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गुल-गुहार है। मु०-कतरना-कागज-कपड़े आदिके फूल कतरकर | रचित फारसीका एक प्रसिद्ध नीतिग्रंथ । बनाना; बत्तीका गुल काटना; अचंभेकी बात करना। गुलूबंद-पु० [फा०] सरदीसे बचनेके लिए गले में लपेटी -खिलना-भेद खुलना; कोई अनोखी, मजेदार बात जानेवाली पट्टी; गले में पहननेका एक जेवर । होना; बखेड़ा उठना ।-खिलाना-कोई अद्भुत, अचंभेकी गुलेनार-पु० दे० 'गुलनार'।। बात करना; बखेड़ा उठाना। -होना-(दीपक) बुझना। गुलेल-स्त्री० [अ०] दो ताँतोंकी कमान जिसपर मिट्टीकी गुल-पु० दे० 'गुल' । -गपाड़ा-पु० शोरगुल, हल्ला। गोली रखकर फेंकते हैं। -ची-पु० गुलेल चलानेवाला। .गुल-पु० [फा०] शोर, हला-1-गुला-पु० शोर, धूम। गुलेला-पु० गुलेलसे फेंकनेकी मिट्टीकी गोली; गुलेल । गुलगुल-वि० दे० 'गुलगुला'।
गुल्फ-पु० [सं०] एडीके ऊपरकी गाँठ, टखना, घुट्टी। गुलगुला-वि० नरम, मुलायम । पु० एक पकवान ।। गुल्म-पु० [सं०] बिना तनेका पौधा जिसमें जड़से ही कई गुलगुलाना -स० क्रि० किसी गूदेदार चीजको दबाकर शाखाएँ निकलती है (ईख, धान, सरकंडा इत्यादि); झाड़; पिलपिला करना; * गुदगुदाना।
सेनाका एक विभाग-९ हाथी, ९ रथ, २७ घोड़े और ४५ गुलगुली*-स्त्री० गुदगुदी। वि० स्त्री० मुलायम ।
पैदल; नदीके घाटपर रक्षार्थ स्थापित चौकी; तिल्ली; एक गुलचना*-स० क्रि० गुलचेका आघात करना ।
उदररोग, पेटके भीतर गोलासा बँध जाना; दुर्ग । गुलचा-पु० मुद्री बाँधकर उँगलियोंकी पोरसे, प्रेममय गुल्लक-पु० [सं०] गोलक । विनोदमें गालोंपर आघात करना (मारना)।
गुल्ला-पु०[फा०] गुलेलपर फेंकी जानेवाली मिट्रीकी बनी गुलचाना, गुलचियाना -स० क्रि० गुलचा मारना। |
गोली; * शोर, गुल (हल्ला-गुल्ला)। गुलछर्रा-पु० मीज, चैन, ऐश। म०-(१)उड़ाना- गुल्लाला-पु० दे० 'गुललाला'। निद्वंद्व होकर सुख भोगना, मौज करना।
गुल्ली-स्त्री० लंबोतरा टुकड़ा जिसके दोनों छोर नुकीले हों; गुलझटी-स्त्री० धागे आदिमें उलझकर पड़ी हुई गाँठ,
काठका लंबोतरा टुकड़ा: सोने या चाँदीका डला; गुठली; गुत्थी; शिकन । मु०-निकालना-मनोमालिन्य दर महुएके फलकी गुठली; छत्ते में मधु रहनेका स्थान । - करना। .
डंडा-पु. लड़कोंका एक खेल जिसमें गुल्लीको डंडेसे गुलझड़ी-स्त्री० दे० 'गुलझटी'।
मारते हैं। गलथी-स्त्री० चोट लगनेसे शरीर में होनेवाला गिलटी या! गुवा-पु० दे० 'गुवाक' ।
गुठली जैसा शोथ; मैदा आदिको घोलनेसे बनी हुई गाँठ। गुवाक-पु० [सं०] सुपारी; चिकनी सुपारी। गुलमा-पु० सिरपर चोट लगनेसे होनेवाली गोल सूजना। गुवार* --पु० दे० 'ग्वाल' । गुलाब-पु० [फा०] एक कँटीला पौधा या झाड़, उसका गुवारपाठा-पु० दे० 'ग्वारपाठा'। फूल जो बहुत सुंदर और मीठी सुगंधवाला होता है। गुवालि*--स्त्री० 'ग्वालिन' । गुलाबके फूलोंका अरक, गुलाबजल । -जल-पु० [हिं०] गुविंद-पु० दे० 'गोविद'। गुलाबका अरक । -जामुन-पु० [हिं०] एक प्रसिद्ध गुसला-पु० दे० 'गुस्ल' । -खाना-पु० दे० 'गुस्लमिठाई, जामुनकी शकलके, घीमें छानकर शीरेमें डुबोये हुए, खोयेके लड्डू। -पाश-पु० गुलाबजल छिड़कनेका | गुसाई -पु० दे० 'गोस्वामी' । एक हजारादार यंत्र ।
गुसा*-पु० दे० 'गुस्सा'। गुलाबास-पु० गुलअब्बास ।
गुसयाँ*-पु० स्वामी; ईश्वर । गुलाबा-पु० एक बरतन ।
गुस्ताख-वि० [फा०] ढीठ, अविनीत, बेअदब । गलाबी-वि० [फा०] गुलाबकेरंगका, हलका लाल; हलका
गुस्ताखी-स्त्री० [फा०] ढिठाई, अशिष्टता, बेअदबी । (जाड़ा, नशा); गुलाबमें बसाया हुआ (रेवड़ी आदि); गुस्ल-पु० [अ०] सारे शरीरको धोना, स्नान; मुर्देको गुलाब-संबंधी । पु० गुलाबकी पंखड़ियोंकासा हलका |
नहलाना । -खाना-पु० नहानेकी कोठरी, स्नानागार । लाल रंग।
गुस्सा -पु० [अ०] क्रोध, रोष, कोप । -वर-वि० जिसे गुलाम-पु० [अ०] खरीदा हुआ और मालिककी संपत्ति जल्दी गुस्सा आये । मु०-उतारना,-निकालनासमझा जानेवाला नौकर, दास, पराधीन व्यक्ति ताशका | क्रोधकी शांतिके लिए (किसीपर) बिगड़ना, मारना एक पत्ता। -चोर-पु० [हिं०] ताशका एक खेल । इत्यादि । -जादा-पु. गुलामका बेटा (वक्ता नम्रतावश अपने गुस्सैल-वि० गुस्सावर, क्रोधी। बेटेके लिए कहता है)।
गुह-पु०[सं०] कात्तिकेया घोड़ा; शृंगवेरपुरका निषादराज गुलामी-स्त्री० [अ०] दासता; चाकरी; पराधीनता। जिसने वनगमनके समय रामको गंगापार कराया गुहा । गुलाल-पु० अबीर ।
गुहना -स० क्रि० गूंथना। गुलाला-पु० दे० 'गुललाला'।
गुहराना -स० क्रि० पुकारना । गलिका-स्त्री० [सं०] खेलनेका छोटा गेंद; गोली। गुहाँजनी-स्त्री० बिलनी ।
ना -स० क्रि० दे० 'गोलियाना'; चोंगेमें औषध गहा-स्त्री० [सं०] गुफा, खोह, मद; छिपनेकी जगह । आदि भरकर पशुको पिलाना ।
| गुहाई-स्त्री० गुहनेकी क्रिया; गुहनेकी मजदूरी। गलिस्ताँ-पु० [फा०] पुष्पवाटिका, उद्यान, शेखसादी• गुहार-स्त्री० दोहाई, रक्षाके लिए पुकार ।
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