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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चालन-चिकट २४४ चालन-पु. चालनेके बाद बचा हुआ अंश, भूसी, चोकर चाहा-पु० बगलेकी तरहका एक पक्षी। आदि; [सं०] चलाना; प्रचार करना; हिलाना चाहि-अ..."से बढ़कर, अधिक । हिलना, गति; छानना। चाहिये-अ० उचित है, वाजिब है; अपेक्षित है, दरकार है। चालना-स० क्रि० छानना; * चलाना; हिलाना, * | चाही-वि० स्त्री० चहेती (क०); [फा०] कूप-संबंधी; कुएँसे प्रसंग छेड़ना । अ० क्रि० दुलहिनका पहली बार सुसराल सींची जानेवाली (जमीन)। आना; *चलना ।-(न)हार-पु० चलने, चलानेवाला ।। चाहे-अ० जो चाहे, मरजीमें आये (तो), ख्वाह; या तो। चाला-पु० रवानगी प्रस्थानका मुहूर्त, दुलहिनका पहली | चिआँ-पु० इमलीका बीज । बार सुसराल आना। चिउँटा-पु० दे० 'चीटा। चालाक-वि० [फा०] चुस्त, फुरतीला; चतुर, धूर्त ।। चिउँटी-स्त्री० दे० 'चीटी'। चालाकी-स्त्री० [फा०] चतुराई; धूर्तता। चिंगना-पु० मुरगीका छोटा बच्चा, चूजा; छोटा बच्चा। . चालान-पु० भेजे हुए मालकी सूची, विवरण, बीजक; चिंघाड़-स्त्री० हाथीके चिल्लानेका शब्द; चीत्कार, गर्जन । रवन्ना; मालका एक जगहसे दूसरी जगह भेजा जाना; चिंघाड़ना-अ० क्रि० हाथीका जोरसे बोलना; चीखना, बाहर भेजा हुआ या वहाँसे आया हुआ माल; अभियुक्तका | चीत्कार करना, गरजना । विचारके लिए मजिस्ट्रेट के पास भेजा जाना । -बही- चिंचा-स्त्री० [सं०] इमली; इमलीका चिआँ; गुजा। स्त्री० वह बही जिसमें चालान किये जानेवाले मालका | चिचिनी-स्त्री० [मं०] इमली। विवरण लिखा जाय । चिंची-स्त्री० [सं०] गुजा । चालिया-वि० चालबाज । चिंजा*-पु० बेटा। चाली-वि० चालबाज, छली; * नटखट । * स्त्री० चाल, | चिंजी*-खी० बेटी । चलनेका तरीका। चिंत*-स्त्री० चिंता; खयाल, याद । चालीस-वि० तीस और दस । पु० चालीसकी संख्या, ४०। चिंतक-वि० [सं०] चिंतन करनेवाला; ध्यान करनेवाला । -वा-वि० जो क्रममें ३९के बाद आये । पु० मृत व्यक्ति चिंतन-पु० [सं०] किसी वस्तु, व्यक्तिको बार-बार याद के चालीसवें दिनका कर्म, चेहलुम चेहलुमकी फातिहा। | करना; सोचना-विचारना, मनन । चालीसा-पु० चालीस वस्तुओं या पद्योंका समूह; चालीस चिंतना-स्त्री० स० क्रि० चिंतन करना; सोचना-समझना । दिनका काल, चिल्ला। | चिंतनीय-वि० [सं०] चिंता करने योग्य, विचारणीय चालुक्य-पु० [सं०] दक्षिण भारतका एक प्रमुख राजवंश शोचनीय । जिसने छठीसे तेरहवीं शती (वै०)तक राज्य किया। चितवन-पु० दे० 'चिंतन'। चालह, चाल्हा*-स्त्री० चेल्हवा मछली। चिंता-स्त्री० [सं०] चिंतन; फिक; ध्यान; परवाह; एक चाव-पु० तीव्र इच्छा, चाह; शौक प्रेम, अनुराग; उमंग संचारी भाव । -जनक-वि०चिताका कारणरूप,चितित उत्साह; * निंदा, बदनामी । कर देनेवाला। -पर,-मग्न-वि० चिता, सोचमें डूबा चावड़ी-स्त्री० चट्टी, पड़ाव; कोतवाली (छत्तीस०) । हुआ। -पल*-वि० दे० 'चिंतापर'। -मणि-पु० एक चावना*-स० क्रि० चाहना । कल्पित रत्न जिसमें जो माँगो वह देनेकी सामर्थ्य मानी चावरी-पु० दे० 'चावल'। जाती है। सब कामनाएं पूरी करने में समर्थ, परमेश्वर चावल-पु० धान, साँवाँ, कोदो आदिका सार भाग जो यात्राका एक योग; सरस्वतीकाबीजमंत्र जोनवजात शिशुबीजसे भूसी अलग कर देनेपर बच रहता है, तंडुल; की जीभपर विद्याप्राप्तिके लिए लिखा जाता है। -शील पकाया हुआ चावल, भात; रत्तीका आठवाँ भाग। -वि० जिसे सोच-विचारकी आदत हो, मननशील, मनीषी। चाशनी-स्त्री० [फा०] चखनेकी चीज; खाद्य वस्तुका नमूना चिंताकुल-वि० [सं०] चिंतासे आकुल, उद्विग्न । जो चखनेके लिए दिया जाय; चीनी-गुड़ आदिका शीरा; चिंतातुर-वि० [सं०] चितासे उद्विग्न । स्वाद, मजा; नमूनेका सोना जो गाहक अपने पास चिंतित-वि० [सं०] चितायुक्त, सोच में पड़ा हुआ । रखता है। चित्य-वि० [सं०] चिंता करने योग्य, चितनीय, विचारणीय। चाष-पु० [सं०] नीलकंठ पक्षी; चाहा; * चक्षु, ओख । चिंदी-स्त्री० छोटा टुकड़ा, धज्जी । चास-पु० [सं०] दे० 'चाष' ।। स्त्री जोत, खेती। | चिउँटा-पु० दे० 'चीटा। चासा-पु० किसान; हलवाहा । चिउँटी-स्त्री० दे० 'चीटी' । -की चाल-बहुत धीमी चाह-स्त्री० इच्छा, लालसा, प्रेमः जरूरत, गरजा पूछ, । चाल । मु०-के पर निकलना-मरनेका समय आना; आदर; * खबर; भेद। शामत आना । (चींटीके पर निकलनेपर वह उड़ती और चाहक*-पु० चाहनेवाला, प्रेमी। गिरकर मर जाती या चिड़ियोंका भक्ष्य बनती है। ) चाहत*-स्त्री० चाह, प्रेम । चिउड़ा-पु० दे० 'चिड़वा' । चाहना-स० कि० इच्छा करना, इरादा करना; माँगनाः | चिउरा*-पु० दे० 'चिड़वा'। प्रेम करना पसंद करना; यत्न करना; चाहभरी दृष्टिसे चिक-स्त्री० बाँसकी तीलियोंका बना हुआ झीना पर्दा जिसे देखना, निहारना;-'सीय चकित चित रामहि चाहा'- | खिड़की-दरवाजोंपर डालते हैं। पु० बकरकसाव । रामा; हूँढ़ना; समझना । * स्त्री० चाह । चिकट-वि० दे० 'चीकट'। पु० एक नरहका रेशमी कपड़ा। For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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