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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुण ॥सर्ग 3 जो॥ चरित्र. // 51 // नखा मुनिः प्राह, गुणवर्मणि शृण्वति / पुष्पपूजा कृता येन, फलं तस्य निगद्यते // 1 // * अत्रास्ति भरते भूमिरमणीमणिकुंडलम् // कुंडलं नाम नगरं. तत्राभूद्विक्रमो नृपः // 2 // तस्य शीलवती नाम,ललना शीलशालिनी // पुष्पपूजाकरो लक्ष्मीधरस्तत्कुक्षिमाययौ 3 | स तया समये जातः प्रातस्तज्जननोत्सवम् // कृत्वा विजयचंद्राख्या, विहितास्य महीभुजा 4 // पाल्यमानः स यत्नेन, रत्नेन समकांतिभाक्॥ हर्षदः पितृमातृभ्यां, षड्वर्षीयोऽभवत्क्रमात्५ / अन्येद्युर्विक्रमो भूपस्त्रिविक्रमसमोऽरिषु // सभां विभूषयामास, मंत्रिसामंतपूरिताम् // 6 // तदा लक्ष्मीधरो नाम, व्यवहारी विदेशतः॥ वेत्रिणा वेदितस्तत्र, समायातः सभांतरे // 7 // रिक्तहस्तै दृश्यंते,राजानो भिषजो गुरुः॥इति न्यायेन पुष्पाणि. सोऽमुंचद्भपतेः पुरः 8 तेषां परिमलेऽत्यंत. विष्वक् तत्र प्रसृत्व।। भूपोजगाद पुष्पाणि,दीयंतां सभ्यपाणिषु॥९॥ / तेषु प्रदीयमानेषु, पुष्पेषु व्यवहारिणा // रक्षके गोधृतो बालः, पुत्रो राजः समागतः 10 51 // 44: 0KX For Private and Personal Use Only
SR No.020361
Book TitleGunvarma Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages176
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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