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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जलजला-जलोत्सारणयोजना वाहक I -वाहक-पु० पानी ढोनेवाला ।-वेत(स)- तृप्तिके लिए किया जानेवाला जलदान, तर्पण । पु० जलबेत । -व्याल-पु० पानी में रहनेवाला साँप, जलाक*-स्त्री० लू, पेटकी ज्वाला। डेडहा। शयन,-शायी (यिन्)-पु० विष्णु; नारायण । जलाका-स्त्री० [सं०] जोंक; * दे० 'जलाक' । वि० पानीपर सोनेवाला । -शूकर-पु० घड़ियाल । जलाजल-पु० गोट आदिकी झालर । वि० जलमय । -संस्कार-पु० स्नान; शवका जलप्रवाह । -समाधि- जलातंक-पु० [सं०] पागल कुत्ते, पागल स्यार आदिके स्त्री० जल में डूबकर प्राणत्याग, नदी, समुद्र आदिमें किसी काटे हुएको होनेवाला एक तरहका उन्माद रोग जिसमें वह चीजका डूबना या डुबाया जाना। -सर्पिणी-स्त्री० पानी देखकर डरता है (हाइड्रोफोबिया)। जोंक । -सिक्त-वि० जलसे सींचा हुआ, तर । -सुत- जलाधिप-पु० [सं०] वरुण; वह ग्रह जो संवत्सरविशेषमें पु० कमल; मोती ।-सेक,-सेचन-पु० पानी छिड़कना; जलका स्वामी हो। सींचना, तर करना ।-सेना-स्त्री० जंगी जहाजोंका बेड़ा; जलाना-सक्रि० जलनेका कारण होना, किसी चीजको जंगी जहाजोंपरसे जल में लड़नेवाली सेना, नौसेना। आग पकड़ाना, बालना, आग लगाना; गरमी या आँच -सेनापति-पु० जलसेनाका सबसे बड़ा अफसर,नौसेना- पहुँचाकर सुखाना; झुलसाना; सताना, व्यथित, संतप्त ध्यक्ष (एडमिरल) | -स्तंभ-पु० जलस्तंभनजलस्तंभन करना। मु० जला-जलाकर मारना-बहुत सताना, करनेवाला मंत्र; समुद्र, झील आदिमें बादलोंका खंभेके घुला घुलाकर मारना । आकार में झुक आना। -स्तंभन-पु० मंत्रबलसे पानीको जलापा-पु. डाहकी जलन । बाँध देना, उसकी गति अवरुद्ध कर देना। -स्थल-पु० जलाभ्यंतरवाहिनी नौका-स्त्री० [सं०] (सबमैर न) एक जल और स्थल, तरी और खुश्की । -स्रोत-पु० पानीका तरहका रणपोत जो पानीकी सतह के नीचे डुबकी लगाकर सोता; जलप्रवाह । -हर*-वि० जलमय । पु० जलाशय भी अपना काम जारी रख सके और जो टारपीडो-गोलों, -'वे जलहर, हम मीन बापुरी'-सू०। -हरण-पु० तोपो आदिसे सजित हो, पनडुब्बी, डुबकनी। पानी ढोना; एक मात्रावृत्त । -हरी-स्त्री० [हिं०] शिव- | जलायुका-स्त्री० [सं०] जोंक। 'लंग स्थापित करनेका अर्धा; गर्मीके दिनोंमें शिवलिगके | जलार्क-पु० [सं०] जलमें प्रतिबिंबित सूर्य । ऊपर लटकाया जानेवाला (जलपूर्ण) घड़ा जिसके पेंदे में एक जलार्णव-पु० [सं०] जलसमुद्रा वर्षाकाल) छेद होता है। -हस्ती (स्तिन)-पु०सीलकी जातिका जलार्द्र-वि० [सं०] पानीसे भीगा हुआ, गीला । एक स्तनपायी जलजंतु जिसकी शकल हाथीसे थोड़ी-बहुंत ! जलाल-पु० [अ०] तेज; महत्ता, गौरव रोब; ताकत । मिलती है। सिंधुघोटक । मु०-थल एक होना-चारों जलालुका, जलालोका-स्त्री० [सं०] जोंक । ओर पानी ही पानी दिखाई देना, घोर वृष्टि होना। जलावतन-पु० [अ०] निर्वासन, देसनिकाला। जलजला-पु० [अ०] भूकंप, भूडोल । जलावन-पु० जलानेके काममें आनेवाली चीजें, ईधन । जलदागम-पु० [सं०] वर्षाकाल । जलावर्त्त-पु० [सं०] भंवर । जलन-स्त्री० जलनेकी पीडा, दाह, द्वेष, मनस्ताप । जलाशय-पु० [सं०] झील, तालाब, जलाधार; मछली; जलना-अ० क्रि०किसी चीजकाआग पकड़ना,अग्निसंयोग- समुद्र खस, सिंघाड़ा । वि० जल में रहनेवाला; मूर्ख। से ज्योति या ज्वालाका रूप प्राप्त करना, बलना, धधकना; जलाहल-वि० जलमय । भस्म होना; दग्ध होना, झुलसना; सूखना; ईया-द्वष जलीय क्षेत्र-पु० [सं०] (टेरिटोरियल वाटस) किसी देशक ना, संतप्त होना । म०-जलकर, जल-भन- किनारेके आस-पासका समुद्र जिसपर उसकी सत्ता हो। कर कबाव, कोयला, खाक या राख होना-बहुत ऋद्ध जलीय रंग-पु० [सं०] (वाटर कलर) पानी मिलाकर होना, आग-बबूला होना । जल भुनना-जलना, कुढ़ना। तैयार किया गया रंग। जल मरना-डाहसे बुरी तरह कुढ़ना, जलना; जलकर | जलील-वि० [अ०] अपमानित; शर्मिदा। मर जाना, आत्मघात करना। जलती आगमें कृदना- | जलका, जलूका-स्त्री० [सं०] दे० 'जलौका' । जान-बूझकर विपतमें फंसानेवाला काम करना। जलती जलूस-पु० दे० 'जुलूस'। आगमें घी (तेल) डालना-झगड़ा बढ़ाना, ऐसी बात ! जलेंद्र-पु० [सं०] वरुण; शिव; समुद्र । करना जिससे क्रुद्धका क्रोध और बढ़ जाय । जला-बला, | जलेबा-पु. बड़ी जलेबी। -भुना-क्रोधमें उबलता हुआ, बहुत ऋद्ध । जली-कटी जलेबी-स्त्री० कुंडली; कुंडलीके आकारकी एक मिठाई एक -गुस्से या जलनसे भरी हुई बातें, तीखे व्यंग्य (सुनाना)। पौधा; एक आतिशबाजी। जलेपर नमक छिड़कना-जलेको जलाना; दुखियाको और जलेश, जलेश्वर-पु० [सं०] वरुण; समुद्र । दुःख देना। जले फफोले फोड़ना-भड़ास निकालना। जलेशय-पु० [सं०] जलशायी, विष्णु; मत्स्य । जलपना*-अ० कि० डीग मारना । स० कि० डींग मारते जलोढ भूमि-स्त्री० [सं०] (एल्यूवियल सॉइल) बाढ़ हुए कहना; पुनः पुनः कहना । स्त्री० डीग; व्यर्थकी बात। आदिके द्वारा वहन कर लायी गयी भूमि, पूर द्वारा जलमय-वि० [सं०] पानीसे भरा हुआ, जलप्लावित; आनीत भूमि, कछारी भूमि । जलनिर्मित । पु० चंद्रमा। जलोत्तोलनयंत्र, जलोद्वहनयंत्र-पु० [सं०] (वाटर पंप) जलसा-पु० [अ०] बैठक; अधिवेशन; सभा; महफिल । पानी नीचेसे ऊपर खींचकर बाहर निकालनेवाला यंत्र । जलांजलि-स्त्री० [सं०] अंजलीभर पानी प्रेत या पितरोंकी जलोत्सारणयोजना-स्त्री० [स०] (ड्रेनेज स्कीम) नालियाँ For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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