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ऊँचा-ऊमक
११८ वि० छोटा-बड़ा; कुलीन-अकुलीन; भला-बुरा ।
ऊढा-स्त्री० [सं०] विवाहिता स्त्री; परकीया नायिकाका ऊँचा-वि० ऊपरकी ओर अधिक उठा हुआ, बुलंद लंबाई | एक भेद । या अर्जमें छोटा, उटंगा; बड़ा, श्रेष्ठ, उच्च, उदात्त; जोरका ऊत-वि० निपूता; बेवकूफ । पु० निःसंतान व्यक्ति । पद-प्रतिष्ठा में बड़ा सम्मानित ।-नीचा-वि० ऊबड़-खाबड़; उतर*-पु० बहाना; दे० 'उत्तर' । भला-बुरा । मु०-नीचा सुनाना-भला-बुरा कहना । | उतला*-वि० उतावला; तेज । -सुनना-केवल जोरसे कही हुई बात ही सुन सकना, | ऊद-पु० [अ०] अगर बरबत नामका बाजा; ऊदबिलाव । अर्ध-बधिर होना। ऊँची दुकान फीका पकवान- -बत्ती-स्त्री० एक तरहकी अगरबत्ती। नामके अनुरूप काम, गुण आदि न होना।
ऊदबिलाव-पु. नेवलेकी शकुका एक उभयचर जंतु । ऊँचाई-स्त्री० ऊँचा होना, बुलंदी, बड़ाई।
वि० मूर्ख, बुद्ध । ऊँचे-अ० ऊँचाई पर, ऊपरकी ओर ।
उदा-वि० बैंगनी रंगका । पु० बैंगनी रंगका घोड़ा । ऊँछना*-स० क्रि० कंघी करना।
ऊदी-वि० [अ०] ऊदका; ऊदके रंगका। पु० ऊदी रंग। ऊँट-पु० बोझ ढोने तथा सवारीके काम आनेवाला एक | ऊधम-पु० शोरगुल, हंगामा; उत्पात । जानवर जो गरम और रेगिस्तानी प्रदेशोंमें अधिकतर पाया | उधमी-वि० ऊधम मचानेवाला; उत्पाती। जाता है, उष्ट्र ।-कटारा,-कटीरा-पु० एककँटीली झाड़ी
| उधव, ऊधो*-पु० दे० 'उद्धव'। जिसे ऊँट बड़े चावसे खाते हैं। -वान-पु० ऊँट चलाने ऊन-पु० भेड़, दुबे आदिका कोमल रोम जिसका कपड़ा वाला । मु०-किस करवट बैठता है-देखिये, मामलेका | बनता है । वि० [सं०] न्यून, थोड़ा; छोटा; घटिया । मु०क्या नतीजा होता है। -की चोरी और नीचे-नीचे | मानना-दिल छोटा करना, दुःखी होना। (झुके झुके)-न छिपनेवाली बातको छिपानेकी कोशिश। ऊना-वि० दे० 'ऊन'। -के गले में बिल्ली-बेमेल, असंगत बात । -के मुंह में ऊनी-वि० ऊनका बना, पशमी । स्त्री० कमी; ग्लानि । जीरा-अधिक खानेवाले या आवश्यकतावालेको थोड़ी- ऊप*-स्त्री० दे० 'ओप' । पु० अन्नका अन्नके ही रूपमें सी चीज देना ।-निगल जाय, दुमसे हिचकियाँ-बड़ी दिया जानेवाला ब्याज । बड़ी बातें कर जाना और छोटी में अटकना।
ऊपना*-अ० क्रि० उपजना । ऊँटनी-स्त्री० मादा ऊँट । -सवार-पु० साँड़नी-सवार ।। ऊपर-अ० ऊँचाईपर; आकाशकी ओर; नीचेके विरुद्ध ऊँडा*-पु० वह बरतन जिसमें रुपये आदि रखकर गाड़ | कोठे या छतपर, ऊपरकी मंजिलमें सहारे सिरपर, जिम्मे दिये जायें तहखाना।
