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भूमिका । ३रे में बीजात्मक पदों का महसमापवर्तन और लघुतमापवयं जानने के प्रकार हैं।
४ थे में बीजात्मक, भिन्नपद, उन के भेद, उन के संकलनादिक ६ परिकर्म और प्रकीर्णक इतने विषय कहे हैं। इस प्रकीर्णक में छेदगम, विषमपक्षों का गणित, ऋणात्मक और भिन्त्रात्मक घातमापक, • और 0 दन के गुण और और इन राशिओं का वास्तव मान जानने की रीति, और अन्त में दशमलव भिवराशिओं का गणित है।
५ वे में समीकरण, उस के भेद, एकवर्ण एकघातसमीकरण, अनेक. वर्ण एकघातसमीकरण, एकघातसमीकरणसंबन्धि प्रश्न, और अन्त में दृष्टकर्म और द्वीष्टकर्म है।
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