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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir खैरियत-खोली १९६ खाना जहाँ धर्मार्थ, मुफ्त दवा दी जाय, दातव्य औषधालय । | खोद-पु० लोहेका बना टोप, शिरस्त्राण । स्त्री० खोदनेकी स्तरि(री)यत-स्त्री० [फा०] कुशल; भलाई; नेकी । क्रिया; छानबीन । -पूछ-स्त्री० छानबीन, पूछताछ । खैलर, खैला*-स्त्री० मथानी । खोदना-स० क्रि० खुरचना, कुरेदना; गड्ढा करना; खों इचा(छा)।-पु० मोड़ा हुआ आँचल । खोदकर उखाड़ना; ढहाना; लकड़ी आदिको कुरेदकर चित्र खो खी-स्त्री० खाँसी। उरेहना, बनाना; नकाशी करना; कोई नुकीली चीज खो खो -पु० खाँसने या बंदरोंके घुड़कनेकी आवाज। धीरेसे चुभोना उकसाना उभारना । मु. खोदखोच-स्त्री० खरोंच, कपड़ेकी चीर या छेद जो किसी | खोदकर पूछना-पूरी बात जाननेके लिए जिरह करना, नुकीली चीजसे उलझकर हो जाय। पु० मुद्रीभर अन्न। | एक-एक बातपर शंका-प्रश्न करते हुए पूछना। खो चा-पु. लगगी या बाँस जिसके सिरेपर लासा लगाकर | खोदनी-स्त्री० खोदनेका औजार।। बहेलिये चिड़िया फँसाते हैं । खोदवाना-स० क्रि० 'खोदनेका काम दूसरेसे कराना। खों ची-स्त्री. वह अन्न, तरकारी आदि जो दुकानदार खोदाई-स्त्री० दे० 'खुदाई'। राशिमेंसे उठाकर भिखमंगेको दे दे। खोना-स० कि० गँवाना, अपनी चीज कहीं भूल, छोड़ खोटना-स० क्रि० किसी चीजका, खासकर साग-पातका, आना नष्ट, बरबाद करना। मु० खो जाना-गुम हो ऊपरका भाग, फुनगी नोच लेना। जाना; किसी चिता-विचारमें डूब जाना; हक्का-बक्का हो खो डर, खाँडरा-पु० कोटर, गड्ढा । जाना । खोया-खोया रहना-किसी चिता-विचारमें खों ड़ा-वि० विकलांग; जिसका दाँत टूट गया हो; खंडित। निमग्न रहना; गुम-सुम रहना। खो ता-पु० घोंसला। खोन्चा-पु० बड़ा थाल जिसमें फेरीवाले मिठाइयाँ आदि खोप-स्त्री० दूर-दूर लगा हुआ टाँका; खाँच। रखकर बेचते हैं, 'रू.वानचा'।-फरोश-पु० फेरीवाला। . खो पा-पु० हलका वह भाग जिसमें फाल लगा रहता है; खोपड़ा-पु० कपाल, सिर; गरीका गोला; नारियल । भूसा रखनेका छाजनदार घेरा; छाजनका कोना; चोटीका खोपड़ी-स्त्री० कपाल, सिर । मु०-खा जाना-चाट गुच्छा, चूड़ा-'खोंपा छोरि केस मुकलाई-५०।' जाना-बहुत बकवास करके कष्ट पहुँचाना। -खाली हो खाँ सना-स० क्रि० अटकाना, फँसाना । जाना-(किसीकी बकवास या अधिक श्रमसे) दिमागका खोआ-पु० दे० 'खोया। थक जाना। -खुजलाना-मार खानेका उपाय करना, खोई-स्त्री० ईखका डंठल जिसका रस निकाल लिया गया पिटनेको जी चाहना । -गंजी होना-इतनी मार खाना हो लाई खुही, कंबल की घोधी । कि सिरके बाल झड़ जायँ, सिरपर खूब जूते पड़ना । खोखला-वि० भीतरसे खाली, पोला। पु० खोखली जगह खोपरा-पु० दे० 'खोपड़ा। कोटर; बड़ा छेद । खोपा-पु० छाजनका कोना; जूड़ा बँधी हुई चोटी; केशखोगीर-पु० [फा०] जीनकी भरती; नमदा ।