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खरीद-खस आदेश भेजे जाते है। इस प्रकार प्रेषित सरकारी आदेश खलबलाना-अ० क्रि० खौलना क्षुब्ध, बेचैन होना। जेब; सुई-धागा रखनेकी थैली ।
खलबलाहट-स्त्री० खलबलानेका भाव, बेचैनी; खलबली। खरीद-स्त्री० [फा०] खरीदनेकी क्रिया या भाव, क्रयः खलबली-स्त्री० हलचल बेचैनी, घबराहट; क्षोभ । खरीद की हुई वस्तु । -फरोख्त-स्त्री० खरीदना-बेचना, खलभल-पु०, खलभली-स्त्री० दे० 'खलबली' । लेवा-बेची।
खलभलाना-अ० क्रि० दे० 'खलबलाना'। खरीदना-स० क्रि० मोल लेना, दाम देकर लेना। खलभलाहट-स्त्री० दे० 'खलबलाहट'। खरीदार-पु० [फा०] खरीदनेवाला, ग्राहक इच्छुक । खलल*-पु० धूम। खरीफ-स्त्री० [अ०] वह फसल जो असाद-सावनमें बोयी खलल-पु० [अ० ] बाधा, अड़चन; बिगाड़ा रोग ।
और कातिक-अगहनतक काट ली जाय (धान, मकई इ०)। -अंदाज़-वि० बाधा डालनेवाला। -दिमाग़-स्त्री० खरेई, खरोई -अ० सचमुच; अत्यंत ।
दिमागका बिगड़ जाना; सनक, पागलपन । वि० जिसका खरौंच-स्त्री० त्वचाका काँटे, नाखून आदिसे छिल जाना, | दिमाग बिगड़ गया हो, सनकी । खराश; छिल जानेका निशान ।
खलाई।-स्त्री० दुष्टता। खरोचना-स० कि. खुरचना छीलना ।
खलाना*-स० क्रि० खाली करना; गड्ढा करना; फँसाना। खरों (रो)ट-स्त्री० दे० 'खरोंच।
खलास-पु० [अ०] छुटकारा, मुक्ति,निवृत्ति (पाना, होना)। खरोष्ट्री, खरोष्टी-स्त्री० [सं०] एक प्राचीन लिपि जो | खलासी-स्त्री० दे० 'खलास' । पु० जहाज, तोपखाने फारसीकी तरह दाहनेसे वायें लिखी जाती थी और मौर्य- आदिमें छोटे-मोटे काम करनेवाला मजदूर, खेमा आदि कालमें पश्चिमोत्तर भारतमें चलती थी।
खड़ा करनेवाला नौकर। खराँट-स्त्री० दे० 'खरोच' ।
खलित*-वि० स्खलित; चलित; हिला हुआ गिरा हुआ। खरौहाँ*-वि० कुछ-कुछ खारा ।
खलियान-पु० वह स्थान जहाँ फसल काटकर रखी और खर्ग*-पु० तलवार।
माँड़ी जाय; ढेर । मु०-करना-काटी हुई फसलका ढेर खर्च, खर्चा-पु०[फा०] पैसे,चीजका किसी काममें लगना, लगाना; नष्ट करना। सर्फ होना, व्यय; आवश्यक कार्यों में लगनेवाला पैसा। खलियाना-स० क्रि० खाल उतारना (कटे बकरे आदिकी); मु०-उठाना-सर्फा बर्दाश्त करना, व्ययभार वहन खाली करना । करना। -निकलना-सा, लागत निकल आना खली-स्त्री० [सं०] तेलहनकी सीठी। खर्चना-स० क्रि० दे० 'खरचना'।
खलीता-पु० दे० 'खरीता। खर्चीला-वि०बहुत खर्च करनेवाला, खर्राच; जिसमें ज्यादा | खलीफा--पु० [अ०] उत्तराधिकारी, जानशीन; पैगंबरखर्च पड़े।
(मुहम्मद)का उत्तराधिकारी नेता;गतके आदिके उस्तादका खर-पु० [सं०] खजूरका पेड़, उसका फल; चाँदी नायब; बूढ़ा दरजी नाई; बावर्ची । हरताला धतूरा; बिच्छू। -रस-पु० ताड़ी।
खलु-अ० [सं०] निश्चय, निषेध, जिज्ञासा, अनुनय इ. खपर-पु० [सं०] खप्पर, कपाल, खोपड़ी; मिट्टीका फूटा अर्थों में प्रयुक्त । हुआ बरतन; छाता खपरिया।
खल्त-मल्त-वि० गढ-मड, मिला-जुला । खरी-पु० लंबा लेख; विवरण; मसौदा एक चर्मरोग । खल्लड़-पु० खलड़ी; मशक; अति वृद्ध व्यक्ति (जिसकी खर्राच-वि० बहुत खर्च करनेवाला।
खाल लटक गयी हो)। खर्राट-वि० होशियार अनुभवी; वृद्ध ।
खल्वाट-वि० [सं०] गंजा । पु० गंजापन । खर्राटा-पु० सोतेमें नाकसे निकलनेवाली खर्र-खर्रकी खवा-पु० कंधा, भुजमूल । मु०-(वे) से खवा छिलना. . आवाज । मु०-(8)भरना,-मारना,-लेना-गहरी ___-बहुत भीड़, धकम-धका होना। नींद, बेखबर सोना।
खवाई-स्त्री० खानेकी क्रिया; 'खिलाई। खर्व(ब)-वि० [सं०] विकलांग; बौना; छोटा सौ अरब । खवाना-स० क्रि० खिलाना । पु० सी अरबकी संख्या।
खवारा*-वि० खोटा, खराब । खर्वित-वि० [सं०] खर्व, छोटा किया हुआ।
खवास-पु० [अ०] चुने हुए लोग, विशिष्ट जन (अवामका खल-वि० [सं०] दुष्ट, दुर्जन; खोटा बेहया; नीचा चुगल- उल्टा); खास खिदमतगार; मुसाहब सखा; गुण, तासीर खोर । पु० खलियान; खरल ।
* नाई । स्त्री० लौंडी; सहेली। खलई*-स्त्री० खलता।
खवासी-स्त्री० [अ०] खवासका काम, पद हौदे या गाड़ीखलक-पु० [अ०] जीवसमष्टि, लोकसमूह; संसार । में खास टहलू के बैठनेकी जगह । खलकत*-स्त्री० दे० 'खिलकत'।
खवैया-पु० खानेवाला; अधिक खानेवाला । खलड़ी-स्त्री० खाल ।
खस-पु० [सं०] गढ़वालके उत्तरका प्रदेश; उस प्रदेशका खलना-अ० क्रि० बुरा लगना, कुशकर होना, चुभना। निवासी; खासिया; खुजली; पोस्तेका पौधा । स० क्रि० मोड़ना; झुकाना; धुंघरूमें गड्ढा बनाना; खस-पु० [फा०] सूखी घास; गाडर नामकी घासकी जड़ * स० क्रि० खरलमें घोंटना।
जिसकी टट्टियाँ गरमीके दिनोंमें कमरेको ठंडा रखनेके खलबल-स्त्री० दे० 'खलबली'
लिए खिड़कियों, दरवाजोंपर लगायी जाती हैं ।-खाना
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