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स्त्री; माता; पत्नी; पुत्रवधू ; दासी । जनित - वि० [सं०] उत्पन्न, पैदा हुआ । जनिता (तृ) - पु० [सं०] पिता । जनित्री - स्त्री० [सं०] माता, जननी ।
जनियाँ - स्त्री० दे० 'जानी' ।
जनी - वि० स्त्री० पैदा की हुई । स्त्री० [सं०] कन्या; माया; दे० 'जनि' ।
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जनाभिवक्ता (तृ) - पु० [सं०] (ट्रिब्यून) जनताके अधिकारों के लिए लड़नेवाला तथा उनका समर्थक । जनार्दन - पु० [सं०] विष्णुः परमेश्वर । वि० जनपीडक । जनाव- पु० जनानेका काम; * जतानेका भाव, सूचना । जनावर * - पु० जानवर पशु ।
जनि* - अ० नहीं, मत (निषेधार्थक) । स्त्री० [सं०] जन्म; जन्मोत्सव - पु० [सं०] बच्चोंकी बरही - छुट्टीका उत्सव;
जन्मदिनका उत्सव, बरस-गाँठ ।
जन्य - वि० [सं०] जात, उत्पन्न; (समासांत में) से उत्पन्न; जन-संबंधी; किसी जाति या वंशसे संबंध रखनेवाला; जनतामें प्रचलित | पु० जन्म; जनक, पिता; साधारण जनः पुत्रः युद्ध |
जन्या - स्त्री० [सं०] माताकी सखी; वधूकी सहेली; प्रीति । जप- पु० [सं०] किसी मंत्र, स्तोत्र, ईश्वरके नाम आदिको धीमे स्वर से बार-बार दुहराना; किसी शब्द, नाम आदिको बार-बार मुँह से कहना । - तप-पु० पूजा-पाठ, व्रतउपवास । - माला - स्त्री० जप करनेकी माला । जपना - सं० क्रि० जप करना; यज्ञ करना । जपनी स्त्री० माला; गोमुखी । जपनीय - वि० [सं०] जप करने योग्य ।
जपा - * वि० जप करनेवाला । स्त्री० [सं०] अड़हुल |
जनु* - अ० मानों, जैसे ।
जनून - पु० [अ०] पागलपन, उन्माद; (ला० ) खन्त । जनूनी - वि० [अ०] पागल |
जनूबी - वि० [अ०] दक्खिनी । जनेऊ - पु० यज्ञोपवीत; यशोपवीत संस्कार । मु० का हाथ - तलवारका ऐसा वार जिससे विपक्षीका जनेवा
कट जाय ।
जनेत - स्त्री० बरात ।
जनेवा - पु० दे० 'जनेऊ '; 'जनेवा' ।
जनेवा - पु० धड़का वह भाग जिसपर जनेऊ रहता है । जनेश - पु० [सं०] राजा, नरेश । जनैया* - वि०, पु० जाननेवाला । जनोपयोगी (गिन् ) - वि० [सं०] लोकोपयोगी । - सेवास्त्री० (पब्लिक यूटिलिटी सर्विस) दे० 'लोकोपयोगी सेवा' । जनौ * - अ० मानों, जानो ।
जनौघ - पु० [सं०] मनुष्यों का मजमा, भीड़ । जन्नत - पु० [अ०] उद्यान, बाग; स्वर्ग, वैकुंठ, विहिश्त । जन्म (नू ) - पु० [सं०] गर्भसे बाहर आना; उत्पत्ति, पैदाइश; जीवन; जन्मलग्न । - कुंडली - स्त्री० वह चक्र जिसमें जन्मकालके ग्रहोंकी स्थिति बतायी गयी हो । - गत- वि० जन्मसे प्राप्त, पैदाइशी । - ग्रहण - पु० उत्पत्ति, जन्म लेना । - तिथि - स्त्री० जन्मकी तिथि, बरसगाँठ | - द, दाता (तृ) - वि० जन्म देनेवाला । पु० पिता । - दात्री - स्त्री० माता। -दिन, दिवस-पु० किसी के जन्म या पैदाइशका दिन, जन्मतिथि । -नक्षत्र - पु० वह नक्षत्र जिसमें किसीका जन्म हुआ हो । - नाम (न्) - पु० वह नाम जो जन्मके समय या जन्मके बारहवें दिन रखा जाय । - पत्र - पु०, पत्रिका - स्त्री० वह पत्र या कागज जिसमें किसीके जन्मकाल के ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति, उनकी दशा, अंतर्दशा और उनके शुभाशुभ फल बताये
