________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
डम्
"पिय ...
पंतो। स्तत ... ... ... स्तत ... ... ... ... ६४६ ...
उत्तानं यात्रं कृत्वा ... x x x x ... ६५१ तथा स्मृत्यन्तरम्। ... x x x ... ... इति ... ... ... x x ... ... पिय ... ... ... स्थितम् ... ... ... निहितम् (तन्नरत्याच मन्त्रोपिताव.] x मात्रः तदीया निवर्तते । x तेन,"एतदः पितरोवामः' | 'x -~-इति श्राद्धकल्पोक्तेनैव । ____x ... ... ... मन्त्रेण वाससानिधानं सिध्यति) । एकवचनसंयोगा।
११...२,३,४,५,६ चैकमेवात्रवासः स्यात् । अपूर्व खल्चत्रवासे विधीयते । अतस्तदेकत्वमपि पश्वेकत्ववद्विवक्षितुमुचित- । मेव भन्न ... ... ... मन्त्र ... ...
... ५ त्य ... ... ... इत्य ... दनाहायं
दन्वाहाय्य भूसि ... ... ...
भूरि उभयेष ... उभयेधू ... भिगं ... ...
भोगं ... कुछ सूत्रे ... ... सूत्र ... ... यज्ञ ... ... ... वास्तु ... ... विध
... विशेष ... ...
xx x x x x x x xxx
xx x x x x x x x x
x
ल
भिग
उन्माद
For Private and Personal Use Only