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इस्तकबाल - ईमान
इस्तिकबाल - पु० [अ०] अगवानी, स्वागत | इस्तिगासा - पु० [अ०] न्यायकी प्रार्थना, फरियाद; | फौजदारी नालिश | इस्तमरारी - वि० [अ०] सदा रहनेवाला, स्थायी, सार्वकालिक । - बंदोबस्त - पु० जमीनका वह बंदोबस्त जिसमें मालगुजारी सदाके लिए निश्चित हो जाती है । इस्ति (स्त) री - स्त्री० पीतल या लोहेका वह औजार जिसके भीतर जलते कोयले रखकर धुले या सिले कपड़ोंकी शिकन दूर की और तह बैठायी जाती है । इस्तीफ़ा - पु० [अ०] काम, नौकरीसे छुटकारेकी प्रार्थना;
त्यागपत्र ।
इस्तेमाल - पु० [अ०] काममें लाना, व्यवहार, उपयोग । इस्त्री* - स्त्री० दे० 'स्त्री' ।
इस्म - पु० [अ०] नाम, संज्ञा । -नवीसी - स्त्री० नाम
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- देवनागरा वर्णमालाका चौथा (स्वर) वर्ण, 'इ' का दीर्घरूप || ई गुर - पु० लाल रंगका एक खनिज द्रव्य ( सौभाग्यवती हिंदू स्त्रियाँ माथेपर इसकी बिंदी लगाती हैं ) । ई चना* - सु० क्रि० ऐचना, खींचना । ईट - स्त्री० आयताकार साँचे में ढालकर पकाया हुआ मिट्टीका टुकड़ा जो दीवार बनानेके काम में आता है; धातुका चोखूँटा ढला हुआ टुकड़ा; ताशके चार रंगोंमेंसे एक | - कारी - स्त्री० ईंटका काम । - पत्थर- पु० कुछ नहीं । मु० - का छल्ला देना-कच्ची दीवार की मजबूती के लिए उससे सटाकर ईंटें चुनना । (डेढ़ या ढाई ) - की मस्जिद अलग बनाना - अपनी ही बातपर चलना निराला ढंग रखना । - गढ़ना- ईंटोंको काट-छाँटकर जोड़ाई के काम में आने योग्य बनाना। - चुनना - इंटोको जोड़कर दीवार उठाना । - पाथना - गीली मिट्टीको साँचेर्भे डालकर इंटका आकार देना । (गुड़ दिखाकर ) - मारना - भलाईकी आशा बँधाकर बुराई करना। -से ईंट बजना - मकानका ध्वस्त होना । - से ईंट बजाना
मकान ध्वस्त करना ।
'टा-पु० दे० 'ईंट' |
"डरी, ई डुरी-स्त्री० डुरी, बिड़ई ।
धन- पु० जलावन, जलानेकी लकड़ी, उपला आदि । - पु० [सं०] कामदेव | स्त्री० लक्ष्मी । * सर्व० यह ।
* अ० ही ।
ईकारांत - वि० [सं०] जिसके अंत में 'ई' हो (शब्द) । ईक्षण - पु० [सं०] देखना, दर्शन, दृष्टि, देखभाल; आँख; विवेचन; आलोचना |
ईख - स्त्री० गन्ना, ऊख ।
ईखना* - स० क्रि० देखना । स्त्री० एषणा, इच्छा । ईछन* - पु० ईक्षण, आँख । ईछना * - स० क्रि० इच्छा करना । ईछा* - स्त्री० दे० 'इच्छा' । ईजति * - स्त्री० इज्जत, मर्यादा । ईजाद - स्त्री० [अ०] कोई नयी चीज बनाना, निकालना ।
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लिखाई; ( गवाहों आदिकी) नाम सूची । इह - अ० [सं०] यहाँ, इस जगह; इस लोकमें; अब इस कालमें | पु० यह लोक । - लीला - स्त्री० इस लोकका जीवन । - लोक-पु० यह लोक; यह जीवन । - लौकिक - वि० इस लोकका, इस लोक-संबंधी; इस लोक में सुख देनेवाला (असाधु) ।
इहतिमाम - पु० [अ०] प्रबंध; आयोजन; निगरानी । इहतियात - स्त्री० [अ०] बचाव, परहेज; सावधानी । इहतियातन - अ० [अ०] सावधानीको दृष्टिसे । इहतियाती - वि० [अ९] दे० 'एहतियाती' - काररवाई - स्त्री० दे० ' एहतियाती- काररवाई' ।
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इहसान - पु० [अ०] नेकी, भलाई, उपकार; नेकी, उपकार करना । - फ़रामोश वि० कृतघ्न, उपकार न माननेवाला । - मंद - वि० कृतश, ऋणी ।
ईठ* - वि०, पु० इष्ट, मित्र, प्यारा । ईठना* - अ० क्रि० चाहना ।
इंठि* - स्त्री० मित्रता, प्रीति; यत्न; चाह । ईडन - पु० [सं०] प्रशंसा करना । ईडुरी* - स्त्री० दे० 'डुरी' । ईढ़ * - स्त्री० हठ |
ईतर* - वि० इतरानेवाला; ढीठ; साधारण; नीच ईति -
[स्त्री० [सं०] बाधा खेतीको नुकसान पहुँचानेवाले छः उपद्रव - अतिवृष्टि, अनावृष्टि, चूहों, टिड्डियों और पक्षियोंका फसल खा जाना और दूसरे राजाकी चढ़ाई । ईद - स्त्री० [अ०] खुशीका दिन, त्योहार; (मुसलमानोंका ) मजहबी त्योहार | - गाह-पु० ईद के दिन मुसलमानों के एकत्र होकर नमाज पढ़ने की जगह । मु०- का चाँदऐसी वस्तु जिसके दर्शन दुर्लभ हों । इंदिया - पु० [अ०] ईद या दूसरे त्योहारोंपर एक दूसरे के यहाँ भेजी जानेवाली सौगात ।
ईदी स्त्री० [अ०] ईदका इनाम, त्योहारी; ईद या इस प्रकार के त्योहार के अवसरपर उसके बखानमें लिखित पथ; वह सुंदर हाशियेदार कागज जिसपर वह पद्य लिखा हो । ईदुज्जुहा - स्त्री० [अ०] दसवीं जिलहिजको मनायी जानेवाली ईद; बकरीद |
ईदुलफ़ितर - स्त्री० [अ०] रमजानकी समाप्ति पर नया चाँद होनेके दूसरे दिन मनाया जानेवाला त्योहार | ईदृश - वि० [सं०] ऐसा, इस तरहका । अ० ऐसे, इस तरह । ईप्सा - स्त्री० [सं०] पानेकी इच्छा; चाह, इच्छा । ईप्सित - वि० [सं०] चाहा हुआ; जिसकी चाह हो, प्रिय । ईबी सीबी* - स्त्री० सीत्कार, (रतिकालमें स्त्रीका) सी-सी
करना ।
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ईमान - पु० [अ०] धर्मविश्वास; ईश्वरपर विश्वास; धर्म; सचाई ;खरापन; लेन-देन आदि में सचाई; दयानत; नीयत । - दार- वि० सच्चा, विश्वसनीय; रुपये-पैसेके मामले में सच्चा, दयानतदार | मु० - का सौदा खरा व्यवहार । -की कहना - सच कहना, सच्ची बात कहना । - ठिकाने