|
गये हों, जायचा । - प्रमाणक - पु० (बर्थ सटीफिकेट) वह प्रमाणपत्र जिसमें किसीकी जन्मतिथिका प्राधिकृत ब्योरा दिया गया हो । - भूमि - स्त्री० वह जगह - ग्राम, नगर, देश - जहाँ किसीका जन्म हुआ हो, जन्मस्थान । - राशि - स्त्री० वह राशि जिसमें किसीका जन्म हुआ हो । -सिद्ध. वि. जन्मतः प्राप्त, पैदाइशी । -स्थान- पु० जन्मभूमि । जन्मना - अ० क्रि०दे० 'जनमना' । अ० [सं०] जन्मसे,
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नाभिवक्ता-ज़बान
जन्मतः (जन्मना ब्राह्मण) ।
जन्मांतर - पु० [सं०] दूसरा जन्मः पिछला जन्म; अगला जन्म; परलोक । - वाद-पु० पुनर्जन्मवाद | जन्मांध - वि० [सं०] जन्मका अंधा, पैदाइशी अंधा । जन्माष्टमी - स्त्री० [सं०]भाद्र कृष्णाष्टमी, कृष्णकी जन्मतिथि ।
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- कुसुम - पु० अड़हुलका फूल ।
जपिया* - वि०, पु० दे० 'जपी' । जपी (पिन) - वि०, पु० [सं०] जप करनेवाला |
ज़फ़र (ल) - स्त्री० [अ०] सीटी; मुँह से निकाली जानेवाली सीटीकी आवाज ।
जब - अ० जिस समय, यदा । -कभी - अ० चाहे जब, किसी समय । - तब - अ० कभी-कभी, यदा-कदा ; जबड़ा - पु० मुँह में नीचे ऊपर की हड्डी जिसमें दाँत जड़े होते हैं, कल्ला । - तोड़- वि० जो मुँह तोड़ सके, बलवान् ; (शब्द) जिसका उच्चारण कठिन हो । जबर - वि० मजबूत, बलवान् । - दस्त - वि० दे० 'जबरदस्त' । ज़बर - वि० [फा०] ऊपरवाला; बलवान् ; बलमें अधिक । पु० अरबी-फारसी लिखावटमें हस्व अकारका चिह्न | अ० ऊपर । - दस्त - वि० बलवान् ; प्रबल पड़नेवाला; विजयी; भारी । - दस्ती - स्त्री० जुल्म; ज्यादती; धींगा-धींगी । जबरन्-अ० [अ०] दे० 'जन्' | जबरा - वि० जबरदस्त, बलवान् । ज़बर्दस्त - वि० दे० 'जबरदस्त' । ज़बर्दस्ती - वि० दे० 'ज़बरदस्ती' । जबह - पु० दे० 'ज़ब्ह' ।
जबहा - पु० हिम्मत, जीवट; [अ०] माथा, पेशानी । ज़ (जु)बान - स्त्री० [फा०] जीभ, रसना, वाणी, बोली; भाषा; वचन, बात । - गीर - वि० जासूस, भेदिया । -दराज़ - वि० बहुत बोलनेवाला; बोलने में धृष्ट, मुँहफट; बदजबान । - दराज़ी - स्त्री० वाचालता, धृष्टता; बदजबानी । -दाँ - वि० भाषा (विशेष ) का पंडित | - बंदी - स्त्री० किसी मुकदमेके गवाहोंका बयान लिख लिया जाना; खामोशी । मु० - खींचना - बुरी बातें कहने के कारण कड़ा दंड देना । - खुलना - बोलनेमें समर्थ होना, मुँहसे बात निकलना; बच्चेका बोलने