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गणधरवाद : अनुक्रमणिका
विषय
पृ० सं०
विषय
महावीर प्रभु की साधना : केवलज्ञान
की प्रवृत्ति किसी के आदेशानुसार,
में क्या ?
किसी से नियमित
११ ब्राह्मण और उनके संदेह इन्द्रभूति का अभिमान : लोगों की
प्रभुप्रशंसा
वादार्थ इन्द्रभूति प्रभु के पास प्रभु दर्शने प्राश्चर्य और प्रभु की निरूपमता का भान प्रभु की वेद-ध्वनि समझाने की - सुन्दर रीति
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POS
१
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४
५
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गणधर - १ इन्द्रभूति
- श्रात्मा प्रत्यक्ष से सिद्ध नहीं, अनुमान व अन्य सब प्रमारणों से प्रसिद्ध आत्मा ६ प्रकार से प्रत्यक्ष सिद्ध - श्रात्म-साधक अनुमान, देहगाड़ी का प्रवर्तक प्रश्व श्रात्मा मन-वाणी-देहप्रवृत्ति को रोकने
वाली प्रात्मा अन्वयव्यतिरेक व्याप्ति, शरीर
"एक यन्त्र
१६
महल, कारखाना, भोग्य भोक्ता १६ चीव माली, इन्द्रियां करण,
इन्द्रियों
११
१२
१६
१८
१५
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२०
इन्द्रियों के बीच कलह प्रात्मशम्य २१ शरीर ममत्व की वस्तु, मानसिक
सुख - दुःख का भोक्ता
माता से विलक्षण गुण-स्वभाव
पुत्र
में स्तनपान संस्कार
२२
युगल पुत्र में रुचि श्रादि का भेद : उपयोग कषाय लेश्यादि का धर्मी २३ ज्ञानादि गुण के अनुरूप गुणीः सत् ही का संदेह - भ्रम प्रतिपक्ष निषेध २४ निषेध ४ का २५
पृ० सं०
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अर्थात् क्या ? उपमान प्रर्थापत्ति और संभव प्रमाणों से श्रात्मसिद्धि
श्रात्मा के सम्बन्ध में वेदान्त सांख्य योग दर्शन न्याय-वैशेषिक - बौद्ध दर्शन दया दान-दम से प्रात्म-सिद्धि
'जीव' व्युत्पत्तिमान शुद्ध पद : जीव के स्वतन्त्र पर्याय शब्द : अन्तिम प्रिय २६ पूर्व जन्म स्मरण: श्रात्मा
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