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सुन हमारे पिताका कहा
णोत्सवहुआ॥ बाद उन्होकेसाथ प्रीतिरससे खींचाहुआ हृदय जिसका ऐसा सूर्ययशाराजा संसारमें उन्होंकेसाथ | भोगहीको सारमानताभया रातदिनउन्होंके साथ नानाप्रकारके भोग भोगवताहुआ और काम भूलगया ऐसा सुखसे कालगमावे बाद एकदा संध्यासमयमें उन स्त्रियोंकेसाथ सूर्ययशा राजागवाक्षमें गया तब अहोलोको कल्लअष्टमी पर्व होनेवालाहै इससे उसके आराधनेमें आदरसहितः होना ॥ ऐसा पटह उद्घोषणः उन कपटस्त्रियोंने सुनके अवसर जानके रंभा नहींजानतीहोवे वैसी राजासे आदरसहित पटह वाजनेका कारण पूछा तव राजा बोले हे रंभे सुन हमारे पिताका कहाहुआ चतुर्दशी, अष्टमी, पर्वहै ॥ और अमावास्या, पौर्णमासी दोअट्ठाइ, तीन चौमासा, और पयूषणा वार्षिक पर्वहै । यह औरभी ज्ञानआराधनकेलिये पंचमीवगैरहः पर्वकहेहैं इन पर्वदिनों में कियाहुआ धर्म वर्ग:मोक्षसुखकादेनेवालाहोवेहै । इसलिये च्यारपवों में सवघरकाव्यापार छोड़कर धर्मकार्य ४ करना और स्नान, स्त्रीसंग, लड़ाई द्यूतक्रीड़ा, दूसरेका हास्य करना, मात्सय, क्रोधादिःकपाय प्रमादादिकुछभी
नहींकरना प्यारोंपरभी ममता नहींकरना ॥ परमेष्ठीनमस्कारस्मरणादिःशुभध्यानवान् होना॥ सामायिक, आवश्यक पौषध, वेला, तेला वगैरहः तप करना तीर्थकरकी पूजा करना इसप्रकारसे यह पर्वः आराधताहुआ प्राणी पुण्य 3 उपार्जन करे ॥ वाद क्रमसे कर्मक्षयकरके मोक्षजावे ॥ इसकारणसे हेस्त्री सप्तमीऔरत्रयोदशीको लोगोंके 3
जाननेकेलिये यह पटोहोद्घोषणमेरी आज्ञासे होताहै ॥ वाद उर्वशी यह राजाकावचनसुनके राजाके निश्चयसे
॥ यह औरभी ज्ञानआराधयारपयोंमें सवघरकाव्यापार प्रमादादिकुछभी ।
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करना पासवगैरहः तप करना तीर्थकरकी Fan इसकारणसे हेवी सप्तम
राजा निश्चयसे |
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