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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org . खुलासा - खेचरो उदारतापूर्वक । - मैदान - खुले खजाने, डंके की चोट .खुलासा- पु० [अ०] निचोड़, सार, संक्षेप । वि० संक्षिप्त, छाँटा हुआ; [हिं०] स्पष्ट । अ० साफ-साफ (बो०) । खुल्ल - वि० [सं०] छोटा; कमीना । - तात- पु० पिताका छोटा भाई । खुल्लमखुल्ला - अ० खुले आम प्रकाश्य रूपसे । खुवारी * - स्त्री० दे० ' ख्वारी' । ख़श - वि० [फा०] मुदित, प्रसन्न; सुखी; प्रफुल; अच्छा, भला । - इंतिज़ामी - स्त्री० सुप्रबंध । - क़िस्मत- वि० अच्छे भाग्यवाला, भाग्यवान् । -ख़त - वि० सुंदर अक्षर लिखनेवाला, सुलेखक । -ख़बरी - स्त्री० खुश करनेवाली खबर, शुभ समाचार | -दिल- वि० प्रसन्नचित्त, आनंदी, हँसमुख | -नवीस - वि० सुंदर अक्षर लिखनेवाला, खुशखत | - नसीब - वि० भाग्यवान्, खुशकिस्मत | नुमा - वि० भला लगनेवाला, सुंदर । - नुमाई - स्त्री० सुंदरता । - बू - स्त्री० सुगंध । - ०दार - वि० सुगंधयुक्त । -मिज़ाज - वि० प्रसन्नचित्त, हँमुसख। - हाल- वि० संपन्न, रुपये-पैसे से सुखी । • खुशामद - स्त्री० [फा०] खुश करनेवाली बात, चापलूसी । . खुशामदी - वि० [फा] चापलूस, खुशामद करनेवाला । - टट्टू - वि० खुशामद की कमाई खानेवाला, जीहुजूर । . खुशी - स्त्री० [फा०] खुश होना, प्रसन्नता, हर्ष, इच्छा, मरजी । - खुशी - अ० प्रसन्नतापूर्वक, खुशीके साथ । - का सौदा - वह काम जिसे करना न करना अपनी मरनीकी बात हो । खुश्क - वि० [फा०] सूखा; रूखा; अरसिक; जिसके साथ और कुछ न हो, खाली ( - तनख्वाह, रोटी) । . खुश्की - स्त्री० [फा०] सूखापन; रूखापन; रसहीनता; अवर्षण; स्थल भाग । -की राह - स्थलमार्गसे । खुसामति* - * - स्त्री० दे० ' खुशामद' | खुसाल, खुस्याल* -- वि० खुश, मगन । खुसुरफुसुर- स्त्री० कानाफूसी । अ० बहुत धीमी आवाज में । . खुसूसियत - स्त्री० [अ०] विशेषता; मेल, सौहार्द । खुही- स्त्री० लबादेकी तरह ओढ़ा हुआ कंबल, घोघी । खूँखार - वि० दे० 'खून' के साथ | खूँट - पु० कोना; मकानके कोनेपर लगाया जानेवाला पत्थर; ओर, दिशा; भाग; कानका मैल; छोटी पूरी; कानका एक गहना, ढार; रोक । | खूँटना - अ० क्रि० घटना; चुकना; - 'मसि खूँटी कागर जल भीजे'- सू०; टूटना | स० क्रि० रोकना; छेड़छाड़ करना; खोंटना । खूँटा - पु० लकड़ी या बाँसकी मेख जिसे गाड़कर गाय, बैल आदिको बाँधते हैं; खड़ी गड़ी हुई लकड़ी । खूँटी - स्त्री० छोटी मेख; लकड़ीकी मेख जो कपड़े आदि टाँगनेके लिए दीवार में गाड़ी जाय; जॉते या चक्कीकी किल्ली; सितार, सारंगी, खड़ाऊँ आदिमें जड़ी छोटी मेख; अरहर, ज्वार आदिकी खुत्थी जो फसल काटने के बाद खेत में रह जाय; बालकी जड़ जो उस्तरे से मूँड़नेके बाद रह जाय । खूँद - स्त्री० खूँदनेकी क्रिया । खूँदना-अ -अ० क्रि० घोड़ेका बलात् रोके जानेपर उसी जगह Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १९४ हटना बढ़ना, पाँव मारना, टापसे जमीन खोदना, रौंदना । खूझा - पु० फल, तरकारीका रेशेदार भाग; अधिक उलझा हुआ लच्छा । खूटना* - अ०क्रि० घटना; चुकना; रुकना, अवरुद्ध होना । ०क्रि० टोकना, पूछताछ करना; छेड़ना । खूद - पु० किसी तरल चीजको छानने, निधारनेसे निकलनेवाला मैल, तलछट । खून- पु० [फा०] रक्त, लहू; हत्या, कतल । -खराबा - पु० मार-काट, खून -कतल । - (खूँ ) खार - वि० दे० ‘.खूँख्.वार' । –(.खूँ) ख़्वार - वि० क्रूरकर्मा, जालिम; खूनी, हिंस्र; डरावना । - ( . खूँ) रेज़- वि० खून बहाने - वाला, खूनी, मारकाट मचानेवाला । - (खूँ ) रेज़ी - स्त्री० मारकाट, रक्तपात । मु० - आँखों में उतरना - क्रोधसे आँखें लाल हो जाना, अति क्रुद्ध होना । - का जोशकुल, वंशके नाते उत्पन्न स्नेह, ममता, सगेपनकी मुहब्बत । - का दौरा - रक्त संचार । -का प्यासा - जान लेनेपर तुला हुआ, जानी दुश्मन के आँसू रोना- अतिशय व्यक्ति होना । - के घुँड पीना-भारी गुस्सेको पी जाना, सह लेना । - खौलना - अति क्रुद्ध होना, गुस्से से लाल हो जाना। - गरदनपर होना - (किसी के) कतलका जिम्मेदार होना । - पानी एक करना - खून पानीकी तरह बहाना। - पीना - बहुत सताना; जान लेना, मार डालना । - बहाना - रक्तपात करना, खून कतल करना । - मुँह ( को ) लगना - खून का मजा मिलना, चाट लगना; काटने की आदत पड़ जाना। - सिरपर चढ़कर बोलता है - - हत्याका पाप छिपा नहीं रहता। - सिरपर चढ़नाखूनीके चेहरे, चेष्टा आदि से भय, घबराहट प्रकट होने लगना; किसीका खून करनेपर आमादा हो जाना । - सूखना- घबरा जाना । .खूनी - पु० [फा०] खून करनेवाला, कातिल । वि० क्रूर, जालिम; हत्या सूचक हत्याके भाव से पूर्ण (आँख); रक्तपातमय, मार-काटवाला । -बवासीर-स्त्री० वह बवासीर जिसमें मस्सेसे खून निकलता है । . खूब - वि० [फा०] अच्छा, बढ़िया सुंदर । अ० अच्छी तरह, पूरी तरह; बहुत साधु, वाह ! - सूरत - वि० सुंदर, रूपवान् । -सूरती - स्त्री० सुंदरता । खूबकलाँ - पु० [फा०] एक घास या उसके बीज | .खूबी - स्त्री० [फा०] भलाई, अच्छाई, गुण, विशेषता । खूसट - वि० जराजीर्ण; अरसिक; मनहूस । पु० उल्लू । खूसर* - वि०, पु० दे० 'खूसट' । 1 खेक (ख) सा - पु० एक बेल या उसका कँटीलासा परवल जैसा फल जो तरकारीके काम आता है खेचर - वि० [सं०] आकाशमें चलनेवाला । पु० ग्रह; पक्षी; वायु; बादल; विमान; देवता; राक्षसः सूर्य; भूत-प्रेत । खेचरी - वि० स्त्री० [सं०] आकाशचारिणी । स्त्री० दुर्गा; परी । - गुटिका - स्त्री० एक तंत्र वर्णित गोली जिसके संबंध में कहा जाता है कि उसे मुँह में रखनेवाला आकाश में उड़ सकता है । - मुद्रा - स्त्री० योगकी अंगभूत एक मुद्रा जिसमें जीभ उलटकर तालूमें लगायी और दृष्टि त्रिकुटीपर स्थापित की जाती है । For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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