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दीवा०
5940-26
पंचम आरेका स्वरूप
जबरदस्तीसे उपकर्णलेंगे ॥ बहुतसे मुंड होवेंगे ॥ थोड़े साधु होवेंगे ॥ और हे गौतम पांचवें आरेमें म्लेच्छराजा व्याख्या० बलवानहोवेंगे ॥ उत्तमराजा हीन बलहोवेंगे ॥ और हे गौतम म्लेच्छकुलमें पाटलिपुरनगरमें कलंकी राजा होगा। ॥४२॥
पाटलिपुरनगरका रुद्रपुर और चतुर्मुखपुरनाम स्थापेगा प्रसंगसे कलंकी राजाका खरूपकहतेहैं ॥ यशनामका चांडाल यशोदानामकीस्त्रीकी कुक्षिमें उत्पन्न होगा १३ महीना गर्भावासमेंरहके चैत्रसुदी अष्टमीकी रात्रिमें मकर - लग्नके छठे अंशमें चन्द्रनामयोगआनेसे अश्लेसानक्षत्रके पहलेपादमें मंगलवारके दिन कलंकीका जन्म होगा ॥ क्रमसे 3 |३ हाथका शरीर पीलेकेश और पीलेनेत्र होंगे ॥ तीक्षणखर महाविद्यावान् दीर्घहृदय धर्मबुद्धिरहितः ज्ञानादि गुण-11 भारहित होगा लौकिक कलामें बहुतही कुशल होगा ॥ उसकेपांचवेंवमें उदरव्यथाहोगी ॥ सातवेंवर्पमें अग्नि पीड़ा
होगी ॥ ग्यारहवर्षमेधनप्राप्तिः ॥ अठारहवेंवर्ष में कार्तिकसुदी १ शनिवारको खाति नक्षत्र तुलका चन्द्रमाःवन्दननामका दिनसिद्धियोग बवकर्ण रावणमुहूर्तमें राज्याभिषेक होगा॥ आनन्दनामका घोड़ा दुर्भाषक नाम भाला मृगाङ्क नामकामुकुट दैत्यसूदननामका खड्गहोगा उस कलंकीराजाके ॥ कटिप्रदेशमें चन्द्रसूर्यका लाञ्छन होगा और कलंकी. राजा (१९) उन्नीसवेंवर्ष में अपने भुजबलसे आधेभरतका राज्य करेगा ॥ इक्कीसवें (२१) वर्षमें आबुराजाकी पुत्री पर्णेगा॥ औरभी बहुतसी रानियां होंगी उन्होंके साथ भोगभोगायता चार पुत्र होगा ॥ दत्त १ विजय २ मुंज ३ अपराजित ४ कलंकीराजाकीपाटलिपुरमें राजधानी होगी और कलंकीराजा विक्रमादित्यका संवत्सरउठाकर प्रजाको
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॥४२॥
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