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ऐकांतिक- ओछा
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ऐकांतिक - वि० [सं०] बिना शर्त या अपवादका; कतई; ऐयार - पु० [अ०] धूर्त, चालाक, चलता-पुरजा व्यक्ति ।
ऐयारी - स्त्री० [अ०] धूर्तता, चालाकी । ऐयाश - वि० [अ०] विलासी, विषयासक्त, काभुक । ऐयाशी- स्त्री० [अ०] विलासिता, विषयासक्ति, कामुकता । ऐरा - ग़ैरा - वि० इधर-उधरका; बाहरी; अजनबी; ऐसावैसा, तुच्छ, नगण्य । मु०- नत्थू खैरा - जिसकी कोई हैसियत न हो, साधारण जन; तुच्छ, नगण्य जन । ऐरापति* - पु० दे० 'ऐरावत' ।
ऐरावत- पु० [सं०] इंद्र का हाथी; पूर्व दिशाका दिग्गज; बिजलीसे चमकता हुआ बादल; इंद्रधनुष्
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ऐरावती - स्त्री० [सं०] ऐरावतकी भार्या; बिजली ! ऐल - *पु० प्रचुरता; बाढ़; कोलाहल; हलचल; समूह । ऐश- पु० [अ०] सुख, भोग, विलास; विषयसुख । -गाहपु० विलासभवन | - पसंद- वि० आरामपसंद, विलासी । - व आराम - पु०, व इशरत - स्त्री० सुख चैन, भोगविलास ।
अकाट्य, पक्का ।
ऐकात्म्य - पु० [सं०] एकात्मता, एकरूपता, तादात्म्य | ऐक्य - पु० [सं०] एकता, एका; एकरूपता; समाहार, जोड़ । ऐगुन* - पु० दे० 'अवगुण' ।
ऐच्छिक - वि० [सं०] अपनी इच्छा या मर्जीपर अवलंबित, इख्तियारी; वैकल्पिक ।
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ऐज़न् - अ० [अ०] ऊपर लिखे या कहे अनुसार; फिर वही, उसी तरह [किसी शब्द या अंककी आवृत्ति से बचने के लिए यह शब्द या इसका चिह्न (") लिखा जाता ] । ऐत* - वि० इतना |
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[सं०] इतिहास-संबंधी; इतिहास में
ऐतरेय - पु० [सं०] ऋग्वेदका एक ब्राह्मण; एक आरण्यकः एक उपनिषद् | ऐतिहासिक - वि० वर्णित | पु० इतिहासका ज्ञाता । ऐन* - पु० दे० 'अयन' और 'एण' । स्त्री० [अ०] आँख; चश्मा, सोता; वस्तुकी अस्लीयत । वि० ठीक, असल; बहुत; परम । अ० हूबहू, ज्योंका त्यों । वक्त-पु० ठीक वक्त, ठीक मौका |
ऐनक - स्त्री० [अ०] चश्मा । -फ़रोश- पु० चश्मा बेचनेवाला - साज़ - पु० चश्मा बनानेवाला । ऐना* - पु० दे० 'आईना' ।
ऐपन - पु० चावल और हल्दी एक साथ पीसकर बनाया हुआ लेप जो मांगलिक कार्यों, पूजनों में काम आता है । ऐब- पु० [अ०] दोष, खोट, बुराई धब्बा, लांछन । - जोई - स्त्री० ऐब ढूँढ़ना, छिद्रान्वेषण । - दार- वि० ऐबवाला, सदोष |
ऐबी - वि० [अ०] जिसमें ऐब या दूषण हो; विकलांग | ऐयाम - पु० [अ०] दिन; समय ('योग' - दिनका बहु० ) ।
ओ
ओ - देवनागरी वर्णमालाका दसवाँ वर्ण । इछना - स०क्रि० वारना, न्योछावर करना । आँकना * - अ० क्रि० के करना; ऊबना; फिर जाना । ओंकार - पु० [सं०] 'ओम्' मंत्र या इसका उच्चारण; आरंभ |
आँगन * - पु० गाड़ीकी धुरी में दिया जानेवाला तेल | आँगना - स० क्रि० गाड़ीकी धुरी में तेल लगाना । ओँठ - पु० होंठ; घड़े इत्यादिके मुँहका किनारा। मु०चबाना - ओंठको दाँतों तले दबाना, क्रोध प्रकट करना । -चाटना - खा चुकनेपर स्वादके लालचसे ओंठों पर जीभ फेरना; स्वादकी लालसा रह जाना । फड़कना - क्रोधके कारण ओंठोंका काँपना । - हिलाना -मुँहसे शब्द निकालना । ओंठों पर - जबानपर, प्रकट होनेके निकट । - में कहना - बहुत धीमी आवाज में बोलना । ओंडा * - वि० गहरा । पु० गड्ढा; सेंध । ओ - पु० [सं०] ब्रह्मा । अ० पुकारनेमें प्रयुक्त है, ए, अरे; कोई विस्मृत बात यकायक याद आनेपर भी बोलते हैं (ओ, आपने ठोक कहा); ओह (विस्मय के अर्थ में); और ।
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ऐश्वर - वि० [सं०] ईश्वरीय; शिव-संबंधी; शक्तिशाली । ऐश्वर्य - पु० [सं०] ईश्वरता; शक्तिः प्रभुत्व; आधिपत्य; धन-वैभव; अणिमादि सिद्धियाँ; सर्वव्यापकता; सर्वशक्तिमत्ता । - शाली (लिन् ) - वि० ऐश्वर्यवाला | ऐश्वर्यवान् (वत्) - वि० [सं०] ऐश्वर्यवाला | ऐस* - वि० दे० 'ऐसा' । पु० दे० 'ऐश' । ऐसा- वि० इस तरहका । - वैसा - वि० साधारण; तुच्छ, नाचीज । ( किसीकी ) ऐसी-तैसी - गाली । -0 में जाय - चूल्हे, भाड़ में जाय (खीझ या उपेक्षा के अर्थ में) । ऐसे- अ० इस प्रकार, इस ढंगसे । ऐहलौकिक - वि० [सं०] इस लोक से संबंध रखनेवाला, ऐहिक |
ऐहिक - वि० [सं०] इस लोक से संबंध रखनेवाला, सांसारिक ।
ओक-स्त्री० मतली | पु० अंजलि [सं०] घर; पनाह । ओकना - अ० कि० कै करना; भैंसकी तरह चिल्लाना । ओकाई - स्त्री० ओक, वमन । | ओखद* - स्त्री० दे० 'औषध' ।
ओखल - पु० ओखली; परती जमीन ।
ओखली - स्त्री० पत्थर या काटका वह पात्र जिसमें धान कूटा जाता है, कूँटी । मु० में सिर देना- कोई झंझट सिरपर लेना; कष्ट, हानि सहनेको तैयार होना । ओखा * - पु० बहाना । वि० कठिन; झीना; मिलावटवाला; रूखा-सूखा ।
ओग* - पु० उगहनी, चंदा; कर; गोद ।
ओगरना। -अ० क्रि० टपकना, रसना; साफ किया जाना ( कूप आदि) ।
ओगारना। - स० क्रि० कीचड़ आदि निकालकर कुएँकी सफाई करना ।
ओघ - पु० [सं०] धारा, बहाव, समूह, ढेर, राशि | ओछा-वि० गंभीरता रहित, छिछोरा; क्षुद्रः खोटा; छोटा; हलका | - पन - पु० छिछोरापन; क्षुद्रता; खोटाई ।
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