________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पथ कात्ययनौतन्वानुसारण गुप्तवतीमतेन मन्त्र विभागः 48 ज्ञानिनी मनुजा: सत्य 5. ज्ञानञ्च तन्मनुष्याणां 51 ज्ञानेऽपि सति पश्यैतान् 52 मानुषा मनुजव्याघ्र 53 तथापि ममतावते 54 तवान विस्मयः कार्यो 55 ज्ञानिनामपि चेतांसि 56 तया विसृज्यते विख // 57 सा विद्या परमामुक्त 13 // 58 संसारबन्धहेतुश्च 13 58 राजोवाच 8 6. भगवन् का हिसा देवी यथा श्रुतग्राहि पथ कात्यायनौतन्त्रानुसारेण यथा श्रुतग्राहि भिन्नमतेन गुप्तवती तेन मन्त्र विभाग: भिन्नमतेन केचिद्दिवा तथा // 61 यत्स्वभावा च सादेवी 14 | ब्रवीति कथमुत्पत्रा यतोहि ज्ञानिनः | // 62 तत्सर्वं श्रोतुमिच्छामि 15 // तत्सर्व मनुष्याणाञ्च यत्तेषां 63 ऋषिरुवाच ऋषि कणमोक्षा // 64 नित्यैव सा जगन्मूर्तिः 16 // नित्यैव 16 लोभात् प्रत्युप // 65 तथापि तत्समुत्पत्ति 10 तथापि महामाया प्रभा 66 देवानां कार्यसिद्धार्थ उत्पन्नेति तदा महामाया हरे 6. योगनिद्रां यदा विष्णु आस्तीर्य शेष बलादाकृष्य 68 तदा हावसुरौ घोरौ विष्णुकणंमलो सैषा प्रसन्ना 68 सनाभिकमले विष्णोः दृष्ट्वातावसुरौ // संसारवन्ध 13 | 70 तुष्टाव योगनिद्रांतां विबोधनार्थाय राजो 8 | 71 विश्वेश्वरौं जगडावी ॥निट्रां भगवती 17 // भगवन् 14 / 72 ब्रह्मोवाच 10 ब्रह्मो 10 For Private and Personal Use Only