________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुण. चरित्र. // 15 // दंभोलिपाणिः परिमृज्य सद्यः, कर्पूरफालीबहुभक्तिशाली // चूर्ण मुखे न्यस्य जिनस्य तूर्ण, चक्रेऽष्टमं पूजनमिष्टहेतुम् // 151 // पुलोमजापोलिनिवेशनेन, प्रदक्षिणीकृत्य जिनालयं तम् // महाध्वजं कीर्तिमिव प्रतत्य, पूजामकान्निवमीं विडोजाः // 152 // मुक्तावलीकुंडलबाहरक्षकोटीरमुख्याभरणावलीनाम् // प्रभोर्यथास्थाननिवेशनेन, पूजामकार्षीदशमी विडोजाः // 153 / / पुष्पावलीभिः परितो वितत्य, पुरंदरः पुष्पगृहं मनोज्ञम् // पुष्पायुधाजेय जयेति जल्पन्नेकादशीमातनुतेस्म पूजाम् // 154 // कराग्रमुक्तैः किल पंचवर्णैरग्रंथपुष्पैः प्रकरं पुरोऽस्य / / प्रपंचयन वंचितकामशक्तेः, स द्वादशीमातनुतेस्म पूजाम् // 155 // आदर्शभद्रासनवर्द्धमानमुख्याष्टसन्मांगलिकैर्जिनाग्रे // म राजतप्रोज्वलतंडुलोत्थैत्रयोदशीमातनुतेस्म पूजाम् // 156 // // 15 // For Private and Personal Use Only