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अनगारधर्मामृतवर्षिणी टीका. अ.१ २६ मेघकुमारपालनादिवर्णनम् २७५ ममानयतीत्यर्थः । ततः खलु मेघस्य कुमारस्य मातापितरौ तं कलाचार्य मधुरैवचनैविपुलेन वस्त्रगन्धमाल्यालंकारेण सत्कुरुतः, संमानयतः, सत्कृत्य सम्मान्य विपुलं 'जीवियारिहं' जीविताह यावज्जीवनयोग्यं प्रीतिदानं दत्तः, दत्वा प्रति विमर्जयतः मृ. ॥२१॥
मूल-तएणं से मेहे कुमारे बावत्सरिकलापंडिए णवंगसुत्तपडिबोहिए अट्रारविहिप्पगारदेसीभासाविसारए गीइरइगंधव्वनदृकुसले हयजोही गयजोही रह जोही बाहुजोही बाहुप्पमदों अलं भोगसमत्थे साहसिए वियालचारी जाए यावि होत्था, तएणं तस्स मेहकुमारस्स अम्मापियरो मेहं कुमारं वायत्तरिकलापंडियं जाब वियालचारिं जायं पासंति पोसित्ता अट्टपासायवडिसए कारेंति, अब्भूग्गयमूसियपहसिय विव मणिकणगरयणभत्तिचित्ते वाउद्धृय विजय वेजयंतिपडागच्छत्ताइच्छत्तकलिए तुंगेगगणतलमभिलंघमाणसिहरे जालंतररयणपंजरुम्मिलियव्वमणिकणगथूभियाए वियसियसयपत्तपुंडरीए तिलयरयणद्धयचंदच्चिए नानामणिमयदामालंकिए अंतोबहिं च मेघकुमार को लाकर उसके मातापिता को सौंप दिया। (तएणं मेहस्स अम्मा पियरो त कलायरियं) इसके बाद मेयकुमार के मातापिताने उस कलावार्य का (महरेहिं वयाँ ) मिष्ट वचनों से और (विउले गं वत्थगंध मल्ला लंकारेणं) विपुल वस्त्र गंध माला, अलंकार से (सरकारेंति सम्माणेति) सत्कार किया सम्मान किया (सक्कारिता सम्माणित्ता विउलं जीवियारिहं पीइदाणं दलयंति सत्कार सन्मान कर के विपुल प्रोतिदान जीवन पर्यंत निर्वाह होसके उतना उन्हें दिया । (इलयित्ता पडि विसज्जति) देकर फिर बिदा करदिया। ।मूत्र २१॥ (तएण मेहस्स कुमारस्स अम्मापियरा तं कलायरियं) त्या२ ४ मेरमारना मातापिताम्ये ते सायायना (महुरेहिं गयणेहिं) भी पयन वा अने. (विउलेणं वत्थगंधमल्लालंकारेणं) पु प्रभामा पत्रो, गध भाप मने
२। दा॥ (सकारेंति सम्माणेति) सत्तार यो भने सन्मान यु. (सक्कारिता सम्माणित्ता विउलं जीवियारिह पीइदाणं दलयंति) सला२ अने सन्मान मापीने 200वन सुधीन विधुरा प्रभाभा प्रीतिहान यु. ( दलयित्ता पडिविसज्जति) मापाने तेभने विहाय ४ा. ॥ सूत्र २१ ॥ ૩૫
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