________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
338
ज्ञाताधर्मकथा
अज्जा पुप्फचूलाए अज्जाए एयमट्टं नो आढाइ जाव तुसिणीया संचिgs, तरणं ताओ पुष्पचूलाओ अज्जाओ कालिं अजं अभिक्खणं हीलेंति णिंदंति खिसंति गरिहंति अवमण्णंति अभिक्खणं२ एयम निवारेंति, तएणं तीसे कालीए अज्जाए समणीहिं णिग्गंथीहिं अभिक्खणं२ हीलिज्जमाणीए जाव वारिज्ज माणिए इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्नित्था जया
अहं अगारवास मज्झे वसित्था तया णं अहं सयवसा जप्पिभिड़ं च णं अहं मुंडा भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइया तप्पभिई च णं अहं परवसा जाया, तं सेयं खलु मम कलं पाउप्पभायाए रयणीए जाव जलते पाडिक्का उवस्तयं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तएत्तिकट्टु एवं संपेहेइ संपेहित्ता कल्लं जाव जळंते पाडिएक्कं उवस्तयं गिण्हइ, तत्थ णं सा अणिवारिया अणोहट्टिया सच्छंदमई अभिक्खणंर हत्थे धोवइ जाव आसयइ वा सयइ वा, जीसेइ वा, तणं सा काली अज्जा पासत्था पासत्भविहारी ओसण्णा ओसण्णविहारी कुसीला कुर्सालविहारी अहाछंदा अहाछंद विहारी संसत्ता संसत्तविहारी बहूणि वासाणि सामन्नपरियागं पाउणइ पाउणित्ता अद्धमसियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसेइ झूसित्ता तीसं भत्ताई अणसणाए छेएइ छेइत्ता तस्स ठाणस्स अनालोइय अपडिक्कंता कालमासे कालं किच्चा चमरचंपाए रायहाणीए कालवडिसए भवणे उववायसभाए देवसय णिज्जंसि देवदूतरिए अंगुलस्सअसंखेज्जइ भागमेत्ताए ओगाहणाए कालीदेवित्तए उववण्णा,
For Private and Personal Use Only