________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कषिरुवाच। आज्ञप्तास्ते ततो दैत्याश्चण्डमुण्डपुरोगमाः / चतुरङ्गबलोपेता ययुरभ्युद्यतायुधाः // 1 // ददृशुस्त ततो देवीमीषड्वासां व्यवस्थिताम् / सिंहस्योपरिशैलेन्द्रशृङ्गे महति काञ्चने // 2 // ते दृष्ट्वा तां समादातुमुद्यमं चक्रुमद्यताः / आहाष्टचापासिधरास्तथान्ये तत्समीपगाः // 3 // ततः कोपं चकारोच्चैरम्बिका तानसैन् प्रति / कोपेन चास्यावदनं मसौवर्णमभूत्तदा // 4 // भ्र कुटीकुटिलातस्या ललाटफलकाट् द्रुतम् / काली करालवदना विनिष्कान्तासिपाशिनी // 5 // विचिवखटाङ्गधरा नरमालाविभूषगा। दीपिचर्मपरीधाना शुष्कमांसातिभैरवा // 6 // अतिविस्तारवदना जिह्वाललनभीषणा। निमग्ना रक्तनयना नादा पूरितदिङ्मुखा // 7 // सा वेगेनाभिपतिता घातयन्ती महासुरान्। सैन्ये तत्र सुरारीणामभक्षयत तबलम् // 8 // // 1 // 2 // 3 // 4 // 5 // खट्वाङ्ग दण्डारोपितनरशिरस्क खटापाद एव वा, दीपिचर्म बयानकत्तिः // 6 // 7 // 8 // For Private and Personal Use Only