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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छात्र-छालना २६२ क्लेश, आघात सहते-सहते ऊब जाना, कलेजा पक जाना * बिछाना छाएँ करना आश्रय देना। -जलना-दुःखसे मनका व्यथित, संतप्त होना; डाहसे - छानि* छानी-स्त्री० छप्पर । मनमें जलन होना ।-जुड़ाना -दे० 'छाती ठंडी करना, छान-छाने*-अ० चुपकेसे, छिप-छिपे । -होना।-ठंडी करना-किसी बेचैन कर रखनेवाली छाप-स्त्री० किसी वस्तुका चिह्न, निशान; मुहरका निशान कामना, बदलेकी भावना आदिको तृप्त कर शांतिलाभ मुहरवाली अंगूठी, शंख, चक्र आदिके चिह्न जो वैष्णव करना, जीकी जलन मिटाना ।-ठंडी होना-जीकी जलन अपने अंगोंको दगवाकर लगवाते हैं; विभिन्न कारखानोंमें मिटना । -ठौंककर कहना-कोई कठिन कार्य करनेकी | बनी वस्तुओंपर पहचानके लिए छपा हुआ शब्द या चित्र, प्रतिज्ञा करना, विश्वास दिलाना ।-देना-बच्चेके मुँहमें मार्का; असर, प्रभाव (पड़ना, डालना)। स्तन देना । -धड़कना-किसी भय, आशंकासे हृदयका | छापना-सक्रि० ठप्पा, मुहर, अक्षर आदिका चिह्न स्याही जोरसे उछलना। -निकालकर चलना-सीना तानकर, या रंगके योगसे कागज आदिपर उतारना; जोड़े हुए अकड़कर चलना ।-पकना-आजिज आना; स्तनोंमें घाव अक्षरों, ब्लाक आदिकी प्रतिकृति कागज आदिपर उतारना, हो जाना ।-पत्थरकी करना-कोई भारी दुःख, आघात पुस्तक आदि मुद्रित करना; छापकर प्रकाशित करना। सहनेके लिए दिल कड़ा करना । -परका जम-हर घड़ी छापा-पु० साँचा, ठप्पा; मुहर; छपा हुआ चिह्न या अक्षर घेरे रहनेवाला आदमी।-परका पत्थर-वह चीज जिसकी शंख, चक्र आदिके दागे हुए चिह्न, मुद्रा; छाप, मार्का; चिंता सदा सिरपर सवार रहे। पर कोदो(मगदलना- हलदी या ऐपनसे दीवार आदिपर लगाया जानेवाला किसीको दिखा-दिखाकर उसे जलाने-कुदानेवाली बात पंजेका चिह्नः छापेकी कल; वह हमला जो दुश्मनपर करना; सौत लाना ।-पर बाल होना-ऊँचे हौसलेवाला, अचानक, बहुत तेजीसे किया जाय, यकायक टूट पड़ना; भरोसा करनेलायक होना ।-पर साँप लोटना-हृदयको धावा (मारना)। -खाना-पु. वह जगह जहाँ छपाईका गहरी वेदना होना; ईासे हृदय जल उठना ।-पीटना काम हो, प्रेस । -मार-वि० छापा मारनेवाला, छापा शोकसे व्याकुल होकर या ईर्ष्याके अतिरेकसे छातीपर मारकर दुश्मनोंको परेशान करनेवाला (सैनिक, दस्ता) । बार-बार हाथ पटकना; मातम मनाना। -फटना- -(पे)की कल-छपाईकी मशीन, प्रेस । दुःखका असह्य हो जाना, हृदय विदीर्ण होना; डाहसे छाम-वि० क्षाम, दुबला-पतला, क्षीण । जलना । -फुलाना-गर्व करना, इतराना । -से छामोदरी-वि० स्त्री० छोटे पेटवाली, कृशोदरी । लगाना-आलिंगन करना, गले लगाना। छाया-स्त्री० [सं०] प्रकाशके अवरोधसे उत्पन्न हलका अँधेरा, छात्र-पु० [सं०] शिष्य, विद्याथीं ।-नायक-पु० (मॉनिटर) छा, साया; प्रकाशका अवरोध करनेवाली वस्तुकी परकक्षाका प्रमुख विद्यार्थी जिसका कर्तव्य कक्षामें अनुशासन- छाई वह स्थान जहाँ किसी चीजकी छाया पड़ती हो; वह की रक्षा आदि करना होता है।