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SARAKASAMANARRANA
उज्जेणीए गहिअवओ लहू गुज्झगेहिं वरिसंते। जो 'सुजइ' त्ति निमंतिअ, परिक्खिओ पत्ततत्विज्जो ॥ उद्धरिया जेण पयाणुसारिणा गयणगामिणी विजा। सुमहापइन्नपुवाओ सबहा पसमरसिएण ॥२९॥ दुक्कालम्मि दुवालस-वारिसिए सीयमाणसंघम्मि। विजाबलेण माणिअ-मन्नं जेणन्नऽखित्ताओ।३०।
सुररायचावविब्भम-भमुहाधणुमुक्कनयणबाणाए।कामग्गिसमीरणविहिअपत्थणावयणघडणाए ॥३१ 8| लटुंगपइट्ठाए, सिट्ठिसुयाए विसिट्ठचिट्ठाए । गुणगणसवणाओ जस्स दंसणुकंठिअमणाए ॥ ३२ ॥ | निअजणयदिन्नधणकणयरयणरासीइ जोन कन्नाए। तुच्छमवि नमुच्छिओ जुब्बणेवि धणिअंगुणड्ढाए। जलणगिहाओ माहेसरीए कुसुमाणि जेणमाणित्ता। तिवन्निआण माणो मलिओ संधुन्नई विहिआ॥ दूरोसारिअवइरो, वइरो नामेण जस्स बहुसीसो। सीसो जाओ जाओ, जयम्मि जायाणुसारिगुणो॥ कुंकुण-विसए सोपारयम्मि सुगुरुवएसओजेण। कहिअसुभिक्खमविग्धं, विहिओ संघो गुणमहग्यो। तमहं दसपुत्वधरं, धम्मधुराधरणसेससमविरिसिरिवइरसामिसूरिं, वंदे थिरयाइ मेरुगिरि ॥३७॥
व्याख्या-तमहं श्रीवैरस्वामिमूरि वन्दे-नमस्यामीति सम्बन्धः । कीदृशम् ? दशपूर्वधरं, धर्मधुराधरणशेषसमवीर्य
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