बड़े या ऊँचे दरजेमें; (लेखादिमें) पहले; अधिक; अतिरिक्त ऊंदर*-पु० चूहा।
जाहिरा, प्रकटमें; किनारेपर। -ऊपर-अ० ( वक्तासे) ॐ -अ० नहीं; कदापि नहीं।
बिना जताये, बाला-बाला; जाहिरा। -ऊपरसे-जाहिरा, ऊ-पु० [सं०] शिव चंद्रमा । * अ० भी । *सर्व वह । प्रकटमें ।-की आमदनी-वेतन आदिकी बँधी आमदनीसे ऊअना*-अ० क्रि० उदय होना, उगना।।
अतिरिक्त आय, बालाई आमदनी। मु०-की दोनों ऊआबाई*-वि० व्यर्थ, बेसिर-पैरका। स्त्री निरर्थक बात। जाना*-दोनों आँखे फूट जाना। -तलेके-आगे-पीछे ऊक*-पु० लुक, उल्का । स्त्री० जलना; आँच;चूक, गलती। होनेवाले, तरपरिया। -लेना-सिरपर या जिम्मे लेना । ऊकना-अ०क्रि० चूकना । स० कि० छोड़ना; भूलना; -से-ऊँचाईसे,"के अतिरिक्त, अलावा; इधर-उधरसे; तपाना; जलाना-'लूक वसंतकी ऊकन लागी'।
जाहिरा। -होना-पद या अधिकार में बड़ा होना; ऊकार-पु० [सं०] 'ऊ' अक्षर या उसकी ध्वनि ।
प्रधान होना। ऊख-पु०, स्त्री० दे० 'ईख' । * वि० गरम, तप्त । ऊपरी-वि० ऊपरका, बालाई; बाहरी दिखाऊ ।-फसाद, ऊखम -पु० दे० 'ऊष्म'।
-फेर-पु०प्रेतबाधा। ऊखल-पु० दे० 'ओखली'; एक तरहकी घास ।
ऊब-स्त्री० ऊबनेका भाव, उकतान; * उमंग; उत्साह । ऊगना*-अ० क्रि० दे० 'उगना' ।
ऊबट*-वि० ऊबड़-खाबड़ा कठिन । पु० ऊबड़-खाबड़ ऊज*-पु० अंधेर, उपद्रव, उत्पात ।
रास्ता। ऊजद-वि० उजाड़, वीरान ।
ऊबड़-खाबड़-वि० ऊँचा-नीचा, अटपटा । ऊजर*-वि० दे० 'उजला'; दे० 'ऊजड़।
ऊबना-अ० क्रि० देरतक एक ही स्थितिमें रहने, एक ही ऊजरा*-वि० दे० 'उजला'।
चीजको देखते-सुनते रहनेसे मनका उकता जाना, घबराना; ऊटक-नाटक-पु० अललटप्पू , अनिश्चित काम ।
गरमाना 'मोरी कमरिया पाँच टकाकी सबरी ऊबै देह'ऊटना*-अ० क्रि० जोशमें भरना; सोच-विचार करना। | बुंदेल, वै०। ऊटपटाँग-वि० बेतुका, असंगत, बेसिर-पैरका, निरर्थक ।
ऊबर*-वि० ज्यादा। उड़ना*-स० क्रि० ब्याह करना।
उबरना*-अ० कि० दे० 'उबरना'। उड़ा*-पु० टोटा, अभाव; महँगी।
ऊभ*-वि० ऊँचा । स्त्री० ऊमस बेचैनी; उत्साह । उड़ी-स्त्री० पनडुब्बी चिड़िया; गोता ।
ऊभना*-अ० क्रि० खड़ा होना, उठना; ऊबना । उढना-अ० क्रि० अनुमान करना; सोचना; * विवाह ऊभासाँसी-स्त्री० दम फूलना, ऊबना। करना।
ऊमक*-स्त्री० झपट, झोंक, वेग ।
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