-वृत्ति-स्त्री० विद्यार्थीको स्थान जहाँ धूप न पहुँचती हो; प्रतिबिंब, अक्स; तद्र प विद्याभ्यासमें सहायतार्थ मिलनेवाला धन, वजीफा । वस्तु, अनुकृति; सादृश्य; अँधेरा; कांति; चेहरेका रंग छात्राभिरक्षक-पु० [सं०] ( वार्डन) किसी विद्यालय, सौंदर्य रक्षा, आश्रयः चित्रका अपेक्षाकृत कम प्रकाशवाला छात्रावासादिका अभिरक्षक, छात्रोंपर निगरानी रखनेवाला भाग; भूत-प्रेतका प्रभाव, साया (परीकी छाया); एक शिक्षाधिकारी, गृहपति । रागिनी; दुर्गा; सूर्यकी पत्नी, संशा। -ग्राहिणी-स्त्री० छात्रालय, छात्रावास-पु० [सं०] किसी स्कूल, कालेजके छायाके जरिये ग्रहण करनेवाली एक राक्षसी जिसने हनू अंतर्गत वह इमारत जिसमें विद्याथीं रखे जायें (होस्टेल)। मान्को पकड़ लिया था। -चित्र-पु० अवसी तसवीर, छात्रावासीय विश्वविद्यालय-पु० [सं०] ( रेजिडेंशल फोटो। -चित्रण-पु० फोटो उतारना। -दान-पु० यूनिवर्सिटी) वह ,विश्वविद्यालय जिसके विद्यार्थी प्रायः ग्रहजनित अरिष्टकी शांतिके लिए किया जानेवाला एक समीपस्थ छात्रावासोंमें विश्वविद्यालयके वातावरणमें ही विशेष दान जिसमें काँसेकी कटोरीमें घी या तेल भरकर रहते हों। और उसमें अपनी छाया देखकर सदक्षिण दान करते हैं । छादन-पु० [सं०] छाना; आच्छादन करना; आच्छादन । -पथ-पु० आकाश-गंगा। -पुरुष-पु० हठयोग तंत्रके छादित-वि० [सं०] छिपा, ढका हुआ; आच्छादित । अनुसार आकाशमें (साधना-विशेषसे) दिखाई पड़नेवाली छानो-स्त्री० छप्पर। द्रष्टाकी छायारूप आकृति ।-मूर्ति-स्त्री० (एप्पैरिशन) वह छानना-स० क्रि० आटे आदिका मोटा अंश छलनीसे छाया जो भ्रांतिवश किसी पुरुष या व्यक्ति जैसी प्रतीत निकालना दूध, पानी आदिको साफ करने के लिए बारीक हो; अस्पष्ट, अशरीरी मूर्ति । -लोक-पु० अदृश्य जगत्, कपड़ेके पार निकालना; मिली-जुली चीजोंको अलग करना, स्वप्नलोक। -वाद-पु. एक काव्यगत शैली जिसमें बिलगाना; ढूँढ़ना, खोजना; जाँच-पड़ताल करना; नशा अशेयके प्रति जिज्ञासा और प्राकृतिक विषयों में नराकार पीना; घीमें तलना; दे० 'छाँदना'; * भेदना, पार करना। भावना व्यक्त की जाती है। छान-फटक,छान-बीन-स्त्रीखोज,जाँचपड़ताल; तहकीक। छार-पु० क्षार, क्षार पदार्थ; खारी नमक; राख; धूल । छानबे-नब्बे और छ । पु० छानवेकी संख्या, ९६ । छाल-स्त्री० [सं०] पेड़के धड़, शाखा आदिपरका कड़ा छाना-अ० क्रि० ऊपर फैलना, पसरना; बसना, टिकना।। छिलका, वल्कल; वल्कलवस्त्र; * एक मिठाई । स० क्रि० ढकना, आच्छादित करना; मकानपर छप्पर या छालटी-स्त्री० सन या पटसनके रेशेसे बना कपड़ा। . खपरैल डालना; आच्छादन करनेवाली चीजको फैलाना;/छालना-सक्रि० छानना, साफ करना छेद करना; धोना। For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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