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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उघटा-उच्छेद उघटा-वि० उबटनेवाला । -पुरान-पु० दे० 'उकटा- या राज्यका प्रधान न्यायालय। -सदन-पु० (अपर पुरान'। हाउस) धन, विद्या, वय आदिकी दृष्टिसे अधिक संपन्न या उघड़ना-अ० क्रि० खुलना; प्रकट होना; नंगा होना;भंडा- अनुभवी माने जानेवाले सदस्योंसे निर्मित सदन, द्वितीय फोड़ होना । मु० उघड़कर नाचना-मान-मर्यादाका | सदन । खयाल छोड़कर मनमानी करना। उञ्चरण-पु० [सं०] ऊपर उठना, आना; बाहर आना; उघरना*-अ० क्रि० दे० 'उघड़ना। ध्वनि, शब्दरूपमें (मुँहसे) बाहर आना । उघरारा*-वि० खुला हुआ। पु० खुला स्थान । उच्चरना*-स० क्रि० उच्चारण करना । उघाड़ना-स० क्रि० खोलना; अनावृत करना; वस्त्रहरण । उच्चरित-वि० [सं०] ऊपर, बाहर आयाहुआ; कहा हुआ। उघारना*-स० क्रि० दे० 'उधाइना' । उच्चाकांक्षा-स्त्री० [सं०] ऊँची, बड़प्पनकी आकांक्षा । उघेलना*-स० कि० उघाड़ना। उच्चाटन-पु० [सं०] हटाना; निकालना; उखाड़ना; किसीके उचंत(उचिंत)खाता-पु० (सस्पेंस अकाउंट) दे० 'अनुलंब चित्तको किसी व्यक्ति, स्थान, कार्य आदिसे उचटाना; खाता'। तंत्रके छ: अभिचारों में से एक। उचकन-पु० कोई चीज ऊँची करनेके लिए उसके नीचे उच्चाटित-वि० [सं०] जिसका उच्चाटन किया गया हो। दिया जानेवाला ईंट आदिका टुकड़ा। उच्चायुक्त-पु० [सं०] (हाई कमिश्नर) राष्ट्रमंडलके किसी उचकना-अ० कि० पंजेके बल खड़ा होना; किसी चीजको एक देशका राजदूत जो मंडलके किसी अन्य देशमें अपने पाने या देखनेके लिए ऊपर उहना; उछलना स० क्रि० । देशका प्रतिनिधि बनकर रहे । लपककर ले लेना; उठा लेना। उच्चार-पु० [सं०] (शब्दको) बोलना, कहना; मल, विष्ठा । उचका*-अ० सहसा, अचानक उच्चारक-वि० [सं०] उच्चारण करनेवाला, कहनेवाला । उचकाना-स० क्रि० ऊपर उठाना । उच्चारण-पु० [सं०] शब्दको मुँहसे निकालना, बोलना; उचक्का-पु० उचककर, छीन-झपटकर ले जानेवाला, चाई, शब्द या उसके वर्णौको कहनेका ढंग । -स्थान-पु० उठाईगीरा। मुँहका वह स्थान जिसके प्रयत्नसे कोई विशेष ध्वनि निकले उचटना-अ० क्रि० उचड़ना; अलग होना, बिलगाना; | (कंठ, तालु, ओष्ठ, जिह्वा आदि)। छूटना; मनका हट जाना, न लगना; भड़कना । उच्चारणीय-वि० [सं०] उच्चारण करने योग्य । उचटाना-स० क्रि० अलग करना, छुड़ाना; विरक्त करना; उच्चान्ति-वि० [सं०] कहा, बोला हुआ । बिचकाना, भड़काना। उच्चार्य-वि० [सं०] उच्चारणीय । उचड़ना-अ० क्रि० सटी, चिपकी हुई चीजका अलग हो | उच्चूड, उच्चूल-पु० [सं०] ध्वजा या उसका ऊपरका जाना; उखड़ना; चल देना, उड़ जाना। भाग झंडेके सिरेपरकी सजावट । उचना*-अ० क्रि० उचकना, ऊपर उठना। स० क्रि० ! उच्चैःश्रवा(वस्)-पु० [२०] इंद्रका घोड़ा। वि० ऊँचा ऊपर उठाना। सुननेवाला; लंबे कानोंवाला । उचनि*-स्त्री० उठान, उभार । उच्छरना*-अ० क्रि० दे० 'उछलना' । उचरना-स० क्रि० उच्चारण करना, बोलना । अ० क्रि० | उच्छलन-पु० [सं०] उछलना, तरंगित होना। ध्वनि, शब्द होना, दे० 'उचड़ना। उच्छलना-अ० क्रि० छलकना; ऊपर उठकर गिरना। उचाट-पु० विरक्ति, उदासी, जी न लगना। वि० उचटा उच्छलित-वि० [सं०] उछलाया उछलता हुआ, तरंगित, हुआ, जो किसी काममें न लगे (मन उचाट है)। क्षुब्ध; कंपित । उचाटन*-पु० दे० 'उच्चाटन' । उच्छव-पु० उत्सव । उचाटना-स०कि उचाट कर देना, उच्चाटन करना। उच्छाव -पु० दे० 'उछाव'। उचाटी-स्त्री० उचाट, उदासी । उच्छास*-पु० दे० 'उच्छास' । उचाड़ना-स० क्रि० सटी, चिपकी चीजको जुदा करना । उच्छासन-वि० [सं०] नियंत्रणमें न रहनेवाला, निरंकुश। उखाड़ना। उच्छाह*-पु० दे० 'उछाह' । उचाना*-स० क्रि० ऊँचा करना, उठाना । उच्छिन्न-वि० [सं०] कटा, उखड़ा हुआ; नष्ट । उचार*-पु० दे० 'उच्चार' । उच्छिष्ट-वि० [सं०] खानेसे बचा, खाकर छोड़ा हुआ; उचारना*-स० क्रि० उच्चारण करना, बोलना; उखाड़ना। परित्यक्त; बासी । पु० जूठा अन्न, जूठन। -भोजी उचित-वि० [सं०] ठीक, योग्य, मुनासिब स्तुत्य; विहित। (जिन)-वि० उच्छिष्ट खानेवाला। उचेड़ना, उचेलना -स० कि० दे० 'उचाइना' । उच्छल्क-वि० [सं०] जिस(माल)पर चगी न दी गयी उचहा, उचौहा*-वि० उभरा हुआ, उठा हुआ। हो (को०)। अ० बिना चुगी या महसूल दिये । उच्चंड-वि० [सं०] अति उग्र, प्रचंड; अति क्रुद्ध; तेज; | उच्च-स्त्री० गलेमें कुछ अटकनेसे आनेवाली खाँसी । उतावला। उरछखल-वि० [सं०] क्रमरहित; बंधन न माननेवाला, उच्च-वि० [सं०] ऊँचा, लंबा बड़ा, श्रेष्ठ, कुलीन; तेज | निरंकुश, स्वेच्छाचारी। जोरदारशुभः ऊँचे, दूसरोंपर प्रभाव डालने योग्य स्थलमें उच्छेद, उच्छेदन-पु० [सं०] काटना; जड़ उखाड़ना, बैठा हुआ। -न्यायालय-पु० (हाई कोर्ट) किसी प्रदेश | उन्मूलन; नाश । For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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