फा०] उत्तररूपमें बदलने में किया हुआ; जिसका जवाब तुरत माँगा गया हो। - कार्ड - पु० जुड़े हुए दो कार्ड जिनमें से एक जवाबके लिए भेजा जाता है । - तार-पु० वह तार जिसके जवाबका खर्च भेजनेवाला पहले ही जमा कर दे ।
जवाब- पु० [फा०] प्रश्नका उत्तर; सवालका हल; पत्र लिखनेवालेको लिखा गया पत्रः प्रत्यभिवादन; दावे या अभियोगके उत्तररूपमें कही गयी बात, प्रतिवाद; बच. व; बदले में किया हुआ काम; जोड़, बराबरी करनेवाली चीज; नौकरीसे अलग किये जानेकी सूचना; इनकार, नाहीं । -तलब - वि० पूछने जवाब माँगने लायक । -तलबीस्त्री० जवाब माँगा जाना | दावा- पु० दावेका जवाब, प्रतिवादीका उत्तर । - देह - वि० ( वह आदमी ) जिससे किसी बात का जवाब माँगा जा सके, उत्तरदायी; जिम्मेदार | - देही - स्त्री० (दावेका) जवाब देना, लगाना; उत्तरदायित्व; जिम्मेदारी । -सवाल- पु० प्रश्नोत्तर; बहस । मु०तलब करना - ( किसी बातका कारण पूछना, कैफियत तलब करना । - देना- नौकरीसे अलग करना; इनकार करना; छोड़ना, अलग होना; बेकार होना ।
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
जवार - + स्त्री० दे० 'जुआर' । * पु० दे० 'जवाल' | जवारा - पु० जौके अंकुर जिन्हें ब्राह्मण दसहरे के दिन यजमानोंके कानपर रखते हैं, जरई ।
जवाला - पु० झंझट, जंजाल ।
जवाल - पु० [अ०] हास, घटाव, अवनति । जवास - पु० दे० 'जवासा' ।
जवासा - पु० एक कँटीला क्षुप जो बरसात में पत्रहीन हो जाता और शरद् ऋतु में फिर पनपता है, यवासक । जवाहर - पु० दे० 'जवाहिर' |
जवाहिर - पु० [अ०] रत्न, मणि ('जौहर' का बहु०, पर प्रायः एकवचनमें प्रयुक्त) । - खाना-५० रत्नाभूषण रखनेका स्थान, तोशाखाना ।
जवाहिरात - पु० [अ०] कई प्रकार के रत्न-मणि । जवी (वि) - वि० [सं०] वेगवान् ।
जवैया - पु० जानेवाला ।
जव - वि० [सं०] वेगवान् । पु० वेग; 1 जौ ।
जवन - पु० दे० 'यवन' ।
जवनिका - स्त्री० [सं०] पर्दा; कनात; पाल । जवनी - स्त्री० दे० 'यवनी'; दे० 'जवनिका' । जवाँमर्द - पु० [फा०] बहादुर, वीर, मर्दाना । जवाँमर्दी - स्त्री० [फा०] बहादुरी, मर्दानगी । जवा - पु०लहसुनका एक दाना; एक तरहकी सिलाई। स्त्री० [सं०] अड़हुल, जपा | -कुसुम-पु० अड़हुलका फूल । जवाई + - स्त्री० जानेकी क्रिया या भाव, गमन । जवाखार - पु० जौके पौधेको जलाकर निकाला जाने जस्ता पु० खाकी रंगकी एक धातु जिसे ताँबेके साथ
जस्त - पु० दे० 'जस्ता' । स्त्री० [फा०] छलाँग, चौकड़ी । |जस्तई - वि० जस्तेके रंगका, खाकी । पु० जस्तेका रंग ।
मिलानेसे पीतल बनता है; दे० 'दस्ता' |
वाला खार ।
जवान - वि० [फा०] युवा, तरुण; वीर; बलवान् । पु० जहँ * - अ० दे० 'जहाँ' ।
युवा पुरुष; सिपाही; योद्धा ।
जवानी - स्त्री० [फा०] युवावस्था, यौवन; जवानीका जोश, मस्ती; सुंदरता । - की नींद-गहरी, बेफिक्रीकी नींद। मु० - चढ़ना - जवानी आना, मस्ती पर होना । ढलनाजवानी से बुढ़ापेकी ओर बढ़ना, गतयौवन होना । -फटी पढ़ना- जवानीका खिल उठना ।
जशन - पु० दे० 'जश्न' ।
जश्न- पु० [फा०] उत्सव, खुशीका जलसा; गाना-बजाना । जस- +५० दे० 'यश' । * अ० जैसा । जसोदा * - स्त्री० दे० 'यशोदा' | जसोमति, जसौवै - स्त्री० दे० 'यशोदा' ।
जहँड़ना* - अ० क्रि० दे० 'जहँड़ाना' । जहँड़ाना- अ० क्रि० ठगाना, गँवाना; हानि उठाना । जहतिया * - पु० जकात - कर, लगान वसूल करनेवाला | जहत्स्वार्था - स्त्री० [सं०] लक्षणाका एक भेद जिसमें पद या वाक्य वाच्यार्थ का त्याग कर उससे संबद्ध दूसरा अर्थ प्रकट करता है ।
जहदना - अ० क्रि० कीचड़ होना; थक जाना । जहदा * - पु० दलदल | जहद्दम* - पु० दे० 'जहन्नुम' |
जहना* - स० क्रि० छोड़ना; नाश करना । जहन्नुम - पु० [अ०] गहरा कुआँ; नरक । मु० - में जाना - नष्ट होना, बरबाद होना । जहन्नुमी - वि० [अ०] नरकमें जानेवाला, नारकीय । ज़हमत - स्त्री० [अ०] कष्ट, तकलीफ, झंझट । ज़हर - पु० [फा०] वह चीज जो देह में पहुँचकर मृत्युका कारण हो या स्वास्थ्यकी हानि करे, विष; स्वाद में अति कटु वस्तु अति अप्रिय, असह्य बात । वि० अति हानिकर, घातक; अति कटुः अप्रिय । -दार- वि० जहरीला विषयुक्त । - बाद- पु० एक जहरीला और कष्टसाध्य फोड़ा । - मोहरा - पु० एक तरहका पत्थर जिसमें साँपके
For Private and Personal Use Only