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गाँठना-गादर
२०८ करना । -जोड़ना-गँठबंधन करना । (मनमें)-पड़ना | गागरी*-स्त्री० दे० 'गगरी' । -बिगाड़ होना; (किसीके प्रति) मनमें बैर-बुराई पैदा गाची-पु० एक तरहका जालीदार कपड़ा, फुलवर । होना ।-पर गाँठ पड़ना-कठिनाई, पेचीदगी या बुराई, गाछ-पु० पेड़, पौधा । वैमनस्यका बढ़ते जाना । -बाँधना-(किसी बातको) गाज-स्त्री० गर्जन, बिजलीकी कड़क बिजली । पु० फेन । अच्छी तरह याद कर लेना कि भूल जानेका डर न रहे। मु०-गिरना-पड़ना-बिजली गिरनाआफत आना। गाँठना-स० कि० गिरह लगाना; जोड़ना; जूता सीना;गाजना-अ० क्रि० गरजना; खुशीके मारे जोर-जोरसे मिलाना; हाथमें कर लेना, मनचाही बात करनेको तैयार बोलना। कर लेना; कसना (पंजा, सवारी); निश्चय करना; बाँधना गाजर-स्त्री० [सं०] एक मीठा मूल जो कच्चा और अचार(मजमून, मंसूबा); दबाना; वार रोकना ।
मुरब्बे आदिके रूप में भी खाया जाता है। -मूली-स्त्री० गाँठि*-स्त्री० दे० 'गाँठ।
तुच्छ वस्तु। गाँड़-स्त्री० गुदा तला, पेंदा ।
ग़ाज़ा-पु० [अ०] सुगंधित पाउडर जिसे स्त्रियाँ सौंदर्यगाँडर-स्त्री० एक घास जिसकी जड़को खस कहते हैं; एक वृद्धि के लिए गालों पर मलती है ।
गाजी-पु० [अ०] काफिरोंसे लड़नेवाला मुसलमान योद्धा गाँडा-पु० ईखका बोने या पेरनेके लिए काटा हुआ टुकड़ा; विजेता; शूर-वीर। ईख, मेंडरी।
गाड़-पु० गड्ढा; अनाज रखनेका गड्ढा, खत्ता, खत्ती । गांडी (डि)व-पु० [सं०] अर्जुनका धनुष जो उन्हें अग्निसे गाड़ना-सक्रि० गड्ढे में रखकर मिट्टीसे ढंकना, दफन मिला था; धनुष । -धन्वा(न्वन)-पु० अर्जुन । करना; धरतीमें फँसाना; छिपाकर रखना। गांडीवी(विन्)-पु० [सं०] अर्जुन ।
गाडर*-स्त्री० भेड़। गांडू-वि० जिसे गुदामंजन करानेकी लत हो कमजोर | गाडा-पु० घातमें बैठनेका गड्ढा या जगह; * छकड़ा, दिलका; निकम्मा; डरपोक ।
बैलगाड़ी; कोल्हूके नीचेका गड्ढा । गाँती-स्त्री० दे० 'गाती'।
गाड़ी-स्त्री० पहियेके सहारे चलनेवाली सवारी, शकट; गाँथना-स० क्रि० गूंथना; गाँठना, जोड़ना।
रेलगाड़ी। -खाना-पु० गाड़ी या गाड़ियाँ रखनेका गांधर्व-वि० [सं०] गंधर्व-संबंधी; गंधर्व देशमें उत्पन्न । स्थान । -वान-पु० गाड़ी हाँकनेवाला ।
-वेद-पु० दे० 'गंधर्व-वेद', सामवेदका उपवेद । गाढ-वि० [सं०] अवगाहन किया हुआ; गाढ़ा; गहरा; गांधर्वि()क-पु० [सं०] गवैया ।
ठस; घना खूब मजबूत; अत्यधिक कठिन; तीव्र दुर्गम । गांधार-पु० [सं०] भारतवर्षका एक प्राचीन जनपद,पेशा- गाद-पु० [हिं०] संकट, कठिनाई; करघा । वरसे कंधारतकका प्रदेश, कंधार, गांधार देशवासी गांधार-गाढ़ा-वि० जो अधिक पतला न हो, जिसकी तरलतामें
का राजा: सात स्वरों में से तीसरा सिंदूरएक राग। । ठोस पदार्थका अंश कुछ अधिक हो; घनिष्ठ; मोटा; ठस; गांधारी-स्त्री० [सं०] गांधारकी राजकुमारी, दुर्योधनकी गहरा कटिन; विकट । * अ० दे० 'गाढ़े'। पु० हाथका माता; एक रागिनी।
बुना मोटा कपड़ा, गजी; मतवाला हाथी । मु० गाढ़ी गांधारेय-पु० [सं०] दुर्योधन ।
छनना-खूब भंग पिया जाना; गहरी मित्रता होना; गुप्त गाँधी-पु० गुजराती वैश्योंका एक अक्ल; भारतके एक | मंत्रणा होना; विरोध होना । गादेका साथी-विपत्महान् नेता जिन्होंने सत्य और अहिंसाके आधारपर काल में साथ देनेवाला । -दिन-गाढ़, मुसीबतके दिन । आन्दोलन चलाकर देशको स्वतंत्र कराया; हरे रंगका एक | -पसीने की कमाई-कड़ी मेहनतसे कमाया हुआ छोटा कीड़ा जिसमें तेज दुर्गध होती है। एक घास हींग । पैसा। -में-बिपतमें । -टोपी-स्त्री० खादीकी किश्तीनुमा टोपी। -वाद- गाढ़े -अ० कसकर जोरसे; अच्छी तरह । पु० सत्य और अहिंसाका सिद्धांत जिसका प्रतिपादन गात*-पु० शरीर, गात्र । गांधीजीने किया।
गाता(त)-पु० [सं०] गायक, गवैया; गंधर्व । गांभीर्य-पु० [सं०] गंभीरता, गहराई; चित्तकी स्थिरता, गाती-स्त्री. चादर आदि ओढ़नेका एक खास ढंग; उस अचंचलता; जटिलता।
दंगसे ओढ़ा हुआ कपड़ा। गाँव-पु० ग्राम, छोटी बस्ती ।
गात्र-पु० [सं०] देह; अंग। -मार्जनी-स्त्री० अंगोछा, गाँस-स्त्री० रुकावट; भेदकी बात वैर गठ, फंदा तीरका तौलिया। फल; * निगरानी; शासन अधिकार ।
गाथ-पु० [सं०] स्तोत्र; गान । * स्त्री० गाथा, यश । गाँसना-स. क्रि० गूंथना; कसना छेदना + रोकना; गाथा-स्त्री० [सं०] अवैदिक स्तोत्र; इलोका प्राकृतका एक वशमें रखना।
भेद: कथा; छंदोबद्ध कथा; छंद; आर्या छंद । -कार-पु० गाँसी-स्त्री० तीर आदिका फल, हथियारकी नोक; गाँठ महाकाव्यका रचयिता; गायक । कपट; चुभनेवाली बात ।
गादा-स्त्री० तलछट । गाइ*-स्त्री० दे० 'गाय'।
गादड-पु० गरियार बैल; मेढ़ा, गीदड़ । वि० डरपोक । गागर*-स्त्री० घड़ा, कलसा । मु०-में सागर भरना-गादरी-वि० डरपोक, गदराया हुआ; मट्टर, सुस्त । पु० थोड़े में बहुत बातोंका समावेश करना ।
गीदड़ मट्टर बैल ।
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