________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 61 // तूर्याणां लयं कालक्रियामानतालविरामसाम्यमाश्रिताः // 62 // कबन्धाः निःशिरस्कदेहाः वीरा स.टी. 44 एकबाह्वचिचरणा: केचिहे व्या विधाकृताः। किन्नेऽपि चान्ये सिरसि पतिताः पुनरुत्थिताः // 61 // कवधा दुयुधुईया टहीतयरमायुधाः / नऋतुश्चापरे तत्र युद्धे तूर्यलयाश्रिताः // 62 // कबधाश्छिन्नशिरसः खड्गशत्यष्टिपाणयः / तिष्ठ तिष्ठति भाषन्तो देवीमन्ये महासुराः // 63 // पातितैरथ नागाश्वैरसुरैश्च वसुज्वरा। अगम्या साऽभवत्तत्र यत्राभत स महारण: // 64 // शोणितौघा महानद्यः सद्यस्तत्र प्रमुस्रुवुः / मध्ये चासुरसैन्यस्य वारणासुरवाजिनाम् // 65 // क्षणेन तन्महासैन्यममुराणां तथा म्बिका / निन्ये क्षयं यथा वनिस्तृणदारुमहाचयम् 66 वेशन क्षतान्तराणामिव शिरश्छेदस्याप्यभावनोभयत्र व्यासज्यवृत्तिजीवनसत्वात्पतितेन मुखेन भाषणं चलता कबन्धेन प्रहारचाभवदित्याशयः // 63 // 64 // 65 // 66 // For Private and Personal Use Only