-की भरती विन्यासका एक भेद; गरीका गोला । -रद्दी, निकम्मी चीज। खोभरा*--पु० गड़नेवाली चीज, खूटी आदि । खोज-स्त्री० खोजनेकी क्रिया, तलाश, अन्वेषण; निशान, खोभार-पु० तंग दरवाजेवाला झोपड़ा जिसमें सूअर रातचिह्नः पहियेकी लीक पदचिह्न । मु०-खबर लेना-हाल | को बंद किये जाते है; कूड़ा फेंकनेका अड्डा । पूछना, पता लेना। -मारना-लीक या पदचिह्न मिटा खोम* --पु० झंड-'बसे खलनके खेरन खबीसनके खोम देना। -मिटाना-नाम निशान, लीक, मिटा देना। है'-भू० जाति । खोजक*-वि०, पु० खोज करनेवाला । | खोया-पु० औटाकर लुगदीसा बनाया हुआ दूध, मावा; खोजना-स० क्रि० ढूँढ़ना, तलाश करना, पता लगाना। ईंट पाथनेका गारा । खोजवाना-सक्रि० खोजनेका काम दूसरेसे कराना। खोर-स्त्री० गली; गाय-बैलको चारा-पानी देनेकी नाँदा खो(लो)जा-पु० हिजड़ा; हरममें रहनेवाला हिजड़ा सेवक दे० 'खोरि' । वि० [सं०] लँगड़ा।। एक तिजारत-पेशा मुसलमान जाति । खोरनाt-अ०कि. नहाना । स० कि० खोलना। खोजी-वि०, पु० खोज करनेवाला, अन्वेषक । खोरा-+ पु० कटोरा-'रतनजड़ाऊ खोरा-खोरी'-५०% खोट-स्त्री० दोष, बुराई; खता, कुसूर; पाप, दुष्टता, खुटाई आबखोरा । * वि० खोंडा, विकलांग। सोने-चाँदी में किसी घटिया धातुकी मिलावट; इस तरह खोराकी-स्त्री० दे० 'खुराकी'; वि० पेटू । मिलायी हुई चीज; खुरंड । वि० दुष्ट; ऐबी । खोरि(री)-स्त्री० गली; दोष, बुराई कटोरी;दे० 'खौरि'। खोटता*-स्त्री० खुटाई, बुराई । खोरिया-स्त्री० कटोरी; बुंदेके रूपमें कटे हुए डाँकके टुकड़े। खोटा-वि०जिसमें खोट हो; 'खरा'का उलटा सदोष, बुरा, खोल-पु० गिलाफ, आवरण; बेठन; मोटी चादर घटिया; मिलावटवाला; खल, दुरात्मा। -खरा-वि० कीड़ोंकी ऊपरी त्वचा जो केंचुलकी तरह झड़ा करती है । भला-बुरा; सच्चा-झूठा; घटिया-बढ़िया। -सिक्का-पु० खोलना-स० क्रि० आवरण, अवरोध, बंधन हटाना; जाली, अप्रामाणिक, न चलनेवाला सिका। मु०-खाना* दरार, छेद करना; चीरना, उधेड़ना; प्रकट, जाहिर -बेईमानीकी कमाई खाना। खोटी-खरी सुनाना-बुरा- | करना आरंभ करना; चलाना; स्थापित करना; कार्यारंभ भला कहना, गालियाँ देना। करना । खोलकर-अ० साफ-साफ। खोड़रा-पु० कोटर; दाँत आदिके भीतरका गड्ढा । खोली-स्त्री० गिलाफ थैली; दलाई जैसा कपड़ा जिसमें For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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