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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४४३ अनगारपीटीका. अ १ सू. ३२ मेघमुनेरात्त ध्यानप्ररूपणम् देवीए अत्तए मेहे जाव सवणयाए तं जया णं अहं अगारमज्झ वसामि तयाणं मम समणा णिग्गंथा आढायंति परिजाणंति सक्कारेति सम्माति, अडाई हेऊई पासिणाई कारणाई आइक्खति, इट्ठाहिं कंताहिं वग्गूहिं आलवेति संलवति, जपभिई च णं अहं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए तपभिई च णं मम समणा नो आढायंति जाव नो संलवंति, अदुत्तरं च णं मम समणा णिग्गंथा राओ पुत्ररत्तावरत्तकालसमयं सिवायणाए पुच्छणाए जाव महालियं चणं रत्तिनो संचाएमि अच्छि णिमिलावेत्तए, सेयं खलु मम कलं पाउपभायाए रयणीए जाव तेयसा जलंते समणं भगवं महावीरं आपुच्छित्ता पुणरवि अगारमज्झे वसित्तए निकट्टु एवं संपेहेइ, संपे हित्ता अट्टदुहट्टवसहमाणसगए णिरयपडिरुवियं च णं तं रुणि खवेइ खवित्ता कल्लं पाउप्पभादार सुविमलाए रयणीए जाव तेयसा जलसे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणामेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता तिक्खुसो आयाहिणपयाहिणं करेड़ करिता वंदइ नमसइ वंदित्ता नमसिंत्त, जाव पजुवासइ || सू० ३९॥ टीका -- 'जं दिवसं चणं' इत्यादि । यं दिवसं च=यस्मिन दिवसे खलु मेघकुमारः मुण्डो भृत्वा अगारात् = गृहात् अनगारितां मत्रजितः - प्राप्तः, तस्स णं दिवसस्स' 'जं दिवस च णं मेहे कुमारे' इत्यादि । टीकार्थ - ( जं दिवस) जिस दिन ( मेहे कुमारे मुडे भवित्ता अगाराभो अणगारियं पचए) मेघकुमार ने मुंडित होकर आगार अवस्था से अनगार 'जं दिवसं च णं मेहे कुमारे' इत्यादि ॥ टीकार्थ - ( जं दिवसं ) ने हिवसे ( मेहेकुमा रे मुडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पचइए ) भेधभारे भुंडित थाने भागार अवस्था त्यने मनगार अवस्था For Private and Personal Use Only
SR No.020352
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalalji Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages762
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size24 